बिहार में एनडीए की बंपर जीत के बाद सबसे बड़ा सवाल है कि कौन बनेगा नया डिप्टी सीएम? विजय सिन्हा, चिराग पासवान से लेकर सम्राट चौधरी तक एनडीए के सामने कई मजबूत दावेदार हैं.
Bihar News:बिहार में एनडीए की शानदार जीत के बाद अब सबसे ज्यादा चर्चा जिस मुद्दे पर हो रही है, वह है- नया डिप्टी सीएम कौन बनेगा? बिहार की राजनीति में एक बात हमेशा स्थिर रही है- नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बने रहना. गठबंधन बदलते रहे, साथी आते-जाते रहे, लेकिन नीतीश कुमार की कुर्सी पर पकड़ हमेशा मजबूत बनी रही. अब मुकाबला है सिर्फ डिप्टी सीएम पद का, जिसके लिए बीजेपी के कई चेहरे चर्चा में हैं. तो आइए नजर डालते हैं उन शख्सियतों पर जो डिप्टी सीएम बनने के रेस में हैं.
पहला दावेदार- विजय कुमार सिन्हा
सबसे पहले नाम आता है विजय सिन्हा का, जो मौजूदा डिप्टी सीएम हैं. विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर उनका कार्यकाल काफी प्रभावी रहा है. वे अगड़ी जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं, और बीजेपी की जातीय संतुलन की रणनीति में उनका नाम बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
दूसरा दावेदार- रेणु देवी
दूसरा नाम है रेणु देवी का, जो बिहार की पहली महिला उप मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. वे नोनिया समुदाय से आती हैं और पार्टी के सामाजिक समीकरण में अहम भूमिका निभाती हैं. उनका अनुभव और महिला नेतृत्व दोनों उन्हें फिर से एक मजबूत दावेदार बनाते हैं.
तीसरा दावेदार- प्रेम कुमार
वरिष्ठ नेता डॉ. प्रेम कुमार भी इस रेस में शामिल हैं. गया टाउन से लगातार नौ बार विधायक रहना उनकी लोकप्रियता का बड़ा प्रमाण है. कई विभागों में मंत्री रहते हुए उनका प्रशासनिक अनुभव उन्हें भरोसेमंद विकल्प बनाता है.
चौथा दावेदार- मंगल पांडे
इसके बाद बात करते हैं मंगल पांडे की. वे ब्राह्मण समुदाय से आते हैं और संगठन के जानकार माने जाते हैं. केंद्रीय नेतृत्व से नजदीकी और पिछले शासन का अनुभव उन्हें संभावित उम्मीदवारों में रखता है.
पांचवा दावेदार- श्रेयसी सिंह
युवाओं में श्रेयसी सिंह का नाम काफी चर्चित है. वे राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी रह चुकी हैं और राजपूत समुदाय का प्रतिनिधित्व करती हैं. महिला और युवा चेहरे को आगे लाने की स्थिति में वे बेहद मजबूत विकल्प हो सकती हैं.
सम्राट फिर बन सकते हैं डिप्टी सीएम
ओबीसी समुदाय से आने वाले सम्राट चौधरी पहले भी प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और मौजूदा डिप्टी सीएम हैं. संगठन और कार्यकर्ताओं पर उनकी पकड़ के कारण वे भी दावेदारी में बहुत आगे माने जा रहे हैं.
कुल मिलाकर, बीजेपी के सामने कई विकल्प हैं और फैसला जातीय संतुलन, अनुभव और राजनीतिक रणनीति पर निर्भर करेगा.
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