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बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) को बड़ा आघात लगा है. पूर्व सांसद, विधायक और कई वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़कर शुक्रवार (10 अक्टूबर) को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में शामिल हो गए. पटना में तेजस्वी यादव की मौजूदगी में इन नेताओं ने लालटेन का दामन थामा.
आज पूर्णिया के पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा जी, जहानाबाद के घोषी से पूर्व विधायक राहुल शर्मा जी, बांका से जेडीयू सांसद गिरधारी यादव जी के बेटे चाणक्य प्रकाश जी, वैशाली से पूर्व प्रत्याशी अजय कुशवाहा जी हजारों समर्थकों के साथ आज राजद में शामिल हुए।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) October 10, 2025
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तेजस्वी यादव का नीतीश पर हमला
राजद नेता तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बिहार की सरकार अब नीतीश कुमार नहीं, बल्कि दिल्ली से भाजपा चला रही है. उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों ने जदयू के लिए खून-पसीना बहाया, आज उन्हें पार्टी में इज्जत नहीं मिल रही. भाजपा धीरे-धीरे जदयू को खत्म करने की साजिश कर रही है.’ तेजस्वी ने यह भी कहा कि जब पहले नीतीश कुमार को इस सच्चाई का एहसास हुआ था, तब उन्होंने राजद के साथ सरकार बनाई थी, लेकिन अब एक बार फिर उन्हें भाजपा ने ‘हाईजैक’ कर लिया है.
कई बड़े चेहरे RJD में शामिल
बता दें कि इस बार राजद में शामिल होने वाले नेताओं में कई नाम बड़े और प्रभावशाली हैं-
चाणक्य प्रकाश, बांका के जदयू सांसद गिरधारी यादव के बेटे हैं. पिता अभी नीतीश की पार्टी में सांसद हैं, लेकिन बेटा अब तेजस्वी यादव के साथ आ गया है. यह जदयू में अंदरूनी असंतोष का बड़ा संकेत माना जा रहा है.
संतोष कुशवाहा, पूर्णिया के पूर्व सांसद हैं. उन्होंने भाजपा से राजनीति की शुरुआत की थी और बाद में जदयू में आए. अब उन्होंने तीसरी पारी राजद के साथ शुरू की है. सीमांचल क्षेत्र में उनका गहरा प्रभाव है, और माना जा रहा है कि वे मंत्री लेसी सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं.
अजय कुशवाहा, जिन्होंने पिछला विधानसभा चुनाव लोजपा (LJP) से वैशाली सीट से लड़ा था, अब राजद में शामिल हो गए हैं. उनके आने से वैशाली की राजनीति में नया समीकरण बन सकता है.
राहुल शर्मा, जदयू के वरिष्ठ नेता डॉ. जगदीश शर्मा के बेटे हैं. उनके पिता जहानाबाद जिले के प्रभावशाली नेता रहे हैं और कई बार विधायक व सांसद रह चुके हैं. अब राहुल शर्मा ने भी राजद का दामन थाम लिया है.
राजद में नई ऊर्जा
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, इन नेताओं के आने से राजद को चुनावी जमीन पर मजबूती मिलेगी, जबकि जदयू के लिए यह बड़ा झटका साबित होगा. सीमांचल और मगध जैसे क्षेत्रों में राजद का असर बढ़ सकता है. वहीं, नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के सामने अब वफादार नेताओं को रोकने और संगठन को संभालने की चुनौती खड़ी हो गई है.
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