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Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है. इस ऐलान के साथ ही राजनीतिक दलों के बीच खींचा तानी भी शुरू हो गई है. दरअसल सीट शेयरिंग को लेकर इन दिनों रार चल रही है. एनडीए की बात करें तो घटक दल अपनी-अपनी मांगों लेकर अड़े हुए हैं. इसमें एलजेपी आर के प्रमुख चिराग पासवान पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. क्योंकि चिराग पासवान चाहते हैं कि उनकी पार्टी को सम्मानजनक सीटें दी जाएं. वहीं एनडीए ने सीट बंटवारे को लेकर अहम बैठक आयोजित की है. इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है. दरअसल इस मामले पर चिराग पासवान का बड़ा अपडेट सामने आया है.
क्या बोले चिराग पासवान
बिहार में मतदान से पहले सीट शेयरिंग को लेकर उलझे पेंच के बीच हर किसी की नजर चिराग पासवान पर टिकी हुई हैं. चिराग पासवान ने अब तक इस मामले में चु्प्पी साध रखी थी. हालांकि बुधवार को उनकी पहली प्रतिक्रिया सामने आई है. चिराग पासवान ने कहा है कि समय आने पर सब कुछ साफ हो जाएगा. फिलहाल बैठक चल रही है और जल्द ही चीजें साफ हो जाएंगी.
#WATCH | पटना, बिहार: केंद्रीय मंत्री और भाजपा चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और सह-प्रभारी केशव प्रसाद मौर्य ने पटना स्थित पार्टी कार्यालय में भाजपा चुनाव समिति की बैठक की अध्यक्षता की। pic.twitter.com/V3XXivQoNh
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 8, 2025
चिराग ने रखी 43 सीट की डिमांड
चिराग ने गोल मोल जवाब दे दिया. अभी पत्ते नहीं खोले हैं. बता दें कि चिराग पासवान को लोकसभा चुनाव के दौरान 5 सीटें दी गई थीं. इन सभी सीटों पर चिराग पासवान ने जीत दर्ज की थी. अब उनका कहना है कि इस रिजल्ट के आधार पर उन्हें विधानसभा चुनाव में भी 43 सीट दी जाएं. चिराग का दावा है कि उन्हें जितनी सीटें दी जाएंगी वह उतनी पर जीत दर्ज कर सकते हैं. चिराग ने लोकसभा चुनाव में जिन पांस संसदीय क्षेत्रों में जीत दर्ज की उनमें हाजीपुर, जमुई, वैशाली, समस्तीपुर और खगड़िया प्रमुख रूप से शामिल हैं.
धर्मेंद्र प्रधान और विनोद तावड़े करेंग कर रहे विचार
चिराग की डिमांड को लेकर बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और विनोद तावड़े विचार कर रहे हैं. एनडीए की बैठक के बाद यह साफ हो पाएगा कि एनडीए इस बार चिराग के खाते में कितनी सीट देती है.
ओवैसी की पार्टी का विस्तार सीमांचल से मिथिलांचल तक
उधर, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी अब केवल सीमांचल तक सीमित नहीं रहना चाहते. उनकी पार्टी अब मिथिलांचल की चार विधानसभा सीटों जाले, बिस्फी, केवटी और दरभंगा पर भी उम्मीदवार उतारने की रणनीति बना रही है. यह विस्तार बताता है कि ओवैसी बिहार में राजनीतिक आधार बढ़ाने की दिशा में गंभीर हैं।
गठबंधन के भीतर संवाद की दरकार
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, गठबंधनों के भीतर की अंतर्कलह और दबाव की राजनीति उजागर हो रही है. सीटों की संख्या से ज्यादा अब सम्मान और साझेदारी की भावना राजनीतिक रिश्तों की कसौटी बन गई है.
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