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बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने बड़ा कदम उठाया है. पार्टी ने एक साथ 11 वरिष्ठ नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. इनमें पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक और पूर्व विधान पार्षद तक शामिल हैं. जदयू के प्रदेश महासचिव और मुख्यालय प्रभारी चंदन कुमार सिंह ने पत्र जारी कर इन सभी नेताओं के निष्कासन की घोषणा की. इस कार्रवाई के बाद पार्टी में हलचल मच गई है.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पार्टी विरोधी आचरण व गतिविधियों में संलिप्तता के कारण निम्न सदस्यों को निलंबित करते हुए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित किया जाता है।
— Janata Dal (United) (@Jduonline) October 25, 2025
यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। pic.twitter.com/cWB3518lLr
इन 11 नेताओं को जदयू से किया गया निष्कासित
पार्टी से निकाले गए नेताओं में प्रमुख नाम हैं- पूर्व मंत्री शैलेश कुमार (मुंगेर-जमालपुर), पूर्व विधायक श्याम बहादुर सिंह (सीवान-बड़हरिया), पूर्व विधान पार्षद संजय प्रसाद (जमुई-चकाई), पूर्व एमएलसी रणविजय सिंह (भोजपुर-बड़हरा) और पूर्व विधायक सुदर्शन कुमार (शेखपुरा-बरबीघा). इसके अलावा अमर कुमार सिंह (बेगूसराय-साहेबपुर कमाल), डॉ. आसमा परवीन (वैशाली-महुआ), लब कुमार (औरंगाबाद-नवीनगर), आशा सुमन (कटिहार-कदवा), दिव्यांशु भारद्धाज (पूर्वी चंपारण-मोतिहारी) और विवेक शुक्ला (सीवान-जिरादेई) को भी पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है.
पार्टी ने अपने पत्र में लिखा है कि इन नेताओं को ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों और अनुशासनहीन आचरण’ के कारण प्राथमिक सदस्यता से निलंबित करते हुए निष्कासित किया जाता है. यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा.
निर्दलीय बनकर चुनावी मैदान में उतरे बागी नेता
सूत्रों के मुताबिक, कई बागी नेताओं को इस बार टिकट नहीं मिला था, जिसके कारण वे नाराज हो गए और जदयू छोड़कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला लिया. पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण जदयू नेतृत्व ने सख्त कार्रवाई की. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी साफ कहा है कि ‘चुनाव से पहले अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.’
संगठन मजबूत करने की कोशिश में जदयू
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह कार्रवाई जदयू की ‘डैमेज कंट्रोल’ रणनीति का हिस्सा है. पार्टी अब केवल उन्हीं नेताओं के साथ आगे बढ़ना चाहती है जो विचारधारा और नेतृत्व के प्रति वफादार हों.
गौरतलब है कि जदयू इस बार 101 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि बीजेपी को भी 101 सीटें मिली हैं. एनडीए की अन्य सहयोगी पार्टियां शेष सीटों पर मैदान में हैं. नीतीश कुमार खुद इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन उनकी पार्टी ने एकजुटता का संदेश देने के लिए यह सख्त कदम उठाया है.
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