कोरोना वायरस (Corona Virus) के कारण बिहार में उच्च सदन के कई सदस्य वर्तमान से पूर्व सदस्य हो गए. जी हां, और इनमें विधान परिषद के सभापति समेत कई मंत्री भी शामिल हैं. 75 सदस्य वाले बिहार विधान परिषद की 17 सीटें खाली हो गई हैं. बुधवार को सदस्यों का आखिरी दिन था. इसके अलावा 24 मई को और 10 सीटें खाली हो जाएगी. बिहार (Bihar) के इतिहास में तीसरी बार परिषद बिना सभापति का हुआ है. चुनाव आयोग ने लॉक डाउन के कारण चुनाव पहले ही स्थगित कर दिया था. अब उच्च सदन और सदस्यों की निगाहें इस कोरोना संकट और लॉक डाउन पर टिकी हैं.
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दरअसल, मई में बिहार विधान परिषद में कुल 29 सीटों को भरा जाना था. 27 पार्षदों का कार्यकाल खत्म होने की वजह से और दो विधान पार्षद के लोकसभा चुनाव में सांसद चुने जाने की वजह से खाली हुई थीं. इन 29 विधान परिषद सीटों में से जिन 17 सीटों पर चुनाव होने थे, उनमें से 9 सीटें विधानसभा कोटे की हैं तो 8 स्नातक और शिक्षक कोटे की चार-चार सीटें चुनी जानी हैं. इसके अलावा 12 सीटों पर सदस्यों को राज्यपाल के द्वारा मनोनीत किए जाना है.
मई 2017 से कार्यकारी सभापति रहे हारूण रसीद सदस्यता समाप्त होने के चलते पद पर नहीं रह पाएंगे. परिषद के इतिहास में यह तीसरा अवसर होगा, जब दोनों पद खाली रहेंगे. इससे पहले सात मई 1980 से 13 जून 1980 एवं 13 जनवरी 1985 से 17 जनवरी 1985 तक दोनों पद खाली रहे थे. संविधान के अनुच्छेद 184 के प्रावधान के अनुसार ऐसी हालत में दोनों पदों की शक्तियां राज्यपाल में निहित हो जाती हैं.
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शिक्षक एवं स्नातक निर्वाचन क्षेत्र :
नीरज कुमार- स्नातक पटना, देवेश चंद्र ठाकुर- स्नातक तिरहुत, दिलीप कुमार चौधरी- स्नातक दरभंगा, एनके यादव- स्नातक कोसी, नवल किशोर यादव- शिक्षक पटना, संजय कुमार सिंह- शिक्षक तिरहुत, केदारनाथ पांडेय- शिक्षक सारण, मदन मोहन झा- शिक्षक दरभंगा निर्वाचन क्षेत्र.
विधायकों के वोट से चुने गए सदस्य :
अशोक चौधरी, हारूण रशीद, पीके शाही, सतीश कुमार, सोनेलाल मेहता एवं हीरा प्रसाद बिंद (जदयू), कृष्ण कुमार सिंह, संजय मयूख, राधामोहन शर्मा (भाजपा).
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