रियो ओलंपिक में यूं ही नहीं मिला था कांस्य पदक, साक्षी मलिक ने दिन-रात की थी मेहनत
रेपेचेज राउंड में साक्षी किर्गिस्तान की अइसुलू टी. के खिलाफ 0-5 से पीछे चल रही थीं लेकिन बाद में उन्होंने वापसी करते हुए 8-5 से मुकाबला जीता और अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज कराने में सफल रहीं.
नई दिल्ली:
भारत के लिए ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली पहली पहलवान साक्षी मलिक ने बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु के साथ रियो ओलंपिक में मिले कांस्य के पीछे के मेहनत की कहानी को साझा किया है. सिंधु के शो-द ए गेम में मलिक ने कहा कि रियो ओलंपिक 2016 से पहले की तीन महीने की मेहनत उनके लिए काफी अहम साबित हुई.
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साक्षी ने कहा, "रियो से पहले हमने विदेश में तीन महीने मेहनत की थी. हमने अलग-अलग देशों के पार्टनर्स के साथ ट्रेनिंग की थी. मेरी वर्ल्ड चैम्पियनशिप और ओलंपिक में पदक जीतने वाली खिलाड़ियों के साथ भिड़ंत हुई थी. मैंने इस दौरान कई तकनीक सीखी और यह मेरे काम आया. उस कैम्प ने मुझे जरूरी एक्सपोजर दिया और इसी के दम पर मैं ओलंपिक में पदक जीतने में सफल रही."
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रेपेचेज राउंड में साक्षी किर्गिस्तान की अइसुलू टी. के खिलाफ 0-5 से पीछे चल रही थीं लेकिन बाद में उन्होंने वापसी करते हुए 8-5 से मुकाबला जीता और अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज कराने में सफल रहीं.
साक्षी ने कहा, "मैं जानती थी कि 0-5 का स्कोर मेरे लिए अच्छा नहीं है लेकिन चूंकी मेरे पास काफी समय था, लिहाजा मैं कमबैक को लेकर आश्वस्त थी. मैंने इससे पहले के मैचों में भी कमबैक किया था. मेरे कोच कुलदीप सर ने मुझे बार-बार कहा कि मैं अपना खेल खेलूं और फिर मैंने अटैकिंग कुश्ती खेली और जीत हासिल करने में सफल रही."
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