अमेरिका, चीन और यूके ही क्यों जीतते हैं ओलंपिक में ज़्यादा मेडल, यहां जानें
अमेरिका ओलंपिक के लिए एथलीटों पर 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करता है. ब्रिटेन हर साल ट्रेनिंग पर 11 हजार करोड़ रुपये खर्च करता है. चीन ओलंपिक खिलाड़ियों की ट्रेनिंग पर 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करता है.
नई दिल्ली:
हर 4 साल के बाद आने वाले ओलंपिक में जब हम तुलना करते हैं तो सबसे ज्यादा पदक जीतने वाले देशों में भारत बहुत ही पीछे रहता है. जबकि चीन, अमेरिका और यूके पदक तालिका में शीर्ष क्रम पर रहते हैं. तो आज हम आपको बताएंगे इसके पीछे की वजह. अमेरिका ओलंपिक के लिए एथलीटों पर 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करता है. ब्रिटेन हर साल ट्रेनिंग पर 11 हजार करोड़ रुपये खर्च करता है. चीन ओलंपिक खिलाड़ियों की ट्रेनिंग पर 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करता है. आपको बता दें कि इन देशों में सिर्फ सरकार ही नहीं, प्राइवेट कंपनियां अपने खिलाड़ियों को सपोर्ट करते हैं. इस सपोर्ट से खिलाड़ियों को डाइट से लेकर अन्य संसाधनों के लिए आर्थिक मदद मिल जाती है. ब्रिटेन, रूस, जापान, अमेरिका और चीन जैसे देशों के लगभग हर बड़े शहर में खेल की बुनियादी सुविधाएं हैं.
अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं से लैस
इन देशों के स्टेडियम अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं से लैस होते हैं. इनके इक्विपमेंट, हाइ परफॉर्मेंस सेंटर, बायोमैकेनिक्स सेंटर शामिल हैं. अमेरिका में 130 इंस्टीट्यूट में स्पोर्ट्स स्टडीज़ की पढ़ाई होती है. चीन में 100 से ज्यादा इंटरनेशनल स्तर के स्टेडियम मौजूद है. चीन में 25 स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी और 50 से ज़्यादा इंस्टीट्यूट में खिलाड़ियों के लिए स्पोर्ट्स स्टडीज की सुविधा हैं. हर खेल के विज्ञान को समझते हुए खिलाड़ियों को तैयार किया जाता है. इसके लिए स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी और स्पोर्ट्स रिसर्च सेंटर बनाये गये हैं. चीन में सख्ती बरती जाती है, कम उम्र से ही ओलिंपिक के लिए तैयार किया जाता है.
यूएस, यूके और चीन के मुक़ाबले भारत में खेलों पर कम ख़र्च
केंद्र सरकार ने 2021-22 के लिए खेल और युवा कार्य मंत्रालय को 2,596.14 करोड़ का बजट दिया. स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया को 660.41 करोड़ का बजट दिया. खेल मंत्रालय के फ्लैगशिप स्कीम खेलो इंडिया के लिए 660.41 करोड़ रूपये दिए. भारत में कुल 8 बड़े स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी ही मौजूद हैं.
ओलंपिक में भारत ऐसे शामिल हो सकता है टॉप 10 देशों में
ओलम्पिक में देश की रैंकिंग के लिए भारत को 30 से ज़्यादा मेडल जितने होंगे. भारत को ओलंपिक मुकाबलों में खुद को टॉप-10 देशों में शामिल होने के लिए अगले 15 सालों तक ख़ास स्ट्रेटजी बनानी होगी. भारत को कुछ ख़ास स्पोर्ट्स इवेंट पर फोकस करना होगा. इन इवेंट्स में ही 80 गोल्ड और कुल 240 मेडल हैं. भारत ने अगर अभी से अगले 15 सालों की तैयारी शुरू की तो टारगेट अचीव हो सकता है. भारत 2036 के ओलंपिक में टॉप 10 कंट्री की लिस्ट में शामिल हो सकता है. टोक्यो ओलंपक में भारत 7 मेडल जीतकर 48वें नंबर पर रहा है.
टॉप-10 में जगह बनाने के लिए जीतने होंगे 30 से ज़्यादा मेडल
भारत को कम से कम 10 गोल्ड जितना होगा. भारतीय टीम आर्चरी में बेहतर कर सकती है. इस कैटेगरी में महिला, पुरुष और मिक्स कैटेगरी मिलकर कुल 5 इवेंट है, 15 गोल्ड भारतीय टीम शूटिंग में अच्छा कर सकती है, भारत इस इवेंट में गोल्ड जीत चुका है, महिला, पुरुष और मिक्स कैटेगरी मिलकर कुल 15 इवेंट है, यानी 15 गोल्ड बॉक्सिंग में भारतीय टीम अच्छा कर सकती है, हम मेडल जीत चुके हैं, महिला, पुरुष और मिक्स कैटेगरी मिलकर कुल 13 इवेंट है, यानी 13 गोल्ड टोक्यो ओलम्पिक में गोल्फ में भी अच्छा प्रदर्शन कर भारत ने सबको चौंकाया है. इसमें दो इवेंट हैं, यानी 2 गोल्ड हॉकी में हम बेहतर कर सकते हैं, पुरुष और महिला हॉकी टीम मज़बूत दावेदार है, इसमें दो इवेंट हैं, पुरुष और महिला यानी 2 गोल्ड. वेटलिफ्टिंग में भारत बेहतर कर सकता है, वेटलिफ्टिंग में कुल 14 इवेंट हैं यानी 14 गोल्ड. कुश्ती में भारत से सबसे बेहतर की उम्मीद होती है, इस में कुल 18 इवेंट हैं, यानी 18 गोल्ड जेवलिन थ्रो में भारत मज़बूत दावेदार है, इस में एक गोल्ड है डिसकस थ्रो में भी भारत बेहतर कर सकता है.
हरियाणा खेल में बेहतर क्यों
टोक्यो ओलंपिक में भारत के कुल 127 खिलाडियों ने हिस्सा लिया था. 127 में से अकेले हरियाणा से कुल 31 खिलाड़ी शामिल हुए थे. देश की आबादी में हरियाणा की हिस्सेदारी महज 2 फीसदी है. ओलम्पिक टीम में हरियाणा की हिस्सेदारी 25% थी. टोक्यो ओलम्पिक में भारत ने सिंगल मुक़ाबले में कुल 6 मेडल जीते, एक मेडल हॉकी में जीता. हरियाणा के खिलाडियों ने कुल 3 मेडल जीते. भारत की तरफ से जीते गए कुल मेडल का 50% हरियाणा के खिलाडियों ने जीता महिला हॉकी टीम में 9 खिलाड़ी हरियाणा की थीं. कुल 7 रेसलर थे जिनमें 4 महिला और 3 पुरुष थे. कुल 4 बॉक्सर थे 3 पुरुष और 1 महिला बॉक्सर कुल 2 शूटर थे. 2 पुरुष और 2 महिला शूटर. एथलेटिक्स के जेवलिन थ्रो में नीरज चोपड़ा हरियाणा के हैं.
हरियाणा बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर
हरियाणा सरकार खेल और खिलाडियों को सबसे ज़्यादा प्रोत्साहन देती है. ओलम्पिक में मेडल जितने पर सबसे ज़्यादा इनाम राशि का ऐलान हरियाणा सरकार ने ही किया था. ओलम्पिक में गोल्ड पर 6 करोड़, सिल्वर पर 4 करोड़ और ब्रॉन्ज़ पर ढाई करोड़ इनाम की की घोषणा की थी. हरियाणा में शिक्षा खेल कला संस्कृति को एक ही मंत्रालय में रखा गया है. इस मंत्रालय का 2021-22 का कुल बजट 17614.89 करोड़ रूपये था. हरियाणा में ग्रामीण से लेकर
शहरी स्तर के कुल 245 स्टेडियम हैं
इन स्टेडियम में फुलटाइम कोच की सुविधा मौजूद है. हरियाणा सरकार स्पोर्ट्स में रूचि लेने वाले छात्रों को स्कॉलरशिप देती है. खेल से जुड़े सेमीनार, कांफ्रेंस का आयोजन होता रहता है. अलग-अलग खेलों से जुड़े स्पोर्ट्स कम्पटीशन होते रहते हैं. सरकार प्रचार प्रसार माध्यम का सहारा लेकर खेल के प्रति युवाओं को जागरूक करने के कई प्रोग्राम चलाती है
2036 ओलम्पिक की दावेदारी पेश करेगा भारत?
टोक्यो ओलम्पिक में भारत के अब तक सबसे बेहतर प्रदर्शन के बाद देश में ओलम्पिक को लेकर माहौल बना है. लोगों के ज़ेहन में ये सवाल है की क्या भारत कभी ओलम्पिक का आयोजन कराने वाले देश की फेहरिस्त में शामिल हो सकेगा. अभी 2024, 2028, 2032 तक के ओलम्पिक आयोजन के लिए होस्ट कंट्री का चुनाव हो चुका है. 2024 ओलम्पिक पेरिस, 2028 ओलम्पिक लॉस एंजेलिस और 2032 ओलम्पिक ब्रिस्ब्रेन में होना है. 2036, 2040 और 2044 ओलम्पिक आयोजन के लिए अभी बिड होना बाक़ी है. भारत के पास 2036 का ओलम्पिक आयोजन की दावेदारी पेश करने का मौक़ा है
2036 के ओलंपिक खेलों के लिए बोली 2026 से शुरू होगी.
तैयारी शुरू हो चुकी है
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने गुजरात के अहमदाबाद में बन रहे स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है. माना जा रहा है कि ओलंपिक 2036 की तैयारियों के तहत अहमदाबाद में वर्ल्ड क्लास स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स तैयार किया जा रहा है. अभी तक ओलंपिक 2036 के लिए बोलियां नहीं खुली हैं, लेकिन भारत इसके लिए दांव लगा सकता है. साल 2020 का ओलंपिक इस बार 2021 में खेला गया, जो जापान के टोक्यो में खेला गया. इसके बाद के तीन ओलंपिक 2024, 2028, 2032 के लिए बोली पहले ही लग चुकी है. जो पेरिस, लॉस एंजेलिस और ब्रिस्ब्रेन में खेले जाने हैं. इसके बाद 2036, 2040 और 2044 ओलंपिक के लिए बिडिंग होगी, जिसमें भारत भी अपनी किस्मत आजमा सकता है.
भारत ने अभी तक किसी भी ओलंपिक का आयोजन नहीं किया है
गुजरात ने 2036 के ओलिंपिक की मेजबानी की तैयारियां शुरू कर दी हैं,अहमदाबाद-गांधीनगर में इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने की तैयारी जारी है. अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण (औडा) ने ओलिंपिक मानक के मुताबिक़ स्पोर्ट्स और नॉन स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर गैप के एनालिसिस के लिए टेंडर जारी कर चुका है. ओलंपिक को ध्यान में रखते हुए अहमदाबाद में 3 तरह से इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है- स्पोर्टिंग फैसेलिटी, ट्रेनिंग फैसेलिटीज और नॉन स्पोर्टिंग फैसेलिटी.
अहमदाबाद में पहले ही कई तरह की वर्ल्ड क्लास स्पोर्टिंग फैसेलिटीज मौजूद हैं। यहां मोटेरा में दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम और सरदार पटेल स्पोर्टिंग कॉम्प्लेक्स है जहां कम से कम बीस इनडोर और आउटडोर स्पोर्ट्स के लिए फैसेलिटिज मुहैया हो सकती हैं। इसके साथ-साथ अहमदाबाद के नारायणपुरा में 600 करोड़ रुपये की लागत से स्पोर्ट्स कॉम्प्लैक्स तैयार हो रहा है. सरदार पटेल स्पोर्टिंग कॉम्प्लेक्स में एक स्पोर्ट्स विलेज बन रहा है जिसमें 2 से 4 बेडरूम वाले 3,000 से ज्यादा अपार्टमेंट होंगे। इसमें एक बार में 12,500 से ज्यादा मेहमान ठहर सकते हैं। इनमें से कई अपार्टमेंट रिवर फ्रंट व्यू वाले होंगे और विलेज कॉम्प्लेक्स में एंटरटेनमेंट स्पेस, होटल और रिटेल आउटलेट्स भी होंगे। यहां 7,500 कारों और 15,000 दोपहिया वाहनों के लिए पार्किंग की जगह होगी. 2036 के ओलंपिक खेलों के लिए बोली 2026 से शुरू होगी। चूंकि अब मुश्किल से 5 साल बचे हैं, इसलिए निर्माण और डिजाइन का काम युद्ध स्तर पर जारी है.
ओलम्पिक पर अरबों डॉलर का ख़र्च
2020 टोक्यो ओलम्पिक पर कुल ख़र्च $15.4 अरब डालर
2016 रियो ओलम्पिक पर कुल ख़र्च $14 अरब डालर
2012 लंदन ओलम्पिक पर कुल ख़र्च $15 अरब डॉलर
2008 बीजिंग ओलम्पिक पर कुल ख़र्च $7 अरब डॉलर
भारत के पास दावेदारी पेश करने की वजह
भारत अब तक कॉमनवेल्थ गेम , एशियाई खेलों और फीफा अंडर-17 विश्व कप जैसी बड़ी खेल प्रतियोगिताओं की मेजबानी सफलतापूर्वक कर चुका है. भारत ने अभी तक 1951 व 1982 में एशियन खेलों की मेजबानी की है. साथ ही 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी भी की है. इंडियन ओलम्पिक एसोसिएशन के प्रेजिडेंट नरेंद्र बत्रा ने 2018 में कहा था की भारत 2036 ओलंपिक की मेजबानी के लिए दावेदारी पेश करेगा
कैसे मिलती है ओलिंपिक की मेजबानी
किसी भी देश को ओलिंपिक की मेजबानी खेलों के आयोजन से 7 साल पहले दे दी जाती है. मेजबानी एक शहर को मिलती है. दावेदारी करने वाले शहर की 10 महीने की ऑडिट की जाती है. उस शहर की भीड़ सहन करने की क्षमता, ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, सिक्योरिटी और स्पोर्ट्स फैसेलिटी का आंकलन होता है. इसमें दावेदारी के साथ मोटी रकम एप्लीकेशन फीस के रूप में जमा करानी होती है. दावेदारी के लिए सालों की सावधानीपूर्वक और ध्यान से की गई प्लानिंग चाहिए होती है. मेजबानी हासिल करने की प्रक्रिया के तहत सबसे पहले आमंत्रण मांगे जाते हैं. दावा करने वाले को अपना विजन, गेम्स कॉन्सेप्ट और स्ट्रेटजी पेश करनी होती है. दावेदार का अनुभव आंका जाता है. दावेदारी पर फैसले के लिए एक विश्लेषण आयोग बनाया जाता है. ये आयोग पूरा अध्ययन करता है. जो बेहतर दावेदार होता है उसे चुना जाता है.
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