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vivo IPL के खिलाफ स्‍वदेशी जागरण मंच, T20 लीग का किया बहिष्‍कार! जानिए पूरी डिटेल

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के लिए चीनी प्रायोजकों के साथ बने रहने के बीसीसीआई के फैसले पर हैरानी जताते हुए आरएसएस से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच ने कहा कि लोगों को इस T20 क्रिकेट लीग का बहिष्कार करने पर विचार करना चाहिए.

Updated on: 04 Aug 2020, 07:51 AM

New Delhi:

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) (IPL 2020) के लिए चीनी प्रायोजकों के साथ बने रहने के बीसीसीआई (BCCI) के फैसले पर हैरानी जताते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) (RSS ) से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) (SJM) (Swadeshi Jagran Manch) ने सोमवार को कहा कि लोगों को इस T20 क्रिकेट लीग का बहिष्कार करने पर विचार करना चाहिए. एसजेएम के सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने एक बयान में कहा कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) और आईपीएल की संचालन समिति ने चीनी सैनिकों के साथ झड़प में शहीद हुए भारतीय सैनिकों का अनादर किया है. अश्वनी महाजन ने कहा कि जब देश अर्थव्यवस्था को चीनी प्रभुत्व से मुक्त बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है, सरकार चीन को हमारे बाजारों से दूर रखने के लिए सभी प्रयास कर रही है, ऐसे में आईपीएल यह फैसला देश की जनभावना के खिलाफ है. 

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अश्वनी महाजन ने साफ तौर पर कहा कि लोगों को इस क्रिकेट लीग का बहिष्कार करने पर विचार करना चाहिए. उन्होंने बीसीसीआई और आईपीएल के आयोजकों से चीनी कंपनियों के साथ बने रहने के फैसले पर विचार करने की सलाह देते हुए कहा कि देश की सुरक्षा और गरिमा से बढ़कर कुछ भी नहीं है. आईपीएल संचालन समिति ने रविवार को टूर्नामेंट के प्रमुख प्रायोजकों के रूप में चीनी कंपनियों के साथ बने रहने का फैसला किया था. चीनी मोबाइल फोन निर्माता कंपनी वीवो इस आईपीएल की ‘टाइटल’ प्रायोजक है. वीवो ने पांच साल के इस करार के लिए बीसीसीआई को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है.

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उधर रविवार को आईपीएल गवर्निंग काउंसिल की बैठक के बाद बीसीसीआई की ओर से कहा गया था कि इस साल यानी आईपीएल 2020 में प्रायोजक अनुबंध में कोई बदलाव नहीं होगा जिसकी जानकारी शनिवार को दे दी गई थी. बीसीसीआई का कहना था कि मौजूदा वित्तीय कठिन परिस्थितियों को देखते हुए इतने कम समय में बोर्ड के लिए नया प्रायोजक ढूंढना मुश्किल होगा. बता दें कि इसी साल जून में पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेना के बीच हुई भिड़ंत के बाद चीनी प्रायोजन बड़ा मुद्दा बन गया था. बीसीसीआई ने इसके बाद करार की समीक्षा का वादा किया था. लेकिन अब इसमें कोई बदलाव न करने का फैसला किया गया है, जो लोगों के गले नहीं उतर रहा है.

(एजेंसी इनपुट)