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IPL में क्‍वालीफायर और एलीमनेटर क्‍या है, सबसे आसान भाषा में समझिए 

आईपीएल 2020 के लीग मैच अब खत्‍म होने को हैं, इसके बाद क्‍वालीफायर और एलीमनेटर हैं. आईपीएल में पिछले कई साल से क्‍वालीफायर और एलीमनेटर हो रहे हैं, लेकिन बहुत से लोग इसका मतलब नहीं समझ पाते.

Updated on: 03 Nov 2020, 04:22 PM

नई दिल्‍ली :

आईपीएल 2020 के लीग मैच अब खत्‍म होने को हैं, इसके बाद क्‍वालीफायर और एलीमनेटर हैं. आईपीएल में पिछले कई साल से क्‍वालीफायर और एलीमनेटर हो रहे हैं, लेकिन बहुत से लोग इसका मतलब नहीं समझ पाते. वैसे तो क्रिकेट की दुनिया में क्‍वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल होते हैं, लेकिन आईपीएल में क्‍वालीफायर और एलीमनेटर होते हैं. हालांकि आईपीएल में भी पहले सेमीफाइनल ही होते थे, जिसमें पहले और तीसरे नंबर की टीमें आपस में भिड़ती थीं, वहीं दूसरी ओर दूसरे और चौथे नंबर की टीमों के बीच मैच होता था, इन दोनों मुकाबलों में जीतने वाली टीम के बीच फाइनल होता था, लेकिन पिछले कुछ साल से इसमें बदलाव हो गया है. 

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क्‍वालीफायर और एलीमनेटर होने से पहले दो नंबर पर रहने वाली टीमों को काफी फायदा होता है. इन दोनों टीमों को फाइनल में पहुंचने के लिए दो मौके मिलते हैं, अगर एक भी मैच टीम जीत जाती है तो वो टीम फाइनल में पहुंच जाती है. लेकिन तीसरे और चौथे नंबर की टीम के लिए फाइनल में पहुंचने काफी मुश्‍किल होता है, एक भी मैच हार जाने के बाद टीम की कहानी वहीं पर खत्‍म हो जाती है. चलिए अब आपको विस्‍तार से क्‍वालीफायर और एलीमनेटर के बारे में बताते हैं.

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आईपीएल में आठ टीमें खेलती हैं. सभी टीमें एक दूसरे से दो दो मैच खेलती हैं, इस तरह से सभी टीमों को लीग चरण में 14-14 मैच खेलने के लिए मिलते हैं. हर जीत पर टीमों को दो अंक मिलते हैं, हार पर कुछ भी नहीं मिलता है. जब सभी लीग चरण पूरे हो जाते हैं यानी सभी टीमें अपने अपने 14 मैच खेल लेती हैं तो टॉप की चार टीमें सामने आ जाती हैं. पहले तो अंक के आधार पर टॉप फोर का पता चलता है, लेकिन अगर अंक समान हो जाते हैं तो फिर नेट रन रेट के आधार पर पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे नंबर की टीम का चयन होता है. लीग चरण के तुरंत बाद एक ही दिन का गैप होता है, इसके बाद पहले और दूसरे  नंबर की टीम के बीच मैच होता है. इसे क्‍वालीफायर वन कहते हैं. इस मैच में जो भी टीम जीतती है वो सीधे फाइनल में प्रवेश कर जाती है, लेकिन जो टीम हारती है, वो अभी पूरी तरह से बाहर नहीं होती. इस बात को अभी आगे बढ़ाएंगे, लेकिन पहले एलीमनेटर की बात करते हैं. 

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क्‍वालीफायर वन के बाद एलीमनेटर होता है, जो तीसरे और चौथे नंबर पर रहने वाली टीमों के बीच होता है. इस मैच में जो टीम जीतती है, वो आगे बढ़ जाती है और जो टीम हार जाती है, उसकी कहानी यहीं पर खत्‍म हो जाती है. इसके बाद आता है क्‍वालीफायर दो. क्‍वालीफायर दो में उन दो टीमों के बीच मैच होता है, जो पहले क्‍वालीफायर में हार गई थी और दूसरी टीम वो होती है, जो एलीमनेटर में जीतती है. इस मैच में जो भी टीम जीतती है, वो फाइनल में पहुंच जाती है. 
अगर इसको संक्षेप में समझें तो पहले दो नंबर पर रहने वाली टीम को फाइनल में पहुंचने वाली टीम को फाइनल में पहुंचने के लिए दो मौके मिलते हैं, जैसे ही टीम जीतती है, वो फाइनल में पहुंच जाती है, वहीं तीसरे और चौथे नंबर पर रहने वाली टीम को दो मैच जीतने होते हैं, उसके बाद उसे फाइनल की जगह मिलती है.