कैंसर से पिता और सांप काटने से भाई की मौत, मां की जिद्द ने बनाया Archana Devi को क्रिकेटर

18 साल की अर्चना देवी का क्रिकेट सफर काफी मुश्किलों और बलिदानों से भरा है. उन्नाव जिले के एक छोटे से गांव रतई पुरवा की रहने वाली अर्चना जब चार साल की थीं तो उनके पिता की कैंसर की वजह से मौत हो गई.

18 साल की अर्चना देवी का क्रिकेट सफर काफी मुश्किलों और बलिदानों से भरा है. उन्नाव जिले के एक छोटे से गांव रतई पुरवा की रहने वाली अर्चना जब चार साल की थीं तो उनके पिता की कैंसर की वजह से मौत हो गई.

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Roshni Singh
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Archana Devi( Photo Credit : Social Media)

Who is Archana Devi: भारतीय महिला टीम (Indian Women's Team) ने अंडर-19 टी20 वर्ल्ड कप 2023 (U-19 T20 World Cup 2023) जीतकर इतिहास रच दिया. साउथ अफ्रीका (South Africa) के पोचेफस्ट्रूम में खेले गए फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम ने इंग्लैंड (England) को 7 विकेट से शिकस्त दी. यह पहली बार है जब भारतीय महिला टीम सीनियर हो या जुनियर वर्ल्ड कप चैंपियन बनी है. भारतीय टीम की जीत में अर्चना देवी की मुख्य भूमिका रही. ऑफ स्पिनर अर्चना देवी (Archana Devi) ने फाइनल मुकाबले में शानदार खेल दिखाते हुए तीन ओवरों में 17 रन देकर दो  विकेट चटकाए.

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18 साल की अर्चना देवी का क्रिकेट सफर काफी मुश्किलों और बलिदानों से भरा है. उन्नाव जिले के एक छोटे से गांव रतई पुरवा की रहने वाली अर्चना जब चार साल की थीं तो उनके पिता की कैंसर की वजह से मौत हो गई. उसके बाद उनके भाई की भी सांप काटने से सांप काटने से मौत हो गई. जिसके बाद उनकी मां सावित्री देवी को डायन कहा गया. लेकिन उनकी मां की जिद्द ने अर्चना के क्रिकेटर बनने के सपनों को जिंदा रखा. 

अर्चना देवी का क्रिकेट सफर

सावित्री देवी बेटी के सपनों को साकार करने के लिए खेतों में मजदूरी भी की. उन्होंने अपनी बेटी को गांव से 345 किलोमीटर दूर मुरादाबाद में लड़कियों के बोर्डिंग स्कूल कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में एडमिशन करवाया. ऐसा करने के बाद आस पड़ोस के लोगों ने उन्हें अपनी बेटी को गलत धंधे में डालने का आरोप लगाते और ताना मारते थे लेकिन उन्होंने किसी की परवाह नहीं किया. अर्चना की मां सावित्री को क्रिकेट के बारे में कुछ नहीं पता, लेकिन अपनी बेटी की उपलब्धि पर उन्हें गर्व है. 

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सावित्री ने कहा, 'क्रिकेट के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती हूं, लेकिन अपनी बिटिया को मैदान पर खेलते देख बहुत खुश हूं. रविवार रात उसने फोन पर बात करते हुए कहा था कि अम्मा हम जीत गए. तब से मन बहुत खुश हैं, काश उसके बापू भी इस खुशी में शामिल होते. कल रात से गांव में लड्डू बांट रहे हैं और जब लौटेगी तो और लडडू बांटेंगे.' 

अर्चना की इस सफलता में गंजमुरादाबाद स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की शिक्षिका पूनम गुप्ता का बड़ा योगदान है, जिन्होंने उनकी खेल प्रतिभा को पहचाना. आठवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद पूनम अर्चना को कानपुर में कपिल पांडेय के पास ले गई. कपिल पांडेय टीम इंडिया के स्टार स्पिनर कुलदीप यादव के भी कोच रह चुके हैं. 

अर्चना जब कानपुर में गई तो उनके पास रहने खाने को कोई ठिकाना नहीं था. जिसके बाद कपिल पांडे ने पूनम और कुछ अन्य लोगों के सहयोग से कानपुर की जेके कालोनी में किराए पर एक कमरा दिलवा कर उनके रहने और खाने का इंतजाम करवाया. इसके बाद कुलदीप यादव ने उन्हें क्रिकेट किट दिलवाई. टीम के जीत के बाद कोच कपिल पांडे ने कहा, 'जब कुलदीप कानपुर में होते तो वह अर्चना सहित अन्य बच्चों के साथ अभ्यास करते और उन्हें क्रिकेट की बारीकियां सिखाते. पहले अर्चना मध्यम तेज गेंदबाजी करती थी लेकिन बाद में मैंने उसे ऑफ स्पिन डालने को कहा और फिर वह एक अच्छी ऑफ स्पिनर बन गई.'

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