बीसीसीआई युवा खिलाड़ियों को काफी बढ़ावा देती है. उसी कड़ी में उन्होंने इंग्लैंड सीरीज के बीच हरियाणा के 24 वर्षीय पेसर अंशुल कम्बोज को टीम इंडिया में जगह दी है. वह चोटिल होकर टीम से बाहर होने वाले ऑलराउंडर नीतीश कुमार रेड्डी को रिप्लेस करेंगे.
अंशुल ने हाल ही में इंग्लैंड लायंस के खिलाफ इंडिया ए के लिए शानदार गेंदबाजी की थी. इसके अलावा वह डोमेस्टिक क्रिकेट में भी अपना लोहा मनवा चुके हैं. पिछले साल रणजी ट्रॉफी में केरल के खिलाफ एक मैच में राइट हैंड पेसर ने अकेले ही पूरी टीम को समेट दिया था.
अंशुल कम्बोज ने जब चटकाए 10 विकेट
पिछले साल रणजी ट्रॉफी के तहत हरियाणा और केरल के बीच मुकाबला खेला जा रहा था. केरल टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी. हालांकि इस टीम के ऊपर अंशुल कम्बोज कहर बनकर टूटे. उन्होंने सभी 10 विकेट झटककर केरल को 291 रनों पर समेट दिया.
इस दौरान दाएं हाथ के तेज गेंदबाज ने 30.1 ओवर की गेंदबाजी की. जिसमें इस खिलाड़ी ने महज 49 रन खर्चे. अंशुल ने 9 मेडन डाले. यह मुकाबला ड्रॉ पर समाप्त हुआ.
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ग्लेन मैकग्रा को मानते हैं अपना आदर्श
पहली बार टीम इंडिया में चुने जाने वाले अंशुल कम्बोज ऑस्ट्रेलिया के पूर्व महान गेंदबाज ग्लेन मैकग्रा को अपना आदर्श मानते हैं. उन्होंने स्टार स्पोर्ट्स के साथ बातचीत के दौरान इसका खुलासा किया. उन्होंने बताया कि वह मैकग्रा की वीडियोज देखकर सीखते थे.
"शुरू से ही क्रिकेट काफी अच्छा लगता था. मेरे पापा को भी ये खेल काफी पसंद था. जब भी मुझे समय मिलता था, मैं लोकल टूर्नामेंट में खेलने चला जाता था. 12 साल का था तब से प्रोफेशनल क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. बचपन से मेरी कोशिश थी कि मैं एक फास्ट बॉलर बनूं. मेरे करियर में पिता का योगदान काफी ज्यादा है. उन्होंने और मेरे पूरे परिवार ने काफी सपोर्ट किया है. तमाम कोच का भी मुझे पूरा समर्थन मिला".
"जब आपको इस तरह का सपोर्ट मिलता है, तो मेहनत करने में मजा आता है. जब क्रिकेट शुरू की, तब प्रैक्टिस के लिए गांव से शहर जाना पड़ता था. जिसमें मुझे एक घंटा जाने और एक घंटा आने में लगता था. तो कोशिश यही थी कि ज्यादा से ज्यादा समय क्रिकेट को दे सकूं. सीखने के लिए ग्लेन मैकग्रा के वीडियोज देखता था. उनसे निरंतरता सीखने की कोशिश करता था. अपनी गेंदबाजी में मैं हमेशा सही लाइन लेंथ पर गेंद फेंकने पर फोकस करता हूं".
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