एमएस धोनी गोलकीपर बनना चाहते थे, इस खिलाड़ी लक्ष्य कुछ और ही था, जानें यहां
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान एमएस धोनी के आप बहुत बड़े फैन हैं और उनको इस वक्त मैदान पर मिस भी कर रहे होंगे. साथ ही आप यह भी जानते ही होंगे कि एमएस धोनी शुरुआत में क्रिकेटर नहीं बनना चाहते थे, बल्कि वे फुटबाल खेला करते थे.
New Delhi:
टीम इंडिया (Team India) के पूर्व कप्तान एमएस धोनी (MS Dhoni) के आप बहुत बड़े फैन हैं और उनको इस वक्त मैदान पर मिस भी कर रहे होंगे. साथ ही आप यह भी जानते ही होंगे कि एमएस धोनी (Mahendra Singh Dhoni) शुरुआत में क्रिकेटर नहीं बनना चाहते थे, बल्कि वे फुटबाल खेला करते थे और फुटबाल में ही अपना करियर बनाना चाहते थे. लेकिन बाद में उनकी जिंदगी में ऐसा कुछ हुआ कि वे फुटबाल से अलग होकर क्रिकेट में आ गए और उसके बाद टीम इंडिया में भी शामिल हो गए. टीम इंडिया के लिए विकेटकीपिंग करने वाले एमएस धोनी फुटबाल में गोलकीपर हुआ करते थे. वहीं क्रिकेट आकर वे विकेट कीपर हो गए. कैसे फुटबाल से वे क्रिकेट में आए, इसकी कहानी काफी हद तक आपने उन पर बनी फिल्म एमएस धोनी अनटोल्ड स्टोर में देखी भी होगी. आज हम धोनी के फुटबाल और क्रिकेट कनेक्शन की बात कर क्यों रहे हैं.
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भारतीय फुटबाल टीम के गोलकीपर गुरप्रीत सिंह संधू का मानना है कि जब खेल टीवी पर वापसी करेंगे चाहे वो खाली स्टेडियम में ही बिना दर्शकों के खेले जाएं, तभी लोग थोड़ा अच्छा महसूस करेंगे. जर्मनी की फुटबाल लीग शनिवार से चालू हो रही है. कोरोनावायरस के कारण इसे स्थगित रखा गया था, हालांकि इसके मैच बिना दर्शकों के खाली स्टेडियम में खेले जाएंगे, लेकिन टीवी पर लोग इसे आसानी से देख सकेंगे. गुरप्रीत सिंह संधू ने कहा कि अगर बिना दर्शकों के खाली स्टेडियम में खेलना नया चलन है तो फिर खिलाड़ियों को इसका सम्मान करना चाहिए.
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गुरप्रीत सिंह संधू ने सिडनी से आईएएनएस से बात करते हुए कहा, हम स्टडियम में लोगों को देखना पसंद करते, लेकिन इस समय लोगों की सुरक्षा काफी अहम है. गुरप्रीत 25 मार्च से ही आस्ट्रेलिया में हैं. इसी तारीख से भारत में लॉकडाउन लागू है. बेंगलुरू एफसी के इस गोलकीपर ने कहा, अगर खाली स्टेडियम लोगों को सुरक्षित बनाए रखने के लिए जरूरी हैं और यह नया चलन है तो ठीक है..इस समय स्टेडियम में लोगों का होना सुरक्षित नहीं है. मुझे लगता है कि खेल एक तरीका हो सकते हैं जिसे टीवी पर देखकर लोग घर में रहते हुए कुछ सामान्य सा महसूस करें.
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गुरप्रीत सिंह संधू ने बताया कि उन्होंने मोहाली में क्रिकेट अकादमी में भी एडमिशन लिया था, लेकिन तीन दिन के बाद वह फुटबाल की तरफ आ गए. आईएसएल में अपनी टीम बेंगलुरू को सेमीफाइनल में पहुंचाने वाले इस गोलकीपर ने कहा, मैं जब छोटा था तब तीन-चार दिन क्रिकेट अकादमी गया था. मुझे क्रिकेट से प्यार नहीं था, क्योंकि उसमें आक्रामकता नहीं थी, लेकिन मेरे पिता को क्रिकेट पसंद था इसलिए मैंने जोखिम लिया. उन्होंने कहा, टीम इंडिया के पू्र्व कप्तान एमएस धोनी बचपन में गोलकीपर बनना चाहते थे जबकि मेरे प्लान अलग थे. अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) ने इस साल अर्जुन अवार्ड के लिए पुरुष खिलाड़ी संदेश झिंगान और महिला खिलाड़ी बाला देवी का नाम भेजा है. गुरप्रीत ने दोनों को शुभकामनाएं देते हुए कहा, संदेश और बाला के लिए यह शानदार खबर है. मैं दोनों के लिए खुश हूं. वह दोनों इसके हकदार हैं. मैं दोनों को शुभकामनाएं देता हूं.
(इनपुट आईएएनएस)
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