मिताली राज का छलका दर्द, बोलीं- इतने साल खेलकर सब कुछ पाया सिवाय विश्व कप के, 2021 फिर करेंगे ये काम
देश और दुनिया की महान महिला खिलाड़ियों में से एक मिताली राज ने कहा है कि उनका पूरा ध्यान अगले साल विश्व कप जीतकर अपने कैरियर का सफलता के शिखर पर अंत करने पर लगा है. भारत दो बार विश्व कप जीतने के करीब पहुंचकर चूक गया था.
New Delhi:
देश और दुनिया की महान महिला खिलाड़ियों में से एक मिताली राज (Mithali Raj) ने कहा है कि उनका पूरा ध्यान अगले साल विश्व कप (World Cup 2021) जीतकर अपने कैरियर का सफलता के शिखर पर अंत करने पर लगा है. भारत दो बार विश्व कप जीतने के करीब पहुंचकर चूक गया था. मिताली की कप्तानी में भारत 2017 विश्व कप फाइनल (World Cup Final 2017) में पहुंचा लेकिन मेजबान इंग्लैंड से हार गया. इसके एक साल बाद वेस्टइंडीज में टी20 विश्व कप (T20 World Cup) के सेमीफाइनल में हारकर बाहर हो गई.
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मिताली ने कहा कि 2013 में जब भारत में विश्व कप हुआ था, हम सुपर सिक्स में भी नहीं पहुंचे थे. मुझे बहुत दुख हुआ था. उन्होंने कहा, मैंने सोचा 2017 विश्व कप में कोशिश करते हैं. मैने विश्व कप के लिए बहुत मेहनत की. बतौर खिलाड़ी, कप्तान काफी होमवर्क किया. जब हम फाइनल में पहुंचे तो मैने सोचा कि फाइनल जीतकर मैं संन्यास ले लूंगी. उन्होंने कहा, इतने साल खेलकर मैंने सब कुछ पाया सिवाय विश्व कप के. 2021 में मैं फिर कोशिश करूंगी. उम्मीद है कि सभी की शुभकामनाओं से इस बार हम जीत पाएंगे. सैतीस वर्ष की मिताली ने पिछले साल टी20 क्रिकेट को अलविदा कह दिया था.
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इसके साथ ही मिताली राज ने कहा है कि देश की महिला क्रिकेट को पहले ही बीसीसीआई के अधीन आ जाना चाहिए था. इससे खिलाड़ियों को वित्तीय मदद मिलती जिसके कारण जिन खिलाड़ियों ने 23 और 24 की आयु में खेल को छोड़ा है, वे नहीं छोड़तीं. 2006 तक महिला क्रिकेट अलग संस्था भारतीय महिला क्रिकेट संघ के अधीन आता था. इसके बाद इसका बीसीसीआई में विलय किया गया. मिताली राज ने स्टार स्पोर्टस तेलुगू के एक शो पर कहा, मुझे लगता है कि यह अगर पांच साल और पहले हुआ होता तो ज्यादा अच्छा होता.
भारत की एक दिवसीय क्रिकेट कप्तान मिताली राज ने कहा, उस समय कई सारी प्रतिभाशाली खिलाड़ी, पैसे की कमी के कारण, वित्तीय स्थिरता न होने के कारण अलग-अलग क्षेत्रों में चली गईं. 23-24 साल के बाद माता-पिता पूछते थे कि अब क्या? एक महिला क्रिकेटर होने का नाते आप अपने माता-पिता से क्या बोलोगी? मैं पैसे नहीं कमा रही, मैं जुनून के लिए खेल रही हूं? कोई नहीं मानेगा. दाएं हाथ की इस बल्लेबाज ने कहा, इसी कारण कई सारे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को अपनी पेशेवर क्रिकेट को छोड़ना पड़ा. इसलिए उस समय बीसीसीआई वहां होती तो उनका करियर और ज्यादा बढ़ जाता और हमारे पास खिलाड़ियों का अच्छा खासा पूल होता.
(एजेंसी इनपुट)
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