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महेंद्र सिंह धोनी( Photo Credit : getty images)
आईपीएल स्थगित होने की वजह से चेन्नई सुपरकिंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की होने वाली वापसी अब लंबा इंतजार करा रही है. इस साल जुलाई में माही को क्रिकेट से दूर हुए पूरे एक साल हो जाएंगे. विपरीत हालात में भी धैर्य बरकरार रखकर अपनी टीम को जीत दिलाना महेंद्र सिंह धोनी की सबसे बड़ी खासियतों में से एक है. धोनी ने टीम इंडिया के लिए कई बार ऐसे कारनामे किए हैं, जिनमें उन्होंने असंभव को संभव कर दिखाया है. धोनी विकेट परिस्थितियों में भी कूल रहकर अपने लक्ष्य को हासिल करना जानते हैं.
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माही की ऐसी ही खूबियां उन्हें महान खिलाड़ियों में जगह दिलाती है. लेकिन इस पूर्व भारतीय कप्तान को यह स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है कि उन पर भी दबाव और डर का असर होता है. चेन्नई सुपरकिंग्स के पूर्व बल्लेबाज सुब्रमण्यम बद्रीनाथ के उपक्रम MFORE के साथ बातचीत करते हुए धोनी ने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर अपना नजरिया रखा. धोनी ने मानसिक स्वास्थ्य पर अपनी राय रखी और कहा कि भारत में अब भी यह स्वीकार करना बड़ा मुद्दा है कि मानसिक पहलू को लेकर कोई कमजोरी है, लेकिन आमतौर पर हम इसे मानसिक बीमारी कहते हैं.
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इंग्लैंड और वेल्स में खेले गए विश्व कप 2019 के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड से मिली हार के बाद धोनी अभी तक क्रिकेट के मैदान पर दिखाई नहीं दिए हैं. हालांकि, वे 29 मार्च से शुरू होने वाले आईपीएल के 13वें सीजन के साथ ही वापसी करने वाले थे लेकिन लॉकडाउन की वजह से ऐसा संभव नहीं हो पाया. मानसिक स्वास्थ्य को लेकर धोनी ने अपना निजी अनुभव बताया.
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धोनी ने कहा कि असल में कोई भी ये नहीं कहता कि जब मैं बल्लेबाजी के लिए जाता हूं तो पहली 5-10 गेंद खेलने तक मेरे दिल की धड़कनें बढ़ी होती हैं और मैं दबाव महसूस करता हूं. माही ने कहा कि वे थोड़ा डरे हुए भी होते हैं क्योंकि सभी इसी तरह महसूस करते हैं. धोनी ने कहा कि ये ज्यादा बड़ी समस्या नहीं है लेकिन कई बार हम कोच को यह कहने में हिचकते हैं और यही कारण है कि किसी भी खेल में कोच और खिलाड़ी का रिश्ता काफी महत्वपूर्ण होता है.
Source : News Nation Bureau