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हरभजन सिंह बोले, अगर सलाइवा पर बैन तो दोनों छोर से दो गेंदों का हो इस्तेमाल

आईसीसी की क्रिकेट समिति की ओर से कोविड-19 के बाद खेल शुरू होने पर सलाइवा के उपयोग को बंद करने की सिफारिश की गई है.

Updated on: 20 May 2020, 06:57 AM

New Delhi:

आईसीसी (ICC) की क्रिकेट समिति की ओर से कोविड-19 (Covid 19) के बाद खेल शुरू होने पर सलाइवा के उपयोग को बंद करने की सिफारिश की गई है. इसके बाद भारतीय टीम के ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) ने कहा है कि टेस्ट क्रिकेट में बल्ले और गेंद के बीच बराबर की टक्कर बनाए रखने के लिए दोनों छोर से अलग-अलग गेंदों का इस्तेमाल किया जा सकता है.

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हरभजन सिंह ने यूट्यूब चैनल स्पोट्र्स टॉक पर कहा, आप दोनों छोर से दो गेंदों का इस्तेमाल कर सकते हैं. एक गेंद को आप रिवर्स स्विंग के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं जबकि दूसरी गेंद को स्विंग के लिए. हरभजन ने कहा, मैं यह नहीं कहूंगा कि आप दोनों गेंदों का इस्तेमाल 90 ओवरों के लिए करें, आप उन्हें 50 ओवरों के बाद बदल सकते हैं, क्योंकि दोनों गेंदें 50 ओवरों तक पुरानी हो जाएंगी. चमक नहीं रहेगी और यह पसीने से भी नहीं आएगी. कप्तान के पास विकल्प होना चाहिए कि वो नई गेंद को एक ही छोर से इस्तेमाल करना चाहता है कि दोनों छोर से. लेकिन एक गेंद को 50 ओवर से ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया जाए.
सालइवा गेंद को चमकाने में किस तरह मददगार होता है इस बात को समझते हुए हरभजन ने कहा, जब गेंद पुरानी हो जाती है तो यह पसीने से चमकती नहीं है सिर्फ भारी होती है. चूंकि सलाइवा थोड़ा मोटा होता है और इसके बार-बार उपयोग करने से गेंद को चमकाने में मदद मिलती है. पसीना गेंद को भारी कर सकता है लेकिन यह गेंद को चमका नहीं सकता खासकर तब जब यह पुरानी हो.

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ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने कहा, मुझे लगता है कि इसका कोई स्थायी समाधान नहीं है. अगर आप सलाइवा का इस्तेमाल नहीं करोगे तो यह गेंदबाजों को खेल से दूर ले जाएगा, खासकर उपमहाद्वीप की परिस्थितियों में. आपको गेंद बनानी है तो आपको सलाइवा चाहिए होगा. भारत के लिए टेस्ट में पहली हैट्रिक लेने वाले इस गेंदबाज ने कहा, हमें देखना होगा कि सलाइवा के अलावा और क्या विकल्प हैं जिनसे आप गेंद और बल्ले के बीच संतुलन बनाए रख सकते हो.

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हरभजन ने कहा कि सलाइवा का इस्तेमाल न होने से गेंद हवा में भी ज्यादा देर नहीं रहेगी और ज्यादा स्पिन भी नहीं करेगी. दाएं हाथ के इस गेंदबाज ने कहा, अगर गेंद में चमक नहीं रहेगी और यह सिर्फ पसीने से ही भारी रहेगी तो गेंद हवा में भी ज्यादा देर नहीं रहेगी और जल्दी नीचे आ जाएगी और स्पिन भी ज्यादा नहीं करेगी. गेंद को पकड़ने में भी परेशानी होगी.