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सचिन तेंदुलकर को 2003 में 98 पर आउट करने के बाद दुखी क्‍यों हो गए थे शोएब अख्‍तर, खुद किया खुलासा

पूर्व पाकिस्तानी तेज गेंदबाज शोएब अख्तर का मानना है कि खाली स्टेडियम में क्रिकेट खेलने से ज्यादा रोमांच नहीं आएगा और इससे मार्केटिंग करना मुश्किल होगा.

Updated on: 19 May 2020, 12:52 PM

New Delhi:

पूर्व पाकिस्तानी तेज गेंदबाज शोएब अख्तर (Shoaib Akhtar) का मानना है कि खाली स्टेडियम में क्रिकेट खेलने से ज्यादा रोमांच नहीं आएगा और इससे मार्केटिंग करना मुश्किल होगा. रावलपिंडी एक्‍सप्रेस के नाम से मशहूर शोएब अख्तर ने हेलो लाइव सेशन से कहा, खाली स्टेडियम में क्रिकेट खेलना क्रिकेट बोर्ड के लिए व्यवहार्य और टिकाऊ हो सकता है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि हम इसकी मार्केटिंग कर सकते हैं. खाली स्टेडियम में क्रिकेट खेलना बिना दुल्हन के शादी जैसा है. हमें खेल खेलने के लिए भीड़ चाहिए. मुझे उम्मीद है कि एक साल के भीतर कोरोना की स्थिति सामान्य हो जाएगी.

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शोएब अख्तर ने साथ ही कहा कि 2003 विश्व कप में सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) को आउट करने से वह दुखी हैं. शोएब अख्तर ने कहा कि सचिन तेंदुलकर दो रन से शतक से चूक गए थे, हालांकि इसके बावजूद भारत ने छह विकेट से मैच जीत लिया था. उन्होंने कहा, मैं बहुत दुखी था क्योंकि सचिन 98 रन पर आउट हो गए थे. यह बहुत खास पारी थी और उन्हें शतक बनाना चाहिए. मैं चाहता था कि वह शतक बनाएं. उस बाउंसर पर अगर वो छक्का लगाते तो मुझे मजा आता, जैसा कि उन्होंने पहले किया था. सचिन ने 75 गेंदों पर 98 रन की अपनी पारी में 12 चौके और एक छक्का लगाया था.

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उधर न्यूजीलैंड के हरफनमौला खिलाड़ी जिम्मी नीशम को लगता है कि अगर खाली स्टेडियमों में खेलना ही क्रिकेट की वापसी का एक मात्र तरीका है तो खिलाड़ियों को इसका आदी होना जाना चाहिए. कोरोनावायरस के कारण फैली मौजूदा स्थिति को देखते हुए क्रिकेट कब वापस लौटेगा, यह कहना मुश्किल है और इसी कारण इसी साल अक्टूबर-नवंबर में होने वाले टी-20 विश्व कप पर भी काले बादल मंडरा रहे हैं. नीशम ने ईएसपीएनक्रिकइंफो से कहा, निश्चित तौर पर सभी चीजों को मानते हुए आप मैदान पर दर्शकों को देखना चाहते हो. इससे मैच में काफी मजा आता है. लेकिन आपको जो स्थिति दी जा रही आपको उसे मानना होगा. अगर स्थिति आपसे कहती है कि आपको बिना दर्शकों के खेलना है तो मुझे लगता है कि खिलाड़ियों को इसका आदि होने पड़ेगा.

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कोविड-19 के कारण कई क्रिकेट बोर्ड को वित्तीय तौर भी नुकसान उठाना पड़ रहा है. क्रिकेट आस्ट्रेलिया ने अप्रैल में ही अपने 80 फीसदी स्टाफ को हटाने का फैसला किया था. नीशम ने कहा, सच्चाई यह है कि कई सारे बोर्ड के सामने यह चुनौती है कि वह मैचों से आने वाली आय के बिना काम काज चलाएं. इसलिए हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम खेल को जितनी अच्छी स्थिति में ला सकते हैं उतनी अच्छी स्थिति में लेकर आएं और अगर इसके लिए खाली स्टेडियमों में क्रिकेट खेलनी पड़े तो खेलेंगे.