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हर बॉल से पहले हाथ पर थूकते हैं डु प्लेसिस, केवल गेंदबाज ही नहीं फील्डरों को भी बदलनी होंगी आदतें

कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर के तमाम क्रिकेटरों को अपनी ये आदत छोड़नी होगी, ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण को जहां तक हो सके रोका जा सके.

Updated on: 23 May 2020, 06:57 PM

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस की वजह से न केवल क्रिकेट में बदलाव होंगे बल्कि कई खिलाड़ियों को भी अपनी आदतों में बदलाव लाना होगा. आईसीसी की क्रिकेट समिति ने कोरोना वायरस के बाद खेल शुरू होने पर गेंद चमकाने के लिए लार के इस्तेमाल को बंद करने की सिफारिश की है ताकि संक्रमण को रोका जा सके. लेकिन क्रिकेट में केवल गेंदबाज ही ऐसा खिलाड़ी नहीं है जिसे खेल में लार की जरूरत पड़ती है, बल्कि फील्डर भी गेंद को अच्छी तरह से पकड़ने के लिए लार का इस्तेमाल करते हैं.

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इसी सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान फाफ डु प्लेसिस ने कहा कि लार के इस्तेमाल को रोकना क्रिकेटरों के लिए काफी मुश्किल होगा क्योंकि सभी खिलाड़ियों को इसकी पुरानी आदत है. डु प्लेसिस ने बताया कि वह क्रिकेट के मैदान पर फिल्डिंग के दौरान हर गेंद से पहले अपने हाथ पर थूकते हैं. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि फील्डिंग के दौरान केवल डु प्लेसिस ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम खिलाड़ी फील्डिंग के दौरान ऐसा करते हैं ताकि गेंद उनके हाथों में आसानी से चिपक सके.

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दक्षिण अफ्रीका के अनुभवी बल्लेबाज डु प्लेसिस ने टीवी चैनल स्टार स्पोटर्स के एक शो पर कहा, "मैं स्लिप पर जब खड़ा होता हूं तो कैच लेने के लिए तैयार होने से पहले मैं अपने हाथ पर थूंकता हूं. अगर आप रिकी पोंटिंग जैसे खिलाड़ी को देखेंगे तो वह हर गेंद से पहले अपने हाथ पर इसी तरह थूकते थे." कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर के तमाम क्रिकेटरों को अपनी ये आदत छोड़नी होगी, ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण को जहां तक हो सके रोका जा सके.

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डु प्लेसिस के अलावा ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज ब्रेट ली ने स्टार स्पोर्ट्स के शो ‘क्रिकेट कनेक्टिड’ पर कहा, ‘‘जब आपने 8-10 साल की उम्र से पूरी जिंदगी यही किया हो जिसमें आप अपनी ऊंगली को चाटकर लार गेंद पर लगाते हो, तो रातोंरात इसे बदलना बहुत मुश्किल होगा. इसलिए मुझे लगता है कि एक आध बार ऐसा होगा या आईसीसी को थोड़ी ढिलाई बरतनी होगी क्योंकि ऐसा करने पर चेतावनी हो सकती है. यह अच्छी शुरूआत है, लेकिन इसे लागू करना बहुत मुश्किल हेागा. मुझे ऐसा लगता है क्योंकि क्रिकेटरों ने पूरी जिंदगी ऐसा ही किया है.’’