Year Ender 2022: JWST साल की सबसे बड़ी उपलब्धि, जानें साइंस-इनोवेशन, हेल्थ में और खास
सबसे पहले तो पृथ्वी पर इसके निर्माण में ही दो दशक लगे. इसके निर्माण के दौरान कई बार असफलताओं का सामना करना पड़ा. फिर टेलीस्कोप की महीने भर की 1.5 मिलियन किलोमीटर की अंतरिक्ष यात्रा के दौरान भी नए-नए संकट आए.
highlights
- इंफ्रारेड लाइट तकनीक से लैस हबल से बड़े JSWT ने काम करना शुरू किया
- हॉलीवुड अभिनेता ब्रूस विलिस ने एफेसिया बीमारी के चलते अभिनय से संन्यास लिया
- दिसंबर में फ्यूजन एनर्जी के प्रयोग ने भविष्य में स्थायी ऊर्जा स्रोत की संभावना जगाई
नई दिल्ली:
11 जुलाई को व्हाइट हाउस (White House) से लाइव टेलीकास्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) ने 'चमत्कारी' नए स्पेस टेलीस्कोप से ली गई सुदूर अंतरिक्ष की पहली फोटो का अनावरण किया. इस सजीव प्रसारण को देख रहे दुनिया भर के लाखों लोगों समेत राष्ट्रपति बाइडन भी सुदूर अंतरिक्ष की हजारों आकाशगंगाओं को देख अचंभित थे. इन्हें देखते हुए उन्होंने कहा, 'इसकी थाह लेना मुश्किल है.' राष्ट्रपति अंतरिक्ष के अनसुलझे रहस्यों को सामने लाते सभी टेलीस्कोप (Telescope) और उनके द्वारा ली गई फोटो का लोकार्पण नहीं करते. इस कड़ी में गोल्ड प्लेटेड JWST यानी जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप खास है, जिसे यूरोपीय और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसियों की मदद से नासा ने तैयार किया. इंफ्रारेड लाइट टेक्नोलॉजी से लैस जेडब्ल्यूएसटी इसीलिए इस सम्मान का हकदार बना. संभवतः इसीलिए 'साइंस' पत्रिका ने इस टेलीस्कोप को ब्रैकथ्रू ऑफ द इयर भी करार दिया.
10 बिलियन डॉलर की लागत वाला JWST अब तक का सबसे जटिल मिशन
JWST अंतरिक्ष में भेजा गया अब तक का सबसे जटिल मिशन है और 10 बिलियन डॉलर की लागत की वजह से सबसे महंगा भी. इसे अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर दूर कक्षा में तैनात करना आसान नहीं रहा. सबसे पहले तो पृथ्वी पर इसके निर्माण में ही दो दशक लगे. इसके निर्माण के दौरान कई बार असफलताओं का सामना करना पड़ा. फिर टेलीस्कोप की महीने भर की 1.5 मिलियन किलोमीटर की अंतरिक्ष यात्रा के दौरान भी नए-नए संकट आए. निर्माण से लेकर अंतरिक्ष में तैनाती तक को इंजीनियरों ने कुल 344 महत्वपूर्ण चरणों में पूरा किया. एक भी चरण में होने वाली छोटी सी गलती पूरे मिशन को बर्बाद कर सकती थी. हालांकि जब अंतरिक्ष में स्थापना के बाद इसकी विशाल सनशील्ड खुली और उससे गोल्डन मिरर सामने आया और उसके द्वारा खींची गई पहली फोटो पृथ्वी पहुंची तो सारी मेहनत सार्थक हो गई.
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JWST इंफ्रारेड लाइट तकनीक और सबसे बड़े मिरर से लैस
हालांकि JWST से मिली पहली फोटो तो बानगी मात्रा है कि आने वाले समय में अंतरिक्ष के कितने रहस्य सामने आएंगे. अंतरिक्ष में अब तक के सबसे बड़े मिरर और इंफ्रारेड लाइट के प्रति संवेदनशील उपकरणों से लैस JWST अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में काफी लंबा सफर तय करेगा. हबल स्पेस टेलीस्कोप से भी आगे का. यह मिलियन प्रकाशवर्ष दूर स्थित तारों और आकाशगंगाओं को बेहद निकट दिखा कर बारीक से बारीक भेद सामने लाएगा. गौरतलब है कि 1990 में हबल टेलीस्कोप के पृथ्वी पर वापस लौटने से पहले ही एस्ट्रोनॉमर्स ने इसके उत्तराधिकारी की योजना बनानी शुरू कर दी थी. हालांकि अगली बार वे इंफ्रारेड आंखों वाला टेलीस्कोप सुदूर अंतरिक्ष में भेजना चाहते थे. वजह यह है कि ब्रह्मांड में सबसे पुराने तारे और आकाशगंगाएं समेत गर्म और नवनिर्मित स्टार भी पराबैंगनी और किन्ही-किन्ही वेवलेंथ पर में सबसे ज्यादा चमकते हैं. उनकी पराबैंगनी किरणों को पार कर नजदीक तक जाने के लिए ही इंफ्रारेड लाइट तकनीक से लैस टेलीस्कोप के बारे में सोचा जा रहा था.
इसे माइनस 266 डिग्री तक ठंडा रखने की जरूरत पड़ती है
यह सब करने के लिए खगोलविदों ने एक विशाल मिरर वाले टेलीस्कोप की योजना तैयार की. JWST के मिरर का व्यास 6.5 मीटर है, जो हबल की चौड़ाई का लगभग तीन गुना है. यह मिरर रॉकेट के अंदर फिट होने के लिहाज से बहुत बड़ा था, इसलिए इसे लांचिंग के लिए फोल्ड होने लायक बनाना पड़ा. एक और चुनौती थी पूरे टेलीस्कोप को ठंडा रखने की, ताकि इसकी अपनी गर्म चमक इंफ्रारेड ऑब्जर्वेशन को खराब न कर सके. इसलिए इंजीनियरों ने फोल्ड होने वाली मल्टीलेयर्ड सनशील्ड तैयार की, जो इसे -233 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान तक ठंडा रख सकती है. यही नहीं, एक मैकेनिकल क्रायोकूलर भी बनाया गया, जो इसमें लगे एक यंत्र को -266 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान तक ठंडा रखने में सक्षम है. और तो और JWST का मिरर टॉक्सिक बेरिलियम से बनाया गया, क्योंकि यह हल्का होता है और अत्यधिक ठंड में कहीं बेहतरीन प्रदर्शन करता है.
एक समय अमेरिकी कांग्रेस परियोजना ही रद्द करने वाली थी
JWST से जुड़े तमाम इनोवेसंस और उनके खर्च फिर जटिलताओं ने मिशन को लगभग बर्बाद ही कर दिया. देरी से लागत और बढ़ती गई, जिसे देख अमेरिकी कांग्रेस ने 2011 में परियोजना को ही रद्द करने की धमकी दे दी. हालांकि खगोलविदों ने JWST के अस्तित्व के लिए कड़ी पैरवी की और सांसदों ने भरोसा किया. फिर एक निश्चित समय सीमा और लागत सीमा निर्धारित की, जिस पर नासा काफी हद तक खरा उतरा. अंततः उन सभी कष्टों को 25 दिसंबर 2021 को भुला दिया गया, जब एक यूरोपीय एरियन 5 रॉकेट ने JWST को अंतरिक्ष में ले जाकर छोड़ दिया. टेलीस्कोप ने अपने सोलर ऐरेज को खोल दिया और वह सूर्य और पृथ्वी के शोर और गर्मी से दूर एक गुरुत्वाकर्षण संतुलन बिंदु के लिए रवाना हो गया. JWST ने 21 जून को वैज्ञानिकों के लिए डेटा एकत्र करना शुरू किया और NASA ने 12 जुलाई को पहली फोटो और स्पेक्ट्रा जारी किया. अभी तक JWST एस्ट्रोनॉमी के लिहाज से कई दिमाग खोलने वाली फोटो और डेटा भेज चुका है. और, यह सफर अभी शुरू हुआ. ऐसे में इसे ब्रैकथ्रू ऑफ द इयर करार देने बिल्कुल उपयुक्त है.
2022 के अन्य साइंस-इनोवेशन और हेल्थ के पड़ाव
जनवरी
2022 की शुरुआत जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप JWST के पृथ्वी से 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर अपनी अंतिम स्थिति तक पहुंचने की प्रतीक्षा के साथ हुई. फिर बहुत जल्द ही हम ब्रह्मांड को देखने में सक्षम हो गए, जिस तरह पहले कभी नहीं देखा गया था. जनवरी ही अब तक का सबसे बड़ा सबूत लेकर आया कि आम एपस्टीन-बार वायरस ही मल्टीपल सिरोसिस का मुख्य कारण है. पहली बार एक व्यक्ति को सुअर का जैनेटिकली मोडिफाइड हृदय ट्रांसप्लांट किया गया. इस उम्मीद के साथ एक दिन अन्य लोगों का अंग प्रत्यारोपण भी इसी तरह किया जा सकेगा. हालांकि अपने तरह की पहली कोशिश के बावजूद मरीज की दो महीने बाद मौत हो गई.
फरवरी
यह घोषणा की गई थी कि अंतरिक्ष सहयोग, शांति और अनुसंधान की एक बानगी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) 2031 तक रिटायर हो जाएगा. फिर पृथ्वी पर वापस लौटने पर आईएसएस को प्रशांत महासागर में जल समाधि दे दी जाएगी.
मार्च
एफेसिया के प्रति जागरूकता के लिहाज से मार्च एक महत्वपूर्ण महीना बन कर उभरा. इसका सबब बने हॉलीवुड अभिनेता ब्रूस विलिस, जब यह घोषणा की गई कि वह लैंग्वेज डिसऑर्डर से ग्रस्त हैं और इस कारण दशकों पुराने अभिनय सफर पर पूर्णविराम लगाने जा रहे हैं. मार्च में ही एक अध्ययन में अनुमान लगाया कि कोविड से मौतों की संख्या वैश्विक स्तर पर लगभग 18 मिलियन से परे जा सकती है. यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा रिपोर्ट की गई संख्या का तीन गुना था. फिर अंटार्टिका में जहाज एंड्योरेंस का मलबा खोजा गया. इस खोज को ध्रुवीय इतिहास और ध्रुवीय विज्ञान में सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक माना गया.
अप्रैल
एक अनुसंधान ने सुझाव दिया कि मानव जीन म्यूटेशन और सिजोफ्रेनिया का आपस में संबंध है.हालांकि इसके बाद ऐसे 120 जीनों की और भी पहचान की गई, जिनकी वजह से कोई शख्स सिजोफ्रेनिया से पीड़ित हो सकता था. एक शोध में यह भी सामने आया कि मैजिक मशरूम में पाया जाने वाला साइकेडेलिक यौगिक साइलोसाइबिन डिप्रेशन के इलाज में प्रभावी हो सकता है. साथ ही लोगों को आगाह किया गया कि वह खुद ही इसका प्रयोग नहीं करें, क्योंकि इसकी मात्रा हर शख्स के लिहाज से अलग होती है.
मई
इवेंट होराइज़न टेलीस्कोप टीम ने कहा कि उसने आकाशगंगा के केंद्र में एक सुपरमैसिव ब्लैक होल की पहली फोटो ली है. इसी महीने हमें पता चला कि सात घंटे की नींद कॉग्निटिव परफॉर्मेंस और अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छी होती है. इस निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए 500,000 प्रतिभागियों पर शोध किया गया था. समग्र दुनिया अभी भी कोरोना महामारी से जूझ रही थी कि मई का महीना एक और वायरल खबर से प्रभावित हुआ. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंकीपॉक्स के मामले सामने आने लगे. बाद में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वायरस का नाम बदलकर एमपॉक्स कर दिया.
जून
जर्मनी के अल्फ्रेड वेगेनर इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने वैश्विक तापमान के कारण इस सदी के मध्य तक साइबेरियाई टुंड्रा के नाटकीय नुकसान की भविष्यवाणी की. उन्होंने कहा कि टुंड्रा गायब भी हो सकता है. इसी महीने एक अद्भुत खगोलीय घटना घटी, जब पांच ग्रह बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि एक क्रीसेंट चंद्रमा के साथ एक सीध में आए.
जुलाई
पार्टिकल फिजिक्स के लिहाज से एक बड़ी खबर आई. दुनिया के सबसे बड़े और सबसे शक्तिशाली कोलाइडर, लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (एलएचसी) पर काम कर रहे वैज्ञानिकों ने घोषणा की कि उन्होंने तीन नए कणों की खोज कर ली है. फिर यह महीना विज्ञान के लिहाज से 2022 के सबसे बहुप्रतीक्षित क्षणों में से एक का गवाह बना, जब JWST से पहली मिली पहली फोटो सामने आई. यह फोटो पृथ्वी से 1,150 प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक ग्रह पर जल वाष्प के साथ सामने आई.
अगस्त
एक अध्ययन ने सुझाव दिया कि दूध का सेवन वह कारण नहीं है जिसके कारण आदिमानवों ने वयस्क होने पर लैक्टोज को पचाने की क्षमता विकसित की. हमें दो साल की अवधि में 1.2 मिलियन कोरोना संक्रमितों पर किए गए अध्ययन से कोविड की बेहतर समझ मिली. लगभग 120 वर्षों तक प्राचीम मेसोपोटामिया और सिंधु नदी के बीच बसी प्राचीन सभ्यता की लिपि को लीनियर एलामाइट को पढ़ने का दावा किया गया. इस प्राचीन लिपि को इससे पहले तक अपठनीय ही माना जाता रहा. इस महीने पुरातत्वविदों की एक टीम ने कहा कि उन्होंने इस लिपि को आंशिक रूप से समझ लिया है.
सितंबर
किसी दिन पृथ्वी से किसी एस्टेरॉयड के टकराने को लेकर आधुनिक मानव सभ्यता हमेशा से संशकित रहती हैं. ऐसी खबरें भी आती रहती है कि पृथ्वी की ओर एक एस्टेरॉयड बढ़ा आ रहा है. हालांकि वह पृथ्वी से कई प्रकाश वर्ष दूर होता है. इस कड़ी में सितंबर महीने में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने एक स्वचालित अंतरिक्ष यान की टक्कर से एक एस्टेरॉयड की दिशा बदलने में सफलता हासिल कर ली. यह नासा का डार्ट मिशन था, जो इसलिए किया गया कि कैसे हम एक दिन एस्टेरॉयड की टक्कर से पृथ्वी की रक्षा कर सकते हैं.
अक्टूबर
इस महीने की शुरुआत नोबेल पुरस्कारों की घोषणा के साथ हुई. मेडिसिन के क्षेत्र में स्वांते पाबो को उनके मानव कैसे विकसित हुआ पर शोध के लिए नोबेल दिया गया. फिजिक्स के क्षेत्र में क्वांटम मैकेनिक्स पर काम के लिए एलेन एस्पेक्ट, जॉन एफ क्लॉज़र और एंटोन ज़िलिंगर को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. कैमेस्ट्री के क्षेत्र में कैरोलिन आर बर्टोजजी, के. बैरी शार्पलेस और मोर्टन मेल्डल को एक साथ अणुओं को तोड़ने का एक तरीका विकसित करने के लिए नोबेल दिया गया. अन्य क्षेत्रों में भी नोबेल पुरस्कार दिए गए, लेकिन हम अपने इयर एंडर के अनुरूप उन्हीं को दे रहे हैं जो विषय से मेल खाते हैं.
नवंबर
मानव इतिहास के बारे में हमारी समझ एक कदम और आगे बढ़ी. हमें पता चला कि प्राचीन मानवों 780,000 साल पहले खाना पकाना शुरू कर दिया था ना कि 170,000 साल पहले. तमाम अड़चनों और रुकावटों के बाद 16 नवंबर को मानव रहित आर्टेमिस I मिशन लांच हुआ. आर्टेमिस मिशन का लक्ष्य मनुष्यों को चंद्रमा पर वापस ले जाना है. फिर वहां अंतरिक्ष यात्री बेस बनाकर रहेंगे और कुछ समय बाद मंगल ग्रह की यात्रा शुरू करेंगे.
दिसंबर
अंततः दिसंबर में अमेरिका की नेशनल इग्निशन फैसिलिटी (एनआईएफ) ने फ्यूजन एनर्जी के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल कर ली है. गौरतलब है कि न्यूक्लियर प्यूजन एनर्जी की वजह से सूर्य इतना गर्म बना रहता है. यानी भविष्य में हम इसके जरिये ऊर्जा पैदा कर सकेंगे. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह भविष्य के स्थायी ऊर्जा स्रोतों का हिस्सा बन जाएगा, लेकिन इस क्षेत्र में अभी लंबा सफर तय करना है.
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