Xmas पर सेंटा देते हैं बच्चों को तोहफा, उनका ही भाई करता है ठीक उलटा... मिलें Krampus से
क्रैम्पस नाम जर्मन शब्द क्रैम्पेन से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है पंजा. नॉर्स की पौराणिक कथाओं में इसे हेल का पुत्र बताया गया है. ग्रीक पौराणिक कथाओं के सैत्रॉस और फॉन्स सरीखे भयानक राक्षसी जीवों का रूप-स्वरूप क्रैम्पस से मिलता-जुलता है.
highlights
- पोराणिक कथाओं और किंवदंतियों में सेंटा का दुष्ट भाई
- सदियों से पैगन संस्कृति का हिस्सा बना हुआ है क्रैम्पस
- शैतान बच्चों को दंड देने के लिए जाना जाता है क्रैम्पस
नई दिल्ली:
क्या क्रिसमस (Christmas) आपके लिए उत्साह-उमंग और खुशियों से भरा बेहतरीन त्योहार है? लाल कपड़ों में खुशमिजाज सेंटा क्लॉज (Santa Claus), छुट्टियों की मौज-मस्ती और घर-घर केक और मिठाइयां, लेकिन अगर आप क्रिसमस (Xmas) पर कुछ डरावना पसंद करना चाहें तो वह भी मौजूद है. यह है सेंटा क्लॉज की एक अलग छवि... बालों से भरा काला शरीर जिसके ऊपर खूनी लाल आंखों वालों क्षत-विक्षत विक्षिप्त चेहरा. सिर पर उगे मुड़े हुए सींग, जिससे उसके आधे बकरी और आधे दानव वंश का पता चलता है. यह खतरनाक और सिहरन भर देने वाला दानव सड़कों पर खिलखिलाते बच्चों का पीछा करता है. फिर उन्हें 'शरारती' होने की सजा देने के लिए अपनी मांद में खींच ले जाता है. यह है नरमदिल सेंटा क्लॉज का दुष्ट जुड़वां भाई क्रैम्पस. कैथोलिक धर्म में सेंट निकोलस बच्चों के संरक्षक संत हैं. वे एक दयालु व्यक्ति हैं जो जरूरतमंदों की मदद करते हैं और खुशियां फैलाते हैं. इसके ठीक उलट कई यूरोपीय देशों में सेंटा के इसी दुष्ट जुड़वां भाई का डर भी क्रिसमस की छुट्टियों पर तारी रहता है. जर्मनी और ऑस्ट्रिया के कुछ हिस्सों में बच्चों को क्रूर क्रैम्पस से डर लगता है, तो कई अन्य जर्मनिक क्षेत्रों में बच्चे काली दाढ़ी वाले दो शैतान बेल्सनिकल और क्नेच रूपरेक्ट से डरते हैं. ये बच्चों को कोड़ों से पीटते हैं. कुछ ऐसे ही अन्य शैतान हैं, जो शरारती बच्चों को सजा देते हैं. मसलन फ्रांस में हैंस ट्रैप और पेरे फॉटर्ड. किन्हीं-किन्हीं पौराणिक कथाओं और किंवदंतियों में क्रैम्पस के पूछ भी होता है कहा गया है.
आखिर है कौन क्रैम्पस...
क्रैम्पस नाम जर्मन शब्द क्रैम्पेन से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है पंजा. नॉर्स की पौराणिक कथाओं में इसे हेल का पुत्र बताया गया है. ग्रीक पौराणिक कथाओं के सैत्रॉस और फॉन्स सरीखे भयानक राक्षसी जीवों का रूप-स्वरूप क्रैम्पस से मिलता-जुलता है. गौरतलब है कि जर्मनी में क्रिसमस का जश्न दिसंबर की शुरुआत से ही शुरू हो जाता है. सदियों पुरानी एक किंवदंति के अनुसार क्रैम्पस को बच्चों को मिठाई देने वाले परोपकारी सेंट निकोलस के समकक्ष के रूप में बनाया गया था. लोककथाओं के मुताबिक क्रैम्पस 5 दिसंबर की रात को शहरों में प्रकट होता है, जिसे क्रैम्पसनॉट या क्रैम्पस नाइट के रूप में जाना जाता है. अगले दिन यानी 6 दिसंबर को निकोलसटैग या सेंट निकोलस दिवस पड़ता है. इस दिन बच्चे सुबह सोकर उठने के बाद घर के दरवाजे पिछली रात को बाहर छोड़े गए जूते या बूट देखने भागते हैं. तोहफे से पहले उन्हें सबसे पहले यह जानने की तेज इच्छा रहती है कि अच्छे व्यवहार पर इनाम बतौर जूते में उपहार है या खराब व्यवहार और शैतानी के लिए रॉड. ऑस्ट्रिया, जर्मनी, हंगरी, स्लोवेनिया और चेक गणराज्य में नशे में धुत आदमी शैतानों के वेश में क्रैम्पुस्लॉफ़ की रात सड़कों पर आते हैं. ये शैतान लोगों का फिर पीछा करते हैं.
क्रैम्पस क्या करता है?
किंवदंति के अनुसार परंपरागत रूप से 5 दिसंबर की रात सेंट निकोलस के साथ क्रैम्पस दिखाई देता है. वह और संत निकोलस पूरी रात घर-घर जाते हैं. सेंट निकोलस अच्छे बच्चों के जूतों में कैंडी और बुरे बच्चों के जूतों में संटी डालते हैं. वहीं क्रैम्पस की विशेषता शरारती बच्चों को दंडित करना है. इस किंवदंती के अनुसार बुरा व्यवहार करने वाले शैतान बच्चों को क्रैम्प्स संटी से पीट एक बोरे में डालकर अपनी मांद में ले जाता है. मांद में क्रैम्पस शैतान बच्चों को और दंड देता है. अधिक गुस्सा आने पर वह ज्यादा शैतान बच्चों को खा भी जाता है.
क्रैम्पस फिर से लोकप्रिय हो रहा है
स्मिथसोनियन की रिपोर्ट के मुताबिक क्रिसमस की छुट्टियों के मौसम से जुड़े जश्न को मनाने के लिए गैर-पारंपरिक तरीकों की तलाश करने वाले लोगों की वजह से क्रैम्पस ने हाल के वर्षों में फिर से वापसी कर ली है. मसलन अमेरिका में लोग क्रैम्पस फिल्में और क्रैम्पस टेलीविजन एपिसोड देखकर क्रिसमस से जुड़े इस स्याह पक्ष को मनाने लगे हैं. यही नहीं, वॉशिंगटन, डीसी और न्यू ऑरलींस में स्थानीय लोग क्रैम्पसनॉट (मेले सरीखे आयोजन) जैसी जगहों पर जा रहे हैं. इसके साथ ही क्रैम्पस-थीम वाली रेस में भाग ले रहे हैं. ऑस्ट्रिया क्रैम्पस का व्यावसायीकरण कर रहा है. वहां चॉकलेट, मूर्तियों और संग्रहणीय सींगों को बेचा जाता है. क्रैम्पस के बाजारीकरण से आलोचक कहने लगे हैं कि इस तरह की हालिया लोकप्रियता से क्रैम्पस की पौराणिक छवि फीकी पड़ रही है.
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क्रैम्पस की जरूरत ही क्यों
क्रैम्पस से जुड़ी पौराणिक कथाओं और किंवदंतियों के बीच अब यह सवाल भी उठने लगा है कि बच्चों को एक राक्षसी, बुतपरस्त प्राणी से डराया ही क्यों जाए? इसका एक मनोवैज्ञानिक जवाब यही है कि इस तरह इंसान अपने भीतर छिपे बैठे जानवर से रूबरू होता है. द नेशनल ज्योग्राफिक पत्रिका को दिए साक्षात्कार में एंटोनियो कार्नेरो ने बताया था कि यह एक किस्म के दोहरे व्यक्तित्व का हिस्सा है. यह पैगन संस्कृति यानी विधर्मी पात्रों को इस तरह से सामने लाकर और उसकी तरह वेशभूषा धारण कर उसे और रहस्यमयी बना रहे हैं. गौरतलब है कि पैगन ऐसी मान्यताओं और विश्वास को मानने वाले लोगों या समुदाय को कहते हैं,जिनक मूल धर्म में कहीं कोई जिक्र नहीं होता. पोराणिक कथाओं, किंवदंतियों और लोककथाओं में ऐसे पात्रों की भरमार लगभग हर देश में है.
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