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शिनजियांग में उइगर मुसलमानों की जबरन नसबंदी, बलात्कार... चीन का पर्दाफाश

चीन आतंक विरोधी और अलगाववादी विरोधी नीतियों के नाम पर शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों पर कहर ढा रहा है. संयुक्त राष्ट्र की 'देर आयद फिर भी दुरुस्त नहीं आयद' रिपोर्ट उइगर मुसलमानों के शोषण और दमन का खुलासा करती है.

Updated on: 01 Sep 2022, 10:57 AM

highlights

  • यूएन मानवाधिकार रिपोर्ट से शिनजियांग मसले पर ड्रैगन गया फंस
  • कथित प्रशिक्षण केंद्रों में 10 लाख से ज्यादा उइगर मुसलमान हैं कैद
  • अब संयुक्त राष्ट्र से की जा रही है शिनजियांग की गहन जांच की मांग

नई दिल्ली:

अंततः संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बेकलेट ने चीन के शिनजियांग प्रांत के डिटेंशन सेंटरों में उइगरों मुसलमानों के शोषण और दमन की नारकीय दास्तां बयान करती रिपोर्ट जारी कर दी. मिशेल (Michelle Bachelet) ने अपने चार साल के कार्यकाल के आखिरी दिन शिनजियांग (Xinjiang) के अल्पसंख्यक उइगर (Uyghur) मुसलमानों की बदहाली पर रिपोर्ट जारी करते हुए चीन की दमन-शोषणकारी नीतियों को 'मानवाधिकारों (Human Rights) का गंभीर उल्लंघन' करार दिया, जो 'मानवता के खिलाफ अपराध' की श्रेणी में आता है. रिपोर्ट बलात्कार (Rape), बलात नसबंदी और उइगर मुसलमानों के रहस्यमयी तरीके से गायब हो जाने की घटनाओं को सामने लाती है. मानवता के खिलाफ ये सारे अपराध चीन ने आतंक विरोधी और अलगाव विरोधी नीतियों के नाम पर अंजाम दिए.  बीजिंग ने यूएन की 48 पन्नों की इस रिपोर्ट को 'चीन विरोधी ताकतों द्वारा फैलाए गए झूठ और दुष्प्रचार' केंद्रित करार दिया है. इसके साथ ही रिपोर्ट को चीन (China) को 'बेवजह बदनाम' करने वाली कहा है. ड्रैगन ने यूएन (UN) की इस रिपोर्ट को  'आतंरिक मामलों में दखल' भी बताया है.

यूएन मानवाधिकार रिपोर्ट के बाद चीन की और गहराई से जांच की मांग
ब्रिटेन के 'द गार्डियन' अखबार के मुताबिक मिशेल बेकलेट यूं तो पहले से उइगर मुसलमानों पर रिपोर्ट जारी करने में आनाकानी कर रही थीं. इस कड़ी में बुधवार को ऐन मौके चीन के आधिकारिक बयान ने इसमें और विलंब कर दिया. चीन ने बयान के मार्फत कुछ लोगों की तस्वीरों समेत उनके नाम यूएन मानवाधिकार कार्यालय भेजे और कहा कि निजता और सुरक्षा कारणों से इन्हें प्रतिबंधित किए जाने की जरूरत है. हालांकि मिशेल बेकलेट के मानवाधिकार कार्यालय द्वारा अंततः जारी रिपोर्ट के आलोक में अब मानवाधिकार कार्यकर्ता 'चीनी सरकार के मानवता के खिलाफ अपराध की और गहराई से जांच' करने की मांग कर रहे हैं. चीन के ह्यूमन राइट्स वॉच की निदेशक सोफी रिचर्डसन के मुताबिक, 'यूएन मानवाधिकार कार्यालय की रिपोर्ट जिन तथ्यों को सामने लाती है, उसके आलोक में कतई आश्चर्य नहीं लगता कि क्यों कर चीन इस रिपोर्ट को रुकवाने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगाए था'.   

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कई श्रेणियों में हुआ मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन
सोफी रिचर्डसन कहती हैं, 'संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार समिति को इस रिपोर्ट के आधार पर 'चीनी सरकार के अपराधों की और गहनता से जांच' करनी चाहिए. बीजिंग प्रशासन ने उइगर मुसलमानों और अन्य समूहों को अपनी दमनकारी नीति का शिकार बनाया. इसके साथ ही जो लोग भी मानवता के खिलाफ अपराध के दोषी पाए जाते हैं, उन्हें अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत सजा मिलनी चाहिए'. रिपोर्ट खुलासा करती है कि शिनजियांग उइगर स्वायत्तशासी क्षेत्र में रह रहे अल्पसंख्यक उइगर मुसलमानों का चीन सालों-साल से मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा था. रिपोर्ट में अलग-अलग श्रेणियों में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों के उल्लंघन करती घटनाओं का उल्लेख किया गया है. मसलन परिवार से अलग-थलग कर प्रतिशोध की भावना से काम करते हुए जबरिया गायब कराना, रोजगार और श्रम कानून अधिकार, प्रजनन के अधिकार, निजता का अधिकार, कहीं भी आने-जाने का अधिकार, धार्मिक-सांस्कृतिक अधिकार, भाषागत पहचान और अभिव्यक्ति समेत वोकेशनल एजुकेशनल ट्रेनिंग सेंटर्स की नारकीय स्थिति और व्यवहार जैसे उल्लंघन के मामले शामिल हैं. 

अमानवीय यौन हिंसा और बलात्कार
रिपोर्ट में डिटेंशन रूम में यौन हिंसा और बलात्कार की घटनाओं को सिहरन भर देने वाली करार दिया गया है, जिनके जरिये अधिकतर उइगर महिलाओं को  निशाना बनाया गया. कथित ट्रेनिंग सेंटर्स में कैमरे नहीं थे, जहां ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया गया. यही नहीं, वोकेशनल एजुकेशनल ट्रेनिंग सेंटर्स को अलग-अलग तरह के टॉर्चर या क्रूरता, अमानवीय, सजा समेत हद दर्जे के अमानवीय व्यवहार के लिए अलग-अलग चिन्हित कर रखा था. कुछ घटनाओं से पता चलता है कि यौन हिंसा के लिए अलग-अलग तरीके इस्तेमाल में लाए जाते थे. महिलाओं से बलात्कार किया जाता था. सुरक्षा के लिए तैनात गार्ड पूछताछ के नाम पर जबरन मुख मैथुन कराते थे. इसके अलावा आदमजात स्थिति में जबरिया लाकर अपमानजनक यौन हिंसा की जाती थी. यही नहीं,अल्पसंख्यक मुस्लिम महिलाओं को जबर्दस्ती गर्भनिरोधक गोलियां खिलाई जाती थी.   

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जबरिया नसबंदी और गर्भनिरोधक उपाय
मिशेल बेकलेट की रिपोर्ट 2017 से शिनजियांग में जन्मदर में आई तीव्र गिरावट को भी सामने लाती है. 2017 से 2019 के बीच खशगार और होटन सरीखे उइगर बाहुल्य इलाकों में जन्म दर में 48.7 फीसदी की गिरावट देखी गई. इसी अवधि में नसबंदी और गर्भधारण से रोकने वाली अन्य तकनीकों का प्रयोग भी बढ़ा. इन घटनाओं को सामने लाते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि आतंक विरोधी और अलगाव विरोधी सरकारी नीति के नाम पर शिनजियांग उइगर स्वायत्तशासी क्षेत्र में मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन किया गया. इन नीतियों के नाम पर तमाम मौलिक अधिकारों का दमन करने वाले प्रतिबंधों को थोपा गया. उइगर मुसलमानों के संदर्भ में दमन और शोषण की प्रक्रिया भयावहता की सीमा से परे थी, जहां उइगर मुसलमानों पर पड़ने वाले परोक्ष-अपरोक्ष असर को पैमाना बना सजा या प्रतिबंध थोपे गए.

सभी आरोपों का अब भी नकार रहा है बीजिंग प्रशासन
ड्रैगन के 'चोरी ऊपर से सीना जोरी' वाले रवैये का आलम यह था कि वह 2017 तक शिनजियांग में डिटेंशन कैंप के अस्तित्व को ही नकारता रहा. 2017 में उसने पहली बार ऐसे कथित प्रशिक्षण केंद्रों की उपस्थिति को स्वीकार किया. आज भी प्रांतीय से लेकर केंद्रीय अधिकारियों ने इन डिटेंशन कैंपों में रखे गए उइगर मुसलमानों की सटीक संख्या नहीं बताई है. डिटेंशन कैंपों की जानकारियों और क्रिया कलापों को आम लोगों से दूर अंधेरे में रखा गया है. इन कैंपों में भी प्रवेश अधिकृत व्यक्तियों को छोड़ अन्य के लिए प्रतिबंधित है. हां, समय-समय पर दुनिया की आंखों में धूल झोंकने के लिए चुनिंदा लोगों को दौरे जरूर कराए जाते हैं. ये लोग वापस आकर चीन के समर्थन में इन डिटेंशन कैंप का खाका खींचते हैं. बीजिंग प्रशासन पर एक आरोप यह भी है कि उसने इन डिटेंशन कैंपों मे 10 लाख अल्पसंख्यक मुस्लिमों को कैद कर रखा है. प्राकृतिक संसाधनों के लिहाज से समृद्ध शिनजियांग में इन कैदियों से बंधुआ मजदूरों सा बर्ताव किया जाता है. उइगर महिलाओं को पहले यौन हिंसा का शिकार बनाया जाता है और गर्भ धारण करने पर जबरिया गर्भपात कराया जाता है. यही नहीं, जोर-जबर्दस्ती कर उइगर या अन्य अल्पसंख्यकों पर विचारधारा थोपी जाती है. हालांकि चीन इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर पश्चिमी देशों का बदनाम करने का अभियान बताता है.