असम चुनाव बिसात पर नया समीकरण, क्षेत्रीय पार्टियां निभाएंगी अहम भूमिका
असम विधानसभा चुनाव के लिए, राज्य की क्षेत्रीय पार्टियां बहुपक्षीय लड़ाई और पारंपरिक दो-ध्रुवीय राजनीति की संभावनाओं को कम करने के लिए खुद को मजबूत कर रही हैं.
highlights
- बीजेपी ने बोडो पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) का साथ छोड़ा.
- यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) का साथ चुना.
- एजेपी और आरडी ने साथ आने की घोषणा करी.
नई दिल्ली:
इस साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इनमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए पश्चिम बंगाल खासी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है. ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) सरकार को सूबे से उखाड़ फेंकने के लिए बीजेपी तृणमूल कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को अपने पाले में करने में लगी हुई है. यही नहीं, बीजेपी तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में अलग-अलग रणनीति के साथ उतर रही है. यह अलग बात है कि बीजेपी असम (Assam) में एक नई रणनीति के साथ विधानसभा चुनाव के समर में उतरेगी. इसकी वजह असम का फीडबैक है. इसके मुताबिक पार्टी के दिग्गज नेताओं का दावा है कि असम विधानसभा चुनाव के लिए, राज्य की क्षेत्रीय पार्टियां बहुपक्षीय लड़ाई और पारंपरिक दो-ध्रुवीय राजनीति की संभावनाओं को कम करने के लिए खुद को मजबूत कर रही हैं.
बीजेपी ने बीपीएफ को छोड़ यूपीपीएल को बनाया अपना
गौरतलब है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पहले ही असम गण परिषद (एजीपी) के साथ अपना गठबंधन जारी रखने की घोषणा कर चुकी है. यहा तक कि बीजेपी ने वर्तमान सहयोगी बोडो पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) को छोड़ने के बाद नए सहयोगी बतौर यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) को चुना है और इनके साथ गठबंधन बनाने की घोषणा की है. इस बीच, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने तीन वामपंथी दलों- सीपीआई-एम, सीपीआई, सीपीआई-एमएलएल के साथ-साथ ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के साथ मिलकर एक 'महागठबंधन' बनाया है. माना जाता है कि आंचलिक गण मोर्चा, क्षेत्रीय दल क्रमश: मुसलमानों और स्थानीय लोगों के बीच राजनीतिक आधार रखते हैं.
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एजेपी और आरडी भी एक साथ आए
नवीनतम घटनाक्रम में गुरुवार को दो प्रमुख क्षेत्रीय दलों - असम जातिय परिषद (एजेपी) और रायजोर दल (आरडी) ने घोषणा की है कि वे आगामी चुनावों को एक साथ लड़ेंगे. ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसु) के पूर्व नेता लुरिनज्योति गोगोई, जिन्होंने हाल ही में एजेपी का दामन थामा, ने जेल में बंद नेता व रायजोर दल के सुप्रीमो अखिल गोगोई के साथ गुरुवार को मुलाकात के बाद गठबंधन की घोषणा की. दिसंबर 2019 में सीएए के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने के तुरंत बाद जेल गए गोगोई का वर्तमान में 'गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल' में विभिन्न बीमारियों का इलाज चल रहा है. गोगोई ने गुरुवार को यह भी कहा कि उनकी पार्टी कार्बी आंगलोंग से स्वायत्त राज्य मांग समिति और बीपीएफ के संपर्क में है, दोनों का मध्य-पश्चिमी असम में स्थानीय लोगों के बीच पर्याप्त जनाधार है.
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क्षेत्रीय गठबंधन सभी सीटों पर लड़ेगा चुनाव
गोगोई पहले ही कह चुके हैं कि उनका क्षेत्रीय पार्टी गठबंधन सभी 126 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करेगा. एजेपी और आरडी नेताओं ने अब तक कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल होने के प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया है. गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर की शुरुआत में बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद के चुनाव के नतीजों के बाद, भाजपा ने बीपीएफ से नाता तोड़ लिया और अपने नए सहयोगियों यूपीपीएल और गण सुरक्षा परिषद (जीएसपी) को समर्थन देने की घोषणा की. अपने गठबंधन की घोषणा करने के बाद, राज्य इकाई के अध्यक्ष रिपुन बोरा सहित कांग्रेस नेताओं ने दावा किया था कि वोटों की सुनामी महागठबंधन के पक्ष में होगी.
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बीजेपी ने कांग्रेस पर बोला तीखा हमला
हालांकि, भाजपा नेता और असम के मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि केवल बांग्लादेश ही कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में वोटों की सुनामी लाने में मदद कर सकता है. भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अप्रैल-मई में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी की विधानसभा चुनावों के साथ होने वाले असम चुनाव में 126 सदस्यीय विधानसभा में 100 सीटें हासिल करने का विश्वास व्यक्त किया है. राजनीतिक विश्लेषक और लेखक राजकुमार कल्याणजीत सिंह ने कहा कि भाजपा ने भले ही एजेपी या आरडी या किसी भी गठबंधन से स्पष्ट खतरे को नकार दिया है, लेकिन भगवा पार्टी दो क्षेत्रीय बल के गठबंधन से समान रूप से सावधान हैं, जो पूर्वी असम में 45 सीटों पर उसके प्रदर्शन पर असर डाल सकती है.
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पिछला प्रदर्शन था इस तरह का
भाजपा ने 2016 में पिछले विधानसभा चुनावों में असम में कांग्रेस से सत्ता हासिल की और 60 विधायकों के साथ राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बन गई, जबकि विधानसभा में उसके सहयोगी दल - एजीपी और बीपीएफ - के क्रमश: 14 और 12 सदस्य हैं. कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने 2016 में अलग-अलग चुनाव लड़ा था और क्रमश: 26 और 13 सीटें हासिल की थीं. असम में हालांकि बीजेपी को विगत दिनों पार्टी भीतर असंतोष का सामना करना पड़ा था. हालांकि आलाकमान और सीएम हेमंत विस्व शर्मा ने समय रहते मतभेदों को व विकराल रूप होने से बचा लिया था. इस तरह देखें तो बीजेपी अंदरूनी मतभेद दूर कर अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन करने के बाद अपनी विपक्षी पार्टियों से पहले ही बढ़त बना चुकी है.
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