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किसानों के तेज हो रहे आंदोलन के बारे में हर सवाल का जवाब

किसान सीधे इसी बात पर अड़े हुए हैं कि केंद्र सरकार या तो तीनों नए कानूनों को वापस ले या फिर किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दे. पिछले पांच दिन में प्रदर्शन में क्या हुआ और किसानों ने आगे क्या रणनीति बनाई है. जानें अपने हर सवाल का जवाब.

Updated on: 02 Dec 2020, 03:28 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली में पिछले सात दिन से किसान अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. अपनी मांगों को लेकर किसानों ने दिल्ली की सभी सीमाओं पर डेरा डाल लिया है. पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किसान दिल्ली के बॉर्डर (Delhi Border) पर अपनी मांगों को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान सीधे इसी बात पर अड़े हुए हैं कि केंद्र सरकार या तो तीनों नए कानूनों को वापस ले या फिर किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दे. पिछले पांच दिन में प्रदर्शन में क्या हुआ और किसानों ने आगे क्या रणनीति बनाई है. जानें अपने हर सवाल का जवाब.

कैसे बड़ा हो गया आंदोलन?
कृषि बिल को लेकर किसान पिछले दो महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं. पहले यह आंदोलन पंजाब तक की सीमित था लेकिन 26 नवंबर को हजारों किसान पंजाब और भाजपा शासित हरियाणा से दिल्ली की तरफ बढ़े. यहां हरियाणा पुलिस ने पानी की बौछारों और आंसू गैस दागकर किसानों को रोकने की कोशिश की. हालांकि बाद में मार्च को मंजूरी दी गई. कई किसानों ने पानीपत के पास सर्द रात गुजारी. इसके बाद 27 तारीख को दिल्ली के टिगरी और सिंघू बॉर्डर पर किसान इकट्ठे होने लगे.

सरकार ने किसानों को प्रदर्शन में लगातार शामिल हो रहे लोगों को देखते हुए पहले 3 दिसंबर को किसानों के साथ वार्ता करने का फैसला लिया लेकिन बाद में उन्हें मंगलवार को बातचीत के लिए बुलाया. सरकार के साथ किसानों की वार्ता बेनतीजा रही. किसानों ने साफ कर दिया है कि कोई सशर्त बातचीत नहीं होगी और अगर मांगें नहीं मानी गईं तो दिल्ली के पांचों एंट्री पॉइंट किसान बंद करेंगे.

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किसानों की क्या हैं मांगें?
पिछले दिनों केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून पास किए थे. किसान इन्हें वापस लेने की मांग कर रहे हैं. किसान एमएसपी को लेकर संशोधन की मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही किसान प्रस्तावित बिजली संशोधन बिल 2020 को भी वापस लेने पर दबाव बना रहे हैं. किसानों का कहना है कि उन्हें इस बिल से खतरा है कि उन्हें सब्सिडी वाली बिजली नहीं मिलेगी.

आंदोलन में कौन-कौन है शामिल?
इस आंदोलन की शुरूआत अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति ने 'दिल्ली चलो' के आह्वान के साथ की थी. बाद में राष्ट्रीय किसान महासंघ और भारतीय किसान यूनियन इसके समर्थन में आईं. किसानों के प्रदर्शन में धीरे-धीरे राष्ट्रीय किसान महासंगठन, जय किसान आंदोलन, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा, क्रांतिकारी किसान यूनियन, भारतीय किसान यूनियन की कई इकाइयां भी शामिल हो गई. जानकारी के मुताबिक ज़्यादातर आंदोलनकारी किसान पंजाब के हैं, जबकि हरियाणा के भी किसानों की संख्या खासी है. अब इस प्रदर्शन को उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित उत्तराखंड और मध्य प्रदेश के किसानों का भी समर्थन मिल रहा है.  

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आखिर में बिल में है क्या?
किसान उत्पाद व्यापार व कॉमर्स (Promotion and Facilitation) एक्ट 2020, मूल्य आश्वासन व फार्म सर्विस पर किसान (Empowerment and Protection) करार एकट 2020 और एसेंशियल कमोडिटी (संशोधन) एक्ट 2020, केंद्र सरकार ने ये तीन कानून पिछले दिनों पास किए, जिनसे किसान सहमत नहीं हो पा रहे हैं. पंजाब सरकार केंद्र के इस कानून को राज्य में बेअसर करने के लिए बिल लेकर आई. हालांकि राज्यपाल ने राज्य सरकार के इस बिल को मंजूरी नहीं दी है. 

केंद्र का क्या है कहना?
किसानों को मांगों पर केंद्र ने साफ कर दिया है कि वह एमएसपी सिस्टम को खत्म नहीं करेगा. केंद्र का कहना है कि एमएसपी को खत्म नहीं कर रही है और किसानों को बेहतर व्यवस्था और मूल्य मिलेंगे. वहीं किसान सरकार के इस तर्क से सहमत नजर आ रही है. 

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किसानों को ये है डर?
सरकार के दावों के उलट पंजाब और हरियाणा के किसानों का कहान है कि केंद्र सरकार के इन कानूनों से एमएसपी सिस्टम खत्म हो जाएगा. किसानों के कहना है कि इन बिल से बड़े कॉर्पोर्ट हाउस खेती करने लगेंगे और किसानों की झोली पूरी तरह खाली हो जाएगी. वहीं डर इस बात का भी है कि वर्चुअल सिस्टम से मंडी खत्म हो जाएगी. किसानों को 'आड़तिये' जरूरत के समय कर्ज भी दे देते हैं, वह व्यवस्था भी खत्म हो जाएगी.