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अक्साई चीन से लेकर अरुणाचल तक, भारत-चीन के बीच कहां-कहां है तनाव

भारत और चीन (China) के बीच तनाव बरकरा है. चीन और भारत के बीच के रिश्ते आज से बिगड़े हुए नहीं बल्कि छह दशक पुराना है. कभी लद्दाख को लेकर, कभी तिब्बत , तो कभी डोकलाम और सिक्किम को लेकर चीन भारत से पंगे लेता रहता है.

Updated on: 28 May 2020, 07:35 PM

नई दिल्ली:

भारत और चीन (China) के बीच तनाव बरकरा है. चीन और भारत के बीच के रिश्ते आज से बिगड़े हुए नहीं बल्कि छह दशक पुराना है. कभी लद्दाख को लेकर, कभी तिब्बत , तो कभी डोकलाम और सिक्किम को लेकर चीन भारत से पंगे लेता रहता है. चीन भारत में अक्सर घुसपैठ करता रहता है. चीन और भारत के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखाल (LAC) को लेकर कई इलाकों में स्थिति स्पष्ट नहीं है. इसलिए दोनों देशों के बीच तनाव का माहौल बना रहता है.

लद्दाख, अक्साई चीन, तिब्बत, डोकलाम और सिक्किम को लेकर चीन हर बार कुछ ऐसा करता है कि तनाव की स्थिति बन जाती है. चलिए इसके इतिहास को जानते और समझते हैं.

भारत-चीन के बीच अभी तक सीमा विवाद है

भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है. ये सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुज़रती है. तीन सेक्टरों में चीन की सीमा बंटी हुई है. पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम सेक्टर यानी जम्मू-कश्मीर और मीडिल सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश. भारत और चीन के बीच अभी तक बॉर्डर सुनिश्चित नहीं हुआ है. क्योंकि कई इलाकों को लेकर सीमा विवाद है. चीन भारत के कई क्षेत्रों पर दावा करता है. जिसे भारत सिरे से खारिज करता रहा है.

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अक्साई चीन पर 1962 में चीन ने किया था कब्जा 

चीन ने 1962 के युद्ध के दौरान अक्साई चीन पर कब्जा कर लिया था. यह हिस्सा 1962 के युद्ध से पहले भारत में था. भारत अक्साई चीन पर अपना दावा करता है. इसे लेकर दोनों देशों के बीच कड़वाहट का माहौल बना रहता है.

चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा पेश करता है

वहीं चीन हमारे देश का अभिन्न हिस्सा अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता रहता है. चीन का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है. वो तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश के बीच मैकमोहन रेखा को नहीं मानता है.

दरअसल, 1914 में तिब्बत एक स्वतंत्र देश था. लेकिन चीन ने तिब्बत को कभी स्वतंत्र मुल्क नहीं माना. 1950 में चीन ने तिब्बत को पूरी तरह से अपने क़ब्ज़े में ले लिया.

ब्रह्मपुत्र नदी का पानी चीन अपनी तरफ करना चाहता है

इतना ही नहीं ब्रह्मपुत्र नदी को लेकर चीन भारत के साथ उलझता रहता है. वह इस नदी पर कई बांध बना रहा है. वो नहरों के जरिए पानी उत्तरी चीन में ले जाना चाहता है. भारत इस मसले को द्विपक्षीय बातचीत में उठाता रहा है.

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डोकलाम को लेकर भी चीन उलझ चुका है

डोकलाम को लेकर भी भारत-चीन के बीच पैदा हुआ था तनाव. वैसे तो डोकलाम चीन और भूटान के बीच का विवाद है. लेकिन सिक्किम बॉर्डर के नज़दीक ही पड़ता है और एक ट्राई-जंक्शन प्वाइंट है. जहां से चीन भी नज़दीक है. भूटान और चीन दोनों इस इलाके पर अपना दावा करते हैं. भारत भूटान के दावे का समर्थन करता है. 2017 में डोकलाम को लेकर भारत-चीन के बीच विवाद हुआ था जो 80 दिन के करीब चला था. हालांकि बाद में बातचीत के जरिए इसे सुलझा लिया गया था.

नाथूला दर्रा पर ही होता है सैनिकों के बीच तनाव 

नाथूला दर्रा जो भारत के सिक्किम राज्य और दक्षिण तिब्बत में चुम्बी घाटी को जोड़ता है. इसे लेकर भी चीन और भारत के बीच विवाद पैदा होते रहते हैं. 14,200 फ़ीट ऊंचाई पर स्थित नाथूला भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां से होकर चीनी तिब्बत क्षेत्र में स्थित कैलाश मानसरोवर की तीर्थयात्रा के लिए भारतीयों का जत्था गुजरता है.1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद बंद कर दिए जाने के बाद, साल 2006 में कई द्विपक्षीय व्यापार समझौतों के बाद नाथूला को खोला गया. हाल ही में यहां पर भारत और चीन के सैनिकों में झड़प की खबर आई थी.

भारत और चीन के रिश्ते बेहतर हो इसे लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत चलती रहती है. बावजूद इसके आए दिन सीमा पर सैनिकों के बीच झड़प की खबर सामने आती है.