चीन ने किया 'ब्रह्मास्त्र' का परीक्षण, बेकार साबित होंगे एयर डिफेंस सिस्टम
हालांकि चीनी मिसाइल का परीक्षण पूरी तरह से सफल नहीं रहा. बताते हैं कि यह मिसाइल अपने लक्ष्य से 32 किमी दूर जा गिरी.
highlights
- आवाज की रफ्तार से 5 गुना तक ज्यादा होती है रफ्तार
- दागने के बाद इसका कोई तयशुदा रास्ता नहीं होता है
- लक्ष्य को भेदकर मचा सकती है बड़े पैमाने पर तबाही
नई दिल्ली:
जमीन और समुद्र पर आक्रामक विस्तारवादी नीति को अमलीजामा पहनाते हुए चीन (China) ने अब अंतरिक्ष में भी अपना दबदबा कायम करने की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं. मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ने अंतरिक्ष में बीते अगस्त माह में नई हाइपरसोनिक मिसाइल (Missile) का परीक्षण किया है. जानकारी के मुताबिक चीन ने एक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइल को अंतरिक्ष की निचली कक्षा में भेजा. फिर इस मिसाइल ने धरती का चक्कर लगाया और फिर अपने लक्ष्य की ओर हाइपरसोनिक गति से चल पड़ी. फिलवक्त चीन की तरह अंतरिक्ष से मिसाइल दागने की क्षमता अभी किसी और देश के पास नहीं है. संभवतः इसी वजह से अमेरिका समेत अन्य देशों में खलबली मच गई है.
लक्ष्य से 32 किमी दूर गिरी मिसाइल
ब्रिटेन के फाइनेंशियल टाइम्स अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि चीनी मिसाइल का परीक्षण पूरी तरह से सफल नहीं रहा. बताते हैं कि यह मिसाइल अपने लक्ष्य से 32 किमी दूर जा गिरी. सूत्रों के मुताबिक चीन ने अपने हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल को लांग मार्च रॉकेट से भेजा था. बड़ी बात यह है कि चीन ने अगस्त में हुए इस परीक्षण के बारे में दुनिया को आगाह नहीं किया था. ऐसे में चीन के हाइपरसोनिक मिसाइल के परीक्षण से अमेरिकी खुफिया एजेंसियां तक हैरत में हैं. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने इतना जरूर कहा कि चीन की सैन्य क्षमताओं पर अमेरिका लगातार चिंता जताता आ रहा है. इस तरह के कदमों से सिर्फ तनाव ही बढ़ेगा.
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पांच देश काम कर रहे हाइपरसोनिक मिसाइलों पर
सामरिक जानकारों के मुताबिक चीन के अलावा अमेरिका, रूस और पांच अन्य देश भी हाइपरसोनिक मिसाइलों पर काम कर रहे हैं. हाइपरसोनिक मिसाइलों की दौड़ में फिलहाल रूस आगे चल रहा है. हाइपरसोनिक मिसाइलें अन्य मिसाइलों की तरह से ही परमाणु बम ले जा सकती हैं. हालांकि उनकी गति आवाज की रफ्तार से 5 गुना तक ज्यादा होती है. जहां आम मिसाइलें बैलस्टिक ट्रैजेक्टरी फॉलो करती हैं, वहीं हाइपरसोनिक मिसाइल कोई तयशुदा रास्ते पर नहीं चलती. इस कारण दुश्मन को अंदाजा नहीं लगता है कि मिसाइल का रास्ता क्या है.
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बेकार ही साबित होंगे हाइपरसोनिक
हाइपरसोनिक मिसाइल की गति तेज होने से टारगेट को भी इसका पता नहीं चलता. यानी तमाम उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम भी हाइपरसोनिक मिसाइल के आगे बेकार ही साबित होंगे. सामरिक विशेषज्ञ चिंता जताते हुए कहते हैं कि अमेरिका ने हाल ही में अलास्का में अरबों डॉलर खर्च कर मिसाइल डिफेंस सिस्टम लगाया है, लेकिन चीनी अंतरिक्ष हाइपरसोनिक मिसाइल के आगे अब यह भी बेकार साबित होगा. रूस के अत्याधुनिक एस-500 एयर डिफेंस सिस्टम के अलावा किसी भी देश के पास हाइपरसोनिक मिसाइलों का रोकने की क्षमता नहीं है. ऐसे में रूस और चीन से टक्कर के लिए अमेरिका भी इस ब्रह्मास्त्र का निर्माण कर रहा है. गौरतलब है कि रूस, चीन, अमेरिका और अब उत्तर कोरिया ने हाइपरसोनिक मिसाइलों का परीक्षण किया है.
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