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माओ के बाद सबसे शक्तिशाली नेता के 'राजतिलक' को तैयार जिनपिंग, 10 बड़ी बातें

16 अक्टूबर 2022 से चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस बैठक शुरू होने जा रही है. माना जा रहा है कि इस कांग्रेस में राष्ट्रपति शी जिनपिंग का चीन के हालिया दशकों में माओं के बाद सबसे सशक्त नेता बतौर 'राजतिलक' कर दिया जाएगा.

16 अक्टूबर 2022 से चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस बैठक शुरू होने जा रही है. माना जा रहा है कि इस कांग्रेस में राष्ट्रपति शी जिनपिंग का चीन के हालिया दशकों में माओं के बाद सबसे सशक्त नेता बतौर 'राजतिलक' कर दिया जाएगा.

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Nihar Saxena
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Jinping Peng Liyuan

राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपनी पत्नी पेंग लीयुआन के साथ.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं कांग्रेस बीजिंग में 16 अक्टूबर से शुरू होने जा रही है. इसमें माना जा रहा है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग लगातार तीसरी बार अपने कार्यकाल के प्रस्ताव पर मुहर लगवाएंगे. इसके साथ ही चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के शीर्ष नेताओं की नई टीम भी सामने आ जाएगी. 69 वर्षीय शी जिनपिंग (Xi Jinping) इसके साथ ही माओत्से तुंग या माओ जेडोंग के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली नेता बन जाएंगे. कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस बैठक दशक में दो बार यानी हर पांच साल में बुलाई जाती है. इस बार कांग्रेस बैठक से पहले ही जिनपिंग को कई महत्वपूर्ण राजनीतिक बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. इनमें भी संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था, अमेरिका (America) के साथ बद्तर रिश्ते समेत बेहद कड़ी जीरो कोविड (Corona Epidemic) नीति प्रमुख है. शी जिनपिंग की कड़े नियम-कायदों वाली जीरो कोविड नीति को ही मौजूदा आर्थिक संकट के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है.  जानते हैं शी जिनपिंग और कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस से जुड़ी 10 बातों को...

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1. सभी को अपेक्षा है कि 20वीं कांग्रेस में शि जिनपिंग के राष्ट्रपति पद पर लगातार तीसरे कार्यकाल का रास्ता साफ हो जाएगा. समकालीन दौर में यह अभूतपूर्व घटना होगी. रिश्वतखोरी रूपी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले गवर्नर के रूप में सुर्खियों में आने के दो दशकों बाद जिनपिंग 2012 में चीनी नेतृत्व के शक्तिशाली नेताओं की टोली में शामिल हुए थे. 

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2. चीन की महज रबर स्टैंप करार दी जाने वाली संसद ने 2018 में शी की ताकत असीमित करते हुए राष्ट्रपति पद के कार्यकाल की सीमा खत्म करने वाले संविधान संशोधन को मंजूरी दे दी थी. इसके साथ ही शी जिनपिंग के लिए अपनी मर्जी के हिसाब से चीन का राष्ट्रपति बने रहने का रास्ता साफ हो गया था. शी की उपलब्धियों में यह एक और मील का पत्थर था. शी ऐसे सर्वोच्च नेता के तौर पर देखे जा रहे हैं, जो अपनी छवि के अनुरूप नए चीन को गढ़ रहे हैं.  

3. शी जिनपिंग के पास तीन बेहद महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारियां हैं. पहली, वह कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव हैं. दूसरे, केंद्रीय सैन्य समिति के अध्यक्ष हैं और तीसरे चीन के राष्ट्रपति हैं, जो दूसरा कार्यकाल पूरा कर तीसरी बार शासन करने जा रहे हैं. माना जा रहा है कि पहली दो जिम्मेदारियां कांग्रेस इस बार भी अक्टूबर में ही उन्हें सौंप देगी. हालांकि राष्ट्रपति पद के तीसरे कार्यकाल के लिए शी को मार्च 2023 तक इंतजार करना होगा, जब नेशनल पिपुल्स कांग्रेस इस पर मुहर लगाएगी.

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4. कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव के रूप में तीसरा कार्यकाल भी उनके दो पूर्ववर्तियों द्वारा स्थापित परंपरा को ध्वस्त कर देगा. इसके तहत पार्टी महासचिव बतौर 10 साल में दो कार्यकाल पूरे करने के बाद पद छोड़ दिया जाता है. 

5. 1949 में माओत्से तुंग द्वारा पीपुल्स रिपब्लिक की स्थापना के बाद शी जिनपिंग ने सत्ता पर अपनी पकड़ जबर्दस्त तरीके से मजबूत की है, जिसकी दूसरी मिसाल हालिया दौर में देखने को नहीं मिलती है. फिर भी ऐसे कोई संकेत नहीं हैं कि जिनपिंग कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष बनने की इच्छा रखते हों. माओ के बाद चीन के रजनीतिक फलक में उभरे दो नेता हुआ ग्योफेंग और हू याओबांग कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष भी थे. हालांकि 1982 से कम्युनिस्ट पार्टी अध्यक्ष पर कोई विराजमान नहीं हुआ है. 

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6. शी चीन के पहले नेता हैं जिनका जन्म 1949 के बाद हुआ. गौरतलब है कि 1949 में माओ ने लंबे समय से चले आ रहे गृह युद्ध को खत्म कर अपनी सत्ता स्थापित की थी. अपने पिता के कर्मों की वजह से जिनपिंग के परिवार को सालों-साल कठिन संघर्ष करना पड़ा, लेकिन जिनपिंग फिर भी कम्युनिस्ट पार्टी में अपना स्थान बनाने में सफल रहे.  

7.  शी जिनपिंग की राजनीति में शुरुआत 1969 में जिला सचिव बतौर हुई थी. 1999 में शी ने लंबे राजनीतिक सफर को तय करते हुए तटीय प्रांत फुज्यान  के गवर्नर पदभार संभाला. फिर वह 2002 में झेजियांग प्रांत के पार्टी अध्यक्ष बने. इसके बाद 2007 में शंघाई प्रमुख बतौर जिम्मेदारी संभाली. 

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8. शंघाई में शी की लोकप्रयिता का आलम यह था कि सुबह के अखबारों में उनकी तस्वीर छपी होती थी, तो शाम के अखबार उनके दिशा-निर्देशों और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के कारनामों से रंगे होते थे. 2017 में कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस बैठक में शी को केंद्रीय शीर्ष नेतृत्व में शामिल किया गया. इस श्रेणी में माओत्से तुंग, डेंग जियाओपिंग जैसे नेता आते हैं. कांग्रेस ने पार्टी संविधान में शी की विचारधारा और नाम को बकायदा शामिल कर उन्हें समसामयिक दौर का शक्तिशाली चेहरा करार दिया था.  

9. बीते साल नवंबर में चीन के शीर्ष नेताओं ने पार्टी के शानदार अतीत को लेकर एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पास किया. इसकी मदद से चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में शी की पकड़ और गहरी हो गई. कम्युनिस्ट पार्टी के 100 साल के इतिहास में यह तीसरा प्रस्ताव था, जो पारित किया गया. इसके पहले माओत्से तुंग और डेंग जियाओपिंग के कार्यकाल में ही दो अन्य प्रस्ताव पारित हुए थे. तीसरे प्रस्ताव के तहत शी ने पार्टी की उपलब्धियों  को मजबूती दे अपने लगातार शासन के लिए वैचारिक खाका पेश किया था. 

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10. 2012 में सत्ता संभालने के बाद शी ने माओत्से तुंग के बाद सबसे ताकतवर नेता के रूप में अपनी छवि और मजबूत की है. उन्होंने पार्टी के भीतरी गुटबाजी को खत्म कर अपनी नीतियों के जरिये सख्त प्रशासक की छाप छोड़ी. घरेलू स्तर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम और बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के जरिये शी वैश्विक तौर पर सशक्त नेता बन कर उभरे.  

HIGHLIGHTS

  • 16 अक्टूबर से बीजिंग में शुरू होने जा रही है कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं कांग्रेस
  • इसमें शी जिनपिंग के राष्ट्रपति बतौर लगातार तीसरे कार्यकाल पर मुहर लगेगी
  • इसके साथ ही कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं के नामों की भी घोषणा की जाएगी
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