पीएम मोदी की सहानुभूति भरी ट्वीट पर शरीफ ने मचा दी हाय-तौबा, समझें उनकी 'मक्कारी'
भारत में मोदी सरकार की ओर से बाढ़ की विभीषिका झेल रहे पाकिस्तान के लिए परोक्ष-अपरोक्ष रूप से मदद का कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया. इसके बावजूद पीएम शहबाज शरीफ ने पीएम मोदी की सहानुभूति जताती ट्वीट को अपने कश्मीर प्रोपेगंडा से जोड़ दिया.
highlights
- पीएम मोदी ने पाकिस्तान की विनाशकारी बाढ़ पर दुख जताता ट्वीट किया
- पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ताह ने उसे खाद्य निर्यात से जोड़ पेश किया
- पीएम शरीफ ने तो मक्कारी का प्रदर्शन कर कश्मीर मुद्दे को लपेट लिया
इस्लामाबाद:
पीएम मोदी सरकार के उच्च पदस्थ सूत्र तक पुष्टि कर चुके हैं कि भारत ने बाढ़ की विभीषिका झेल रहे पाकिस्तान को किसी तरह की मदद या खाद्य निर्यात का कोई प्रस्ताव नहीं दिया है. इसके बावजूद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) ने इस तरह के 'हवाई प्रस्ताव' को कश्मीर (Jammu Kashmir) पर अपनी परंपरागत तोता रटंत से जोड़ दिया. वह मक्कारी भरे अंदाज में पीएम मोदी (PM Narendra Modi) की सहानुभूति जताती ट्वीट को कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35-ए हटाए जाने से जोड़ फिर दुष्प्रचार कर गए. गौरतलब है कि सोमवार को पीएम मोदी ने पाकिस्तान में भयंकर तबाही मचाने वाली बाढ़ (Pakistan Floods) पर दुःख जताते हुए ट्वीट किया था. इस ट्वीट में उन्होंने बाढ़ की वजह से मारे गए पाकिस्तानी नागरिकों को श्रद्धांजलि देते हुए हालात के जल्द से जल्द सामान्य होने की उम्मीद जताई थी. यह अलग बात है कि शरीफ सरकार ने इस सहानुभूति को भी कश्मीर को लेकर भारत पर आक्षेप लगाने और दुष्प्रचार के एक और मौके में तब्दील कर दिया.
भारतीय मदद के 'हवाई प्रस्ताव' पर बेसिरपैर बयानबाजी
पीएम नरेंद्र मोदी की ट्वीट को पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने स्वतः संज्ञान एक बयान जारी कर दिया कि पाकिस्तान भारत से सब्जियों समेत अन्य खाद्य पदार्थों के निर्यात पर विचार कर सकता है ताकि बाढ़ में तबाह हुई फसलों और अन्य खाद्य पदार्थों की हुई कमी से निपटने में मदद मिल सके. पाकिस्तान के वित्त मंत्री के इस बयान के बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत की मोदी सरकार के खिलाफ एकतरफा तीखा हमला बोल दिया. इसके लिए 'मक्कार शरीफ' ने पाकिस्तान की दशकों पुरानी तोता रटंत को आधार बनाया. शहबाज शरीफ ने यह हमला तब बोला जब भारत की ओर से किसी तरह का कोई प्रस्ताव परोक्ष-अपरोक्ष रूप से पाकिस्तान को नहीं दिया गया. इसके बावजूद अगले साल आसन्न आमचुनाव में मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने और कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए शहबाज शरीफ ने यह हरकत की. गौरतलब है कि बीते दिनों सत्ता से बेदखल किए गए भूतपूर्व वजीर-ए-आजम इमरान खान शहबाज शरीफ सरकार को घेरने का एक मौका नहीं छोड़ रहे हैं. राजनीतिक पंडितों की मानें तो अगले साल आमचुनाव में उनकी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी सत्तारूढ़ गठबंधन को तगड़ी चुनौती देगी.
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भारत परोक्ष-अपरोक्ष संवाद चैनल से दूर
शहबाज शरीफ या मिफ्ताह इस्माइल के बेसिरपैर के बयानों से इतर सच तो यह है कि 2016 में पठानकोट के वायुसेना अड्डे पर बहावलपुर केंद्रित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के हमले के बाद मोदी सरकार और पाकिस्तान की सरकार के बीच किसी तरह का परोक्ष-अपरोक्ष कोई राजनीतिक चैनल सक्रिय नहीं है. सुरक्षा बलों और सुरक्षा एजेंसियों के बीच ही अधिकृत तौर-तरीकों से परस्पर संवाद हो रहा है. वह भी महज इस खातिर की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर किसी किस्म की उकसावे वाली कार्रवाई से जहां तक संभव हो बचा जा सके. गौरतलब है कि पाकिस्तान सीमा पार से भारतीय सैनिकों और पोस्टों पर गोलीबारी कर आतंकियों की घुसपैठ कराने के प्रयास में है.
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कश्मीर को राजनीतिक फुटबॉल में बदल रहे पाकिस्तानी राजनेता
हालांकि भारत अच्छे से जानता है कि पाकिस्तान फिलवक्त गहरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है और वह चीन के अरबों-खरबों डॉलर कर्ज के मकड़जाल में भी बुरी तरह से फंस चुका है. भारत सरकार को यह भी पता है कि रावलपिंडी में पाकिस्तान सैन्य मुख्यालय की नुमाइंदगी कर कर जनरल कमर जावेद बाजवा भी कश्मीर मसले पर हार स्वीकार कर चुके हैं. हालिया दौर में बाजवा भी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारत से किसी किस्म का कोई सैन्य तनाव बढ़ाना नहीं चाहते हैं. यह अलग बात है कि पाकिस्तान के राजनेता कश्मीर मसले का इस्तेमाल कर एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वियों पर अपनी बढ़त बनाने से बाज नहीं आ रहे. पाकिस्तान के राजनेताओं ने कश्मीर मसले को एक राजनीतिक फुटबॉल सा दर्जा दे दिया है. हाल-फिलहाल पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ इमरान खान नियाजी के राजनैतिक हमलों के दबाव में हैं. ऐसे में हद दर्जे तक संभव है कि अगले आमचुनाव तक पाकिस्तान की राजनीति में कश्मीर पर तोता रटंत समय-समय पर होती रहे.
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