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क्यों एक दूसरे की दुश्मन बन गईं जिया और हसीना? Photograph: (Social Media/ANI)
बांग्लादेश की पहली महिला और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का 30 दिसंबर, 2025 की सुबह ढाका के एक अस्पताल में निधन हो गया. 80 वर्षीय खालिदा जिया लंबे समय से बीमार चल रही थीं. हाल ही में उन्होंने एक बार फिर से आम चुनाव में उतरने का एलान किया था, चुनावी मैदान में उतरने से पहले ही उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. ऐसे में बात करते हैं खालिदा जिया और शेख हसीना की दुश्मनी के बारे में. जिसने बांग्लादेश की राजनीति को बदलकर रख दिया.
दुनिया के नक्शे पर 16 दिसंबर 1971 को एक नए देश का उदय हुआ. जिसे नाम दिया गया बांग्लादेश. उससे पहले ये भाग पूर्वी पाकिस्तान कहलाता था. लेकिन भारत की मदद से पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए गए और बांग्लादेश अस्तित्व में आया. दरअसल, ऑपरेशन ट्राइडेंट में पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने 93 हजार सैनिकों ने भारत के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने हथियार डाल दिए.
शेख मुजीबुर रहमान बने पहले प्रधानमंत्री
बांग्लादेश के पहले प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर रहमान बने. आगे चलकर उनकी बेटी शेख हसीना ने भी देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला. शेख मुजीबुर रहमान के सहयोगी जियाउर रहमान थे. जो पाकिस्तानी सेना में थे, मुजीब के कहने पर उन्होंने सेना में बगावत कर दी और बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए आंदोलन शुरू कर दिया. बांग्लादेश की स्थापना के बाद उन्हें सह-सेना प्रमुख बनाया गया. जियाउर रहमान की शादी खालिदा जिया से हुई थी.
शेख मुजीबुर रहमान के पूरे परिवार की हुई हत्या
शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के पहले प्रधानमंत्री बने. साल 1975 में वे देश के राष्ट्रपति बने, लेकिन उसी साल उनकी और उनके पूरे परिवार की हत्या कर दी गई. ये तारीख थी 15 अगस्त 1975. इस हत्याकांड में मुजीबुर रहमान की दो बेटियां बच गईं. जिनमें शेख हसीना और उनकी बहन शामिल थीं. क्योंकि उस वक्त वे जर्मनी में थीं. इस हत्याकांड को बांग्लादेश की सेना ने अंजाम दिया था.
जियाउर रहमान बने सेना प्रमुख
शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद जियाउर रहमान सेना प्रमुख बन गए. उसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति का भी पद संभाला. जियाउर रहमान ने एक ऑर्डिनेंस के जरिए उन सभी को ताकत दी जिन पर शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के आरोप लगे थे. जिसमें जियाउर रहमान की भूमिका भी विवादास्पद थी. क्योंकि कुछ लोगों का मानना था कि इस हत्या में जियाउर रहमान भी शामिल थे.
बांग्लादेश की सेना ने की जियाउर रहमान की हत्या
21 अप्रैल 1977 ले 30 मई 1981 तक जियाउर रहमान बांग्लादेश के राष्ट्रपति रहे. लेकिन बांग्लादेशी सेना ने उनकी भी हत्या कर दी. चटगांव में 30 मई 1981 को सेना ने जियाउर रहमान को मौत के घाट उतार दिया. कुछ बाकी अधिकारियों ने सर्किट हाउस के उस कमरे पर हमला कर दिया. जिसमें जियाउर रहमान ठहरे हुए थे. जियाउर रहमान की हत्या के बाद शेख हसीना बांग्लादेश लौट आईं. वहीं दूसरी ओर जियाउर रहमान की मौत के बाद खालिदा जिया ने भी राजनीति का रुख किया. उन्होंने अपने पति की बनाई पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की जिम्मेदारी संभाल ली. बता दें कि जियाउर रहमान ने साल 1978 में पार्टी की स्थापना की थी.
पहले दोस्ती और बाद में दुश्मन बन गईं हसीना और खालिदा
जब जियाउर रहमान राष्ट्रपति थे तब इरशाद को बांग्लादेश की सेना के प्रमुख थे. उसी ने जियाउर रहमान की मौत के बाद पहले अब्दुस सत्तार को देश का नया राष्ट्रपति बनाया, लेकिन उसके बाद तख्तापलट कर एहसानुद्दीन चौधरी राष्ट्रपति बन गए. उनके तौर-तरीके तानाशाह की तरह थे. उन्होंने देश में मार्शल लगा दिया. उसके बाद खालिदा जिया और शेख हसीना ने हाथ मिलाया. जिससे इरशाद को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. लेकिन जब देश से मार्शल लॉ हटा तो शेख हसीना और खालिदा जिया अलग हो गईं.
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कैसे दुश्मन बनी बांग्लादेश की दो प्रमुख महिला नेता
साल 1991 में खालिदा जिया पहली बार प्रधानमंत्री बनीं. वो देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं. साल 1996 के आम चुनाव में शेख हसीना को हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में उन्होंने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया. जिसे लेकर बांग्लादेश में आंदोलन शुरू हो गया. इस आंदोलन के चलते खालिदा जिया को एक महीने के भीतर ही पद से स्तीफा देना पड़ा. ये दोनों के बीच दुश्मनी की शुरुआत थी. उसके बाद जून 1996 में फिर से चुनाव हुआ.
जिसमें शेख हसीना को जीत मिली और वे प्रधानमंत्री बन गईं. 2001 में खालिदा जिया ने तीसरी बार प्रधानमंत्री का शपथ ली. इस बार उन्होंने पूरे पांच साल तक देश पर राज किया. लेकिन 2009 के बाद से 5 अगस्त 2024 तक शेख हसीना लगातार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनी रहीं. जिसे लेकर खालिदा जिया हमेशा आरोप लगाती रहीं कि शेख हसीना चुनाव में धांधली कर जीत हासिल करती हैं. जिसके चलते दोनों के बीच कभी सुलह नहीं हुई.
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