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दुनियाभर में क्यों कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं यहूदी? Photograph: (Social Media)
Sydney Bondi Beach Shooting: ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में रविवार को बोंडी बीच पर आतंकी हमला हो गया. जिसमें 16 लोगों की जान चली गई. जबकि 40 से ज्यादा लोग घायल हो गए. जिनका अभी भी अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है. ये हमला यहूदियों को निशाना बनाकर किया गया. ऐसे में अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर कट्टरपंथी दुनियाभर में यहूदियों को ही ही निशाना क्यों बना रहे हैं. क्योंकि दो साल पहले भी इजरायल में यहूदियों पर बड़ा हमला हुआ था.
दुनियाभर में कितनी है यहूदियों की संख्या?
दरअसल, दुनियाभर के कई देशों में आए दिन आतंकी हमले की खबरें आती रहती हैं. जिनमें सबसे ज्यादा हमले यहूदियों और हिंदुओं पर होते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर यहूदियों और हिंदुओं को ही कट्टरपंथी निशाना क्यों बनाते हैं. क्या इसके पीछे की वजह उनकी कम संख्या है. या फिर उनकी धार्मिक पहचान है. दरअसल, यहूदी दुनिया की कुल आबादी का करीब 0.2 प्रतिशत हैं. जबकि सबसे ज्यादा आबादी ईसाइयों को है.
उसके बाद सबसे बड़ी आबादी मुस्लिमों की है. जबकि हिंदूओं की सबसे ज्यादा संख्या भारत में है. जबकि प्रवासी देशों में हिंदू आज भी अल्पसंख्यक हैं. अल्पसंख्यक होना और सांस्कृतिक रूप से अलग दिखना कट्टरपंथियों द्वारा उनपर हमला करना आसान बन जाता है. यहूदी और हिंदुओं की सभ्यता काफी पुरानी है. यहूदी धर्म चार हजार साल पुराना माना जाता है. बावजूद इसके यूरोप में उन्हें सदियों तक बाहरी माना गया.
अक्टूबर 2023 में भी हुआ था यहूदियों पर हमला
वहीं हिंदू सभ्यता भी हजारों साल पुरानी है. जिसने सैकड़ों सालों से आक्रमणों, उपनिवेशवाद और धर्मांतरण झेला है. इसका सिलसिला आज भी जारी है. आज यहूदी शिक्षा, व्यापार और विज्ञान में तेजी से सफलता हासिल कर रहे हैं. बावजूद इसके यहूदी कट्टरपंथियों के निशाने पर रहते हैं. अक्टूबर 2023 में भी इस्लामिक कट्टरपंथियों ने इजरायल में यहूदियों को निशाना बनाया था.
जिसमें करीब 1200 यहूदियों की जान गई थी. ऐसे ही हाल कुछ हिंदुओं के हैं. जहां धर्म के नाम पर उनपर हमले होते हैं. जिसका ताजा उदाहर इसी साल अप्रैल में हुआ पहलगाम आतंकी हमला है. जो दिखाता है कि कट्टरपंथियों के निशाने पर यहूदियों के साथ हिंदू भी है. जबकि मुस्लिमों पर ज्यादातर उन्हीं के समुदाय के मजहबी कट्टरपंथी करते रहते हैं.
हमेशा अपनी पहचान के लिए लड़ते रहे हैं यहूदी
यहूदी हमेशा अपनी धार्मिक पहचान के लिए लड़ते रहे हैं. क्योंकि शुरुआत में उनके पास अपना कोई देश तक नहीं था. इजरायल यहूदी देश है लेकिन वो जहां स्थित है उसके चारों तरफ इस्लामिक देश बसे हुए हैं. इजरायल लगातार इन देशों के निशाने पर रहा है. 7 अक्टूबर 2023 को जब गाजा से इजरायल पर हमला किया गया वो बहुत खतरनाक था. इस दौरान हमास के आतंकियों ने इजरायल पर करीब 5000 हजार मिसाइलें दागी थी. जिसमें 1200 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोगों को बंदी बना लिया गया.
इजरायल बनने के बाद से कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं यहूदी
बता दें कि अब से करीब सौ साल पहले जर्मनी में करीब 90 लाख यहूदी रहते थे. जिन्हें हिटलर ने निशाना बनाया था. साल 1933 में हिटलर ने यहूदियों को खत्म करने की कसम खाई थी. हिटलर ने 90 लाख में से करीब 60 लाख यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया था. इसके बाद 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन के पास यहूदियों को बसने के लिए जमीन का एक टुकड़ा दिया. जिसे इजरायल कहा गया. उसके बाद यहूदी इस्लामिक कट्टरपंथियों के सबसे बड़े दुश्मन बन गए. इजरायल के गठन के बाद से ही दुनियाभर में कट्टरपंथी यहूदियों को निशाना बना रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के जमीन देने के बाद भी फिलिस्तीन समेत अन्य अरब देश यहूदियों को वहां बसने नहीं देना चाहते.
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