Tibetan Buddhism: मंगोलियाई बच्चा बना तीसरा बौद्ध धर्म गुरु, चीन को दलाई लामा की 'गुगली'
अपुष्ट मीडिया रिपोर्टें हैं कि आठ वर्षीय लड़के का दसवें खलखा जेटसन धम्पा रिनपोछे के रूप में पुनर्जन्म हुआ है, जिसका फरवरी के अंत में गंडन मठ में एक समारोह में बौद्ध धर्म गुरु के रूप में अभिषेक किया गया.
highlights
- तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने दिया चीन के शी जिनपिंग को बड़ा झटका
- 8 साल के मंगोलियाई बच्चे को बनाया तिब्बती बौद्ध धर्म का तीसरा धर्मगुरु
- चीन तिब्बती बौद्ध धर्म की परंपरा में अपने लोगों की नियुक्ति चाहता है
नई दिल्ली:
14वें दलाई लामा (Dalai Lama) 87 साल के एक जीर्णशीर्ण व्यक्ति हैं, जो मानते हैं कि वह 113 साल की जैविक उम्र तक जीवित रहेंगे. यही वजह है कि तिब्बती बौद्ध धर्म (Tibetan Buddhism) के प्रभावशाली गेलुग्पा स्कूल के प्रमुख के रूप में पुनर्जन्म की घोषणा करने की उनकी कोई तत्काल योजना नहीं रही. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) उनसे भयंकर नफरत करती है और 'अलगाववादी' करार देती है. गौरतलब है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने तिब्बती बौद्ध धर्म के चार स्कूलों के उच्च लामाओं के आधिकारिक पुनर्जन्म की शक्ति को निरस्त कर तिब्बत नीति का चीनीकरण कर दिया है. फिर भी इस चढ़ती उम्र में कैंसर से जंग जीतने वाले दलाई लामा ने बीजिंग को गुगली देने में कामयाबी हासिल की. उन्होंने तिब्बती बौद्ध धर्म के तीसरे सबसे वरिष्ठ लामा या आध्यात्मिक नेता के रूप में मंगोलिया (Mangolia) के गेलुग्पा स्कूल के प्रमुख के पुनर्जन्म (Reincarnation) की घोषणा कर शी जिनपिंग शासन को क्लीन बोल्ड कर दिया. इस क्रम में दसवें खलखा जेटसन धम्पा रिनपोछे का धर्मगुरु के रूप में 14वें दलाई लामा ने एक समारोह में अभिषेक किया. इसमें लगभग 600 मंगोलियाई लोग भी शामिल हुए, जो सिर्फ इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए धर्मशाला (Dharamshala) पहुंचे थे. जाहिर है यह अभिषेक दलाई लामा और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच चल रही अघोषित जंग और तिब्बती बौद्ध धर्म के अस्तित्व के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा.
फिलहाल चुप्पी साधे हैं दलाई लामा
ऐसी अपुष्ट खबरें हैं कि 2015 में अमेरिका में पैदा हुए आठ वर्षीय लड़के का फरवरी के अंत में मंगोलिया के सबसे बड़े गंडन टेगचिनलेन मठ में एक समारोह में दसवें खलखा के रूप में अभिषेक किया गया था. समारोह में मठाधीशों समेत मंगोलिया के शीर्ष लामाओं ने भाग लिया. तिब्बती बौद्ध धर्म के विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि आठ साल के लड़के को 8 मार्च को पुनर्जन्म घोषित किए जाने के बाद ही वैधानिकता मिली, जो 14वें दलाई लामा द्वारा 2016 में उलानबटोर की यात्रा के दौरान की गई कवायद की परिणति थी. बताते हैं कि दसवां खलखा अगुइदाउ और अचिल्टाई अट्टनमार नाम के जुड़वां लड़कों में से एक है. ये उलानबटोर में सबसे अमीर व्यापारिक और राजनीतिक साम्राज्यों में से एक से संबंध रखता है. धर्मशाला में दलाई लामा संस्था नए मंगोलियाई तिब्बती नेता की वास्तविक पहचान पर चुप्पी साधे हुए है, क्योंकि उन्हें डर है कि उन्हें चीनी शासन उसे निशाना बना सकता है.
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चीन-रूस के बीच पिस रहा है मंगोलिया
परस्पर द्विपक्षीय संबंधों को किसी सीमा में नहीं बांधने वाले दो शक्तिशाली देश रूस और चीन के बीच मंगोलिया सैंडविच की तरह पिस रहा है. मंगोलिया ने दलाई लामा संस्थान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक मंगोलियाई राजा अल्तान खान ने दलाई लामा (ज्ञान का महासागर) की उपाधि तीसरे गेलुग्पा लामा सोनम ग्यात्सो को प्रदान की थी. इसके एवज में अल्तान खान को धर्म के राजा 'ब्रह्मा' की उपाधि प्रदान की गई. चौथे दलाई लामा योंतेन ग्यात्सो का जन्म 1589 में मंगोलिया में चोकर आदिवासी सरदार त्सुल्ट्रिम चेजे के घर हुआ था, जो अल्तान खान और उनकी दूसरी पत्नी फाखेन नूला के पौत्र थे.
नई दिल्ली फिलहाल इस मसले से है दूर
नई दिल्ली ने इस धार्मिक मसले के हल को दलाई लामा, चीन और मंगोलिया के बीच ही छोड़ दिया है. ऐसे में माना जा रहा है कि यह केवल कुछ समय की बात है जब बीजिंग उलानबटोर पर दबाव बनाना शुरू कर देगा. दसवें खलखा रिनपोछे की नियुक्ति का मतलब है कि तिब्बती बौद्ध धर्म को मंगोलिया में नया जीवन मिला है. यह दर्शाता है कि 14वें दलाई लामा चीनी कम्युनिस्ट शासन के खिलाफ अपनी लड़ाई में पीछे नहीं हटे हैं. साथ ही चीन के कब्जे वाले तिब्बत में भी एक राजनीतिक-धार्मिक ताकत बने हुए हैं. मंगोलिया में बौद्ध धर्म के प्रमुख के आठ साल के नेता का धर्मगुरु के रूप में औपचारिक अभिषेक धर्मशाला में होना बीजिंग के लिए भी एक कड़ा संदेश है. चीनी कम्युनिस्ट ताकतों के हाथों ल्हासा के कब्जे के बाद भी तिब्बती पठार के लिए लड़ाई 73 साल बाद भी जारी है.
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दलाई लामा और चीन के बीच संघर्ष होगा और तेज
स्पष्ट है कि 14वें दलाई लामा और सीपीसी के बीच संघर्ष इस घटनाक्रम के बाद और तेज होगा. इसकी एक बड़ी वजह यही है कि 87 वर्षीय दलाई लामा ने सार्वजनिक कर दिया है कि वह चीनी कब्जे वाले तिब्बत में पुनर्जन्म नहीं लेंगे. इसके साथ ही उन्होंने इस विकल्प को खुला छोड़ दिया है कि 15वें दलाई लामा या तो हिमालयी बेल्ट से उभर सकते हैं या चीन के बाहर कहीं भी.
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