Advertisment

कश्मीर में भारत के खिलाफ छद्म युद्ध का नया हथियार बन रहा नशा

बीते पांच सालों में सिर्फ कश्मीर घाटी में हेरोइन के इस्तेमाल के मामलों में दो हजार गुना इजाफा देखने में आया है. पाकिस्तान अब आधुनिक ड्रोन का इस्तेमाल कर सीमा पार से भारी मात्रा में मादक पदार्थ कश्मीर भेज रहा है.

author-image
Nihar Saxena
एडिट
New Update
Narco

बीते पांच सालों में नशे की लत की दर में दो हजार गुना इजाफा.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

इस्लामाबाद कश्मीर घाटी में भारत के खिलाफ छद्म युद्ध में नार्को टेरेरिज्म रूपी नए हथियार का इस्तेमाल कर रहा है. इसके जरिये वह एक तीर से कई निशाने साध रहा है. पहला, घाटी के युवाओं को अपने चंगुल में फंसा रहा है. दूसरा, पाकिस्तान (Pakistan) समर्थित आतंकी (Terrorism) गतिविधियों के लिए मादक पदार्थों की तस्करी (Drugs Trafficking) से धन जुटा रहा है. तीसरा, भारत के लिए एक नए मोर्चे पर नापाक साजिश रच रहा है. ऐसी साजिश जो सूबे के सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर सतत संघर्ष की आग में झोंक सकती है. ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में अयाज वाणी लिखते हैं कश्मीर में नार्को टेरेरिज्म (Narco Terrorism) में तेजी आई है. वहां के धार्मिक नेताओं की  इस मसले पर चुप्पी ने समस्या को और बढ़ाने का काम किया है. 

कश्मीरियत की पहचान अब कहीं नहीं
बीते पांच सालों में सिर्फ कश्मीर घाटी में हेरोइन के इस्तेमाल के मामलों में दो हजार गुना इजाफा देखने में आया है. पाकिस्तान अब आधुनिक ड्रोन का इस्तेमाल कर सीमा पार से भारी मात्रा में मादक पदार्थ कश्मीर भेज रहा है. जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह भी स्वीकार करते हैं कि पाकिस्तान का नार्को टेरेरिज्म फिलवक्त एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है. बीते तीन दशकों से पाकिस्तान ने अनौपचारिक नियंत्रण प्रणाली के पारंपरिक तौर-तरीकों को ध्वस्त करने में बड़ी सफलता हासिल की है. जमात-ए-इस्लामी, सलाफीवाद और तबलीगी जमात जैसी परस्पर विरोधी धार्मिक विचारधाराओं को कश्मीर पर गहरे तक पैठा दिया है. इनमें प्रचार-प्रसार के लिए आपसी प्रतिस्पर्धा जबर्दस्त है.  ऐसे में विरोध के स्वर में उठने वाली हर आवाज को खामोश कर दिया गया. इन परस्पर विरोधी धार्मिक विचारधारा से परंपरागत सामाजिक रीति-रिवाज और कश्मीरियत रूपी पहचान अब अप्रासंगिक हो गई है. 

यह भी पढ़ेंः  क्या होता है नौसेना का झंडा, भारतीय नौसेना को क्यों मिल रहा है नया झंडा... जानें

समाज सामुदायिक स्तर पर बंटा
धीरे-धीरे इन धार्मिक विचारधाराओं से जुड़ाव रखने वाले लोगों ने समाज को अब सामुदायिक स्तर पर बांट दिया है. इस वजह से युवाओं के पथभ्रष्ट आचरण में भी तेजी आई है. इस पर कोई रोक या नियंत्रण नहीं होने को प्राथमिक तौर पर कट्टरपंथ और अलगाववाद के लिए जिम्मेदार करार दिया जा सकता है. इसमें अब नशे की लत और जुड़ गई है. युवाओं में मादक पदार्थों के बढ़ते सेवन और उसके पीछे पाकिस्तान की भूमिका पर चर्चा करने के बजाय धार्मिक आयोजनों में मुल्ला-मौलवी अपनी-अपनी धार्मिक शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार में लगे हैं. खास बात यह है कि उनकी शिक्षा मादक पदार्थों के खिलाफ कुरान या मोहम्मद साहब की कही बातों पर केंद्रित नहीं है. इस पर बात कर युवाओं को रास्ता दिखाने के बजाय अब उन्हें धर्म की कट्टरता का घोल पिलाया जा रहा है. 

यह भी पढ़ेंः 'ज़ॉम्बी आइस' 10 इंच बढ़ा देगी दुनिया भर में समुद्र जलस्तर... फिर आएगी 'प्रलय'

नशे की लत के खिलाफ कहीं कोई तकरीर नहीं करता
परस्पर विरोधी धार्मिक विचार-धाराओं से जुड़ाव रखने वाले मुल्ला-मौलवी शुक्रवार और त्योहार के मौकों पर मस्जिद से तकरीरें करते हैं. वे अपनी-अपनी धार्मिक विचारधारा से कट्टरता की हद तक जुड़ाव रखते हैं और उनकी बातों को अनुयायी गंभीरता से भी लेते हैं. इसके बावजूद वे समाज में बढ़ते मादक पदार्थों के सेवन के खिलाफ कोई बात नहीं करते. इसके बजाय वे अलगाववादी ताकतों के साथ खड़े नजर आते हैं. जाहिर है संर्घष का यह अंतहीन सिलसिला कश्मीर में अनवरत जारी है. और तो और, अलगाववादी ताकतों और आतंकी संगठनों के हड़ताल के आह्वान, सुरक्षा बलों की ओर से लगाए जाने वाले लंबे कर्फ्यू और अंतहीन संर्घष से नैराश्य, बोरियत, मनोवैज्ञानिक तनाव और उद्विग्नता के मामले बढ़ रहे हैं. इस आग में घी डालने का काम कर रहा है मनोरंजन से जुड़ी गतिविधियों का नितांत अभाव. इन सबकी वजह से जम्मू-कश्मीर के प्रभावशाली दिमाग को नशे के चंगुल में ला फंसाया है. 

यह भी पढ़ेंः शिनजियांग में उइगर मुसलमानों की जबरन नसबंदी, बलात्कार... चीन का पर्दाफाश

पांच साल में दो हजार गुना बढ़ी नशे की लत
समाज के प्रत्येक तबके में नशे की लत से जुड़े मामलों में भीषण तेजी देखने में आई है. आलम यह है कि हरेक घंटे कश्मीर के ड्रग डि-एडिक्शन सेंटर में एक नशे का लती रिहाब के लिए पहुंच रहा है. श्रीनगर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के ओरल सब्सटीट्यूशन थैरेपी सेंटर में 2016 तक ऐसे 489 मामले आए थे, लेकिन 2021 में इस आंकड़े ने 10 हजार की रेखा पार कर ली. बीते पांच सालों में दो हजार गुना वृद्धि ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन समेत सुरक्षा तंत्र को सकते में ला दिया है. कुछ समय पहले तक मादक पदार्थों के साथ हथियार भेजने की दोहरी नीति पर काम कर रहा था. इस तरह वह सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर संघर्ष की आग को जलाए रखे था. पाकिस्तान से तस्करी के जरिये आने वाली हेरोइन का नशे के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. सीमा पार से नशीले पदार्थों की तस्करी से जुटाया जा रहा धन आतंकवाद को ऑक्सीजन दे रहा है. अगर इस पर रोक नहीं लगाई तो यहां के युवाओं की जिंदगी बर्बाद कर देगा यह नशा.

यह भी पढ़ेंः उम्र से पहले हो रहे हैं बाल सफेद, तो उन्हें pluck नहीं करें... आजमाए ये ट्रिक

नार्को टेरेरिज्म है फिलवक्त बड़ी चुनौती
हेरोइन जैसे नशीले पदार्थों की तस्करी से मिलने वाले धन अलगाववादी गतिविधियों के लिए ईंधन का काम करता है. साथ ही इसका इस्तेमाल अन्य क्रिया-कलापों में किया जाता है. यही वजह है कि बीते कुछ दिनों में जिन टेरर मॉड्यूल्स कोध्वस्त किया गया, उन्हें समाज और सुरक्षा के लिहाज से बड़ा खतरा आंका गया. बीते साल जून में बारामूला में सुरक्षा बलों ने एक नार्को टेरर मॉडल पकड़ा था. इसके दस सदस्यों के पास से 45 करोड़ की हेरोइन समेत चीन निर्मित ग्रेनेड और पिस्तौल बरामद हुई थी. इस मॉड्यूल की गतिविधियां समग्र जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेशों के बाहर तक फैली हुई थी. हालांकि एक अच्छी बात यह जरूर है कि विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय और चाक-चौबंद सुरक्षा से आतंकी वारदातों में काफी हद तक कमी आई है. फिर भी पाकिस्तान का नार्को टेरेरिज्म रूपी नया हथियार एक नई चुनौती पेश कर रहा है. सुरक्षा के लिहाज से भी और सामाजिक ताने-बाने के लिहाज से भी.

HIGHLIGHTS

  • भारत के खिलाफ छद्म युद्ध में नार्को टेरेरिज्म बना नया हथियार
  • युवाओं की पौध को खोखला कर सामाजिक संघर्ष की साजिश
  • सुरक्षा बलों-एजेंसियों के लिए इस पर रोक लगाना बड़ी चुनौती
जम्मू कश्मीर jammu-kashmir Terrorism Narco Terrorism Drug Trafficking security forces पाकिस्तान सुरक्षा बल नार्को टेरेरिज्म तस्करी pakistan मादक पदार्थ
Advertisment
Advertisment
Advertisment