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'ज़ॉम्बी आइस' 10 इंच बढ़ा देगी दुनिया भर में समुद्र जलस्तर... फिर आएगी 'प्रलय'

ज़ॉम्बी बर्फ की वजह से ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर पिघल रही है, जिसकी वजह से वैश्विक स्तर पर समुद्र का जलस्तर 27 सेमी बढ़ जाएगा. किस वजह से पिघल रही ज़ॉम्बी बर्फ? फिर क्या होगा और कब तक? समुद्र के जलस्तर में 10 इंच की बढ़ोत्तरी के क्या है मायने?

Updated on: 31 Aug 2022, 07:21 PM

highlights

  • विश्व के 10 बड़े महानगरों में से 8 समुद्र के किनारे हैं बसे
  • कुल 570 तटीय शहरों में रह रही है 80 करोड़ की आबादी
  • समुद्र जलस्तर में 10 इंच की वृद्धि इन्हें लगभग मिटा देगी 

नई दिल्ली:

दुनिया विद्यमान खतरे को समझ भले ही आज जलवायु को लेकर ठोस कार्रवाई करते हुए कोई प्रभावी कदम क्यों न उठा ले. फिर भी इतना निश्चित है कि ग्रीनलैंड में पिघलती बर्फ की चादर वैश्विक स्तर पर समुद्र के जलस्तर को 10.6 इंच या 27 सेमी बढ़ा देगी. इसकी वजह बनेगी ज़ॉम्बी बर्फ, जिसका बर्फीले हिस्से से पिघलना अवश्यंभावी है. ज़ॉम्बी बर्फ के पिघलने से बहुत बड़ी मात्रा में पानी महासगारों (Oceans) से जा मिलेगा. नेचर क्लाइमेट चेंज जॉर्नल में प्रकाशित हालिया शोध इस बड़े खतरे की ओर गंभीरता से इशारा कर रहा है. इस शोध में वैज्ञानिकों ने पहली बार ग्रीनलैंड (Greenland) की बर्फ की चादर की न्यूनतम पिघलने वाली बर्फ की मात्रा की गणना की है. इसके साथ ही यह भी गणना की है कि इससे वैश्विक समुद्र के जलस्तर (Sea Level) में कितनी वृद्धि होगी. द्वीपीय देश ग्रीनलैंड वास्तव में डेनमार्क राजशाही का हिस्सा है, जो आर्कटिक (Arctic) और अटलांटिक (Atlantic) महासागर से घिरा हुआ है. 

क्या होती ज़ॉम्बी बर्फ?
इसे मृत या बर्बाद बर्फ भी कहते हैं. ज़ॉम्बी बर्फ वास्तव में मूल बर्फ की चादर का हिस्सा बने रहते हुए भी खुद पर ताजा बर्फ जमा नहीं होने देती. ऐसी बर्फ का पिघलना और उसकी वजह से समुद्र का जलस्तर बढ़ना तय है. इस शोध के प्रमुख ऑथर जेसन बॉक्स के मुताबिक, 'ग्रीनलैंड की ज़ॉम्बी बर्फ का पिघल कर महासागरों में मिलना तय है. भले ही हम आज इसे रोकने के कोई भी कदम क्यों न उठा लें. यही नहीं, इसका पिघलना वास्तव में अपनी-अपनी कब्र की ओर बढ़ा हमारा एक कदम होगा.'

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क्यों पिघल रही है जॉम्बी बर्फ?
इसके पीछे भी पृथ्वी के तापमान में हो रही वृद्धि जिम्मेदार है. हालिया शोध में बर्फ की एक संतुलन अवस्था के संकेत दिए गए हैं. इसके मुताबिक ग्रीनलैंड बर्फ की चादर के ऊपरी हिस्से की बर्फ रिचार्ज एजेस करार दिए जाने वाले ग्लेशियर के निचले हिस्से तक बह कर आती है और उसकी मोटाई बढ़ाती है. बीते कई दशकों से इस बर्फ के पिघलने की रफ्तार बढ़ी है और इसकी तुलना में इसी निचले हिस्से में बर्फ का जमना कम हुआ है.  

आगे क्या होगा और कब तक?
हर हाल में पिघलने वाली न्यूनतम बर्फ के नुकसान और उसकी तुलना में जमने वाली बर्फ की मात्रा के औसत के आधार पर गणना कर वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि ग्रीनलैंड की समग्र बर्फ का 3.3 फीसदी हिस्सा पिघल जाएगा. इस बर्फ का पिघलना अवश्यंभावी है और तब भी होकर रहेगा यदि वैश्विक तापमान आज जितना है, उतने पर ही रोक लिया जाए. हालांकि ऐसा कतई नहीं होने वाला, क्योंकि वैश्विक तापमान के और बढ़ने की भविष्यवाणी पहले ही की जा चुकी है. ऐसे में ग्रीनलैंड की पिघलने वाली बर्फ से समुद्र के जलस्तर में खतरनाक स्तर की वृद्धि होना तय है. 2012 में ग्रीनलैंड में बर्फ के पिघलने की दर ने रिकॉर्ड स्तर छू लिया था. अगर वही घटना नियमित होने लगे तो समुद्र के जलस्तर में 30 इंच तक की वृद्धि हो सकती है. हालांकि शोधकर्ताओं ने इसके लिए कोई समयसीमा का जिक्र नहीं किया है. इसके बजाय सिर्फ इतना ही कहा गया है कि पिघलने वाली बर्फ की यह घटना इसी सदी में होकर रहेगी.  यूनिवर्सिटी ऑफ अलास्का फेयरबैंक्स के मुख्य वैज्ञानिक जॉन वॉल्श कहते हैं, 'जो कुछ अब तक हो चुका है, उसकी तुलना में शोध हद दर्जे तक जमीनी सच्चाई को सामने लाता है.' जॉन वॉल्श की बात से अन्य विज्ञानी भी इत्तेफाक रखते हैं. 

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10 इंच समुद्र जलस्तर के बढ़ जाने के क्या हैं मायने?
शोध में ग्रीनलैंड की हर हाल में पिघलने वाली ज़ॉम्बी बर्फ से समुद्र के जलस्तर में होने वाली वृद्धि वास्तव में तटीय इलाकों में रहने वाले करोड़ों की आबादी के लिए बेहद बुरी खबर है. संयुक्त राष्ट्र की 'एटलस ऑफ द ओशन' के मुताबिक विश्व के दस बड़े शहरों में से आठ तटीय किनारों पर बसे हैं. ऐसे में समुद्र के जलस्तर में होने वाली वृद्धि से बाढ़ आएगी. इसकी वजह से समुद्र में ऊंची-ऊंची लहरें उठेंगी और तूफान की घटनाओं में तेजी आएगी. बद् से बद्तर वाली स्थिति यह होगी की इनका असर सिर्फ तटीय इलाकों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि ये अंदरूनी हिस्सों पर भी अपना प्रभाव छोड़ेंगे. इसका दूसरा अर्थ यह भी निकलता है कि इन तटीय इलाकों की अधोसंरचना और स्थानीय अर्थव्यवस्था को गंभीर खतरा है. यही नहीं, और निचले स्तर पर बसे तटीय इलाकों पर तो यह कहीं प्रलयंकारी तबाही मचाएगी. द वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम 2019 की 'ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट' के मुताबिक, '570 तटीय शहरों में फिलवक्त 80 करोड़ की आबादी रह रही है, जो 2050 तक समुद्र के जलस्तर में महज 0.5 मीटर की होने वाली वृद्धि के प्रति बेहद संवेदनशील है.'