logo-image

Parakram Diwas 2023: नेताजी सुभाष चंद्र बोस से ऐसे जुड़े रहे नरेंद्र मोदी... युवा कार्यकर्ता से पीएम बनने तक

वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुभाष चंद्र बोस की वीरता के प्रति आजीवन समर्पण उस समय से शुरू होता है, जब वह एक युवा कार्यकर्ता थे. उन्होंने अपनी निजी डायरी में नेताजी के ढेरों उद्धरण एकत्र किए थे.

Updated on: 23 Jan 2023, 01:00 PM

highlights

  • भाजपा के राष्ट्रीय सचिव के रूप में मोदी ने 1997 में गुजरात में नेताजी की प्रतिमा का अनावरण किया
  • सीएम बतौर उन्होंने नेताजी बोस के सम्मान में 23 जनवरी 2009 को 'ई-ग्राम विश्वग्राम' योजना लांच की
  • जापान की अपनी पहली यात्रा पर नेताजी के सबसे पुराने सहयोगी साइचिरो मिसुमी से भी मुलाकात की

नई दिल्ली:

नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) न होते तो भारत (India) को जल्द आजादी नहीं मिलती. इसके तमाम प्रमाण इतिहास के गलियारों के कोनों में दफन हैं कि अंग्रेजों ने नेताजी बोस और उनकी आजाद हिंद फौज (Azad Hind Fauj) के डर से हिंदुस्तान को आजाद करने में और देरी नहीं करने का फैसला किया था. संभवतः यही वजह है कि नेताजी को अपना आदर्श मानने वालों की तादाद कम नहीं हैं. इनमें से एक नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का भी है. वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुभाष चंद्र बोस की वीरता के प्रति आजीवन समर्पण उस समय से शुरू होता है, जब वह एक युवा कार्यकर्ता थे. उन्होंने अपनी निजी डायरी में नेताजी के ढेरों उद्धरण एकत्र किए थे. 'पराक्रम दिवस' (Parakram Diwas 2023) पर आइए जानते हैं नेताजी के जीवन और संस्कारों का पीएम मोदी पर क्या प्रभाव पड़ा...

  • भाजपा के राष्ट्रीय सचिव के रूप में नरेंद्र मोदी ने 1997 में गुजरात के पाटन में नेताजी की प्रतिमा के अनावरण में भाग लिया. जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने नेताजी को सम्मान देने के लिए 23 जनवरी 2009 को 'ई-ग्राम विश्वग्राम' परियोजना शुरू की. परियोजना के माध्यम से गुजरात में कुल 13,693 ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड से जोड़ा गया.
  • एक प्रतीकात्मक संकेत के रूप में 'ई-ग्राम विश्वग्राम' परियोजना हरिपुरा में शुरू की गई थी, जहां नेताजी बोस ने 1938 में स्वराज के लिए ज्योति जलाई थी. इस दौरान मोदी ने 51-बैलगाड़ी की सवारी कर 1938 के दृश्य को फिर से जीवित किया था.
  • उन्होंने नेताजी की प्रतिमा का अनावरण कर उस घर में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की, जहां नेताजी ने 1938 में रात बिताई थी. वहीं से उनका उद्घोष 'तुम मुझसे पसीना दो, मैं तुम्हें हरा-भरा गुजरात दूंगा' न सिर्फ प्रतिष्ठित हुए बल्कि कालजयी भी हो गए.
  • 2012 में मोदी ने भारतीय राष्ट्रीय सेना के स्थापना दिवस को कालजयी बनाने के लिए 'वीरत्व की याद में' में नेताजी को शानदार श्रद्धांजलि अर्पित की.
  • 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान आईएनए के 114 वर्षीय पूर्व अधिकारी कर्नल निज़ामुद्दीन ने मोदी के साथ मंच साझा किया. इस दौरान मोदी ने कर्नल निजामुद्दीन के पैर भी छुए.

यह भी पढ़ेंः अंडमान-निकोबार के 21 अनाम द्वीपों को मिला नाम, PM Modi का शहीदों को सम्मान

  • प्रधान मंत्री के रूप में मोदी ने जापान की अपनी पहली यात्रा पर नेताजी के सबसे पुराने जीवित सहयोगी सैचिरो मिसुमी से मुलाकात की. मोदी मंच से नीचे आए और मिसुमी के सामने घुटने टेके और उन्हें गले से लगा लिया.
  • 2015 में मोदी ने कोलकाता में बोस के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि वह नेताजी से जुड़ी सभी फाइलों को सार्वजनिक करने की उनकी मांग का समर्थन करेंगे. 14 अक्टूबर 2015 को मोदी ने नेताजी की सभी फाइलों को सार्वजनिक कर दिया .
  • नवंबर 2015 में अपनी सिंगापुर यात्रा के दौरान मोदी ने शहीदों के सम्मान में आईएनए के मेमोरियल मार्कर का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने आईएनए के पूर्व सैनिकों के परिवार के सदस्यों से भी मुलाकात की.
  • 4 दिसंबर 2015 को प्रधानमंत्री कार्यालय ने नेताजी की 33 अवर्गीकृत फाइलों के पहले बैच को भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार को सौंप दिया. 23 जनवरी 2016 को पीएम मोदी ने नेताजी से जुड़ी 100 फाइलों की डिजिटल कॉपी जारी की. अब तक 300 से अधिक फाइलों को अवर्गीकृत और सार्वजनिक डोमेन में जारी किया गया है.

यह भी पढ़ेंः कंगाल हो रहे पाकिस्तान की बत्ती गुल, कराची, क्वेटा जैसे दर्जनों शहर अंधेरे में

  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 120वें जन्मदिन पर मोदी ने संसद में उन्हें श्रद्धांजलि दी. उन्होंने नेताजी की आजाद हिंद सरकार के 75 साल पूरे होने के मौके पर 21 अक्टूबर 2018 को लाल किले पर तिरंगा फहराया था. उन्होंने राष्ट्रीय पुलिस स्मारक के उसी दिन 'सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार' की भी घोषणा की. यह पुरस्कार आपदा प्रतिक्रिया अभियानों में शामिल लोगों के साहस और बहादुरी की सम्मान का प्रतीक है.
  • 30 दिसंबर 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय सरजमीं पर पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया था. उसी की याद में मोदी ने 2018 में पोर्ट ब्लेयर में 'नेताजी ध्वजारोहण स्मारक' में उसी स्थान पर झंडा फहराया.
  • मोदी ने उसी दिन बोस को सम्मानित करने के लिए तीन अंडमान द्वीपों का नाम बदल दिया. रॉस द्वीप, नील और हैवलॉक द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप, शहीद द्वीप और स्वराज दीप बन गए. इस दिन को और विशेष बनाते हुए फर्स्ट डे कवर के रूप में स्मारक डाक टिकट और 75 रुपये का सिक्का भी जारी किया.
  • नेताजी की 122वीं जयंती पर मोदी ने 2019 में नई दिल्ली के लाल किले में सुभाष चंद्र बोस संग्रहालय का उद्घाटन किया. इसके साथ ही आईएनए के दिग्गजों को गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया गया था.
  • नेताजी की 125वीं जयंती समारोह के हिस्से के रूप में 2021 में मोदी ने 23 जनवरी को 'पराक्रम दिवस' के रूप में घोषित किया. पीएम ने कोलकाता में पहले 'पराक्रम दिवस' में भाग लिया और राष्ट्रीय पुस्तकालय में एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया. उन्होंने आईएनए के प्रमुख सदस्यों को भी सम्मानित किया और एक स्मारक सिक्का, पुस्तक और डाक टिकट भी जारी किया.
  • 2022 में पराक्रम दिवस पर पीएम मोदी ने कर्तव्य पथ पर नेताजी की एक होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया. कर्तव्य पथ के उद्घाटन के दौरान 8 सितंबर 2022 को इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक ग्रेनाइट प्रतिमा का अनावरण किया गया. नेताजी के जीवन को सामने लाता आसमान में 10 मिनट का ड्रोन शो इस कार्यक्रम का एक और आकर्षण था.