logo-image

Pakistan FATF की ग्रे लिस्ट से हुआ बाहर... इसके क्या निकलेंगे मायने

FATF ग्रे लिस्ट में उन देशों को रखता है जिन पर उसकी बारीक नजर रहती है. संक्षेप में कहें तो एफएटीएफ के आकलन के मुताबिक अंतराष्ट्रीय स्तर पर धन शोधन पर रोक लगाने में नाकाम और आतंकवादियों को वित्त पोषण करने के आरोपी देशों को ग्रे-लिस्ट में रखा जाता है.

Updated on: 22 Oct 2022, 06:50 PM

highlights

  • पाकिस्तान चार साल बाद एफएटीएफ के ग्रे लिस्ट से हुआ बाहर
  • हालांकि इसके ठीक पहले  मूडी और फिच ने रेटिंगी को घटाया
  • भारत ने अभी भी दुनिया से पाकिस्तान पर निगाह रखने को कहा

इस्लामाबाद:

पाकिस्तान (Pakistan) लगभग चार साल बाद वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) की ग्रे लिस्ट से बाहर हो गया, जिसका देश भर में स्वागत किया गया. वित्तीय कार्रवाई कार्यबल को सरल शब्दों में वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के वित्त पोषण का प्रहरी कहा जा सकता है. इसका एक अर्थ यह भी हुआ कि एफएटीएफ वास्तव में एक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का संरक्षक है, जो यह सुनिश्चित करता है कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली में धन के प्रवाह का दुरुपयोग आतंकी गतिविधियों के वित्त पोषण बतौर नहीं होने पाए.  एफएटीएफ खुद को अंतर-सरकारी संस्था बताता है, जो धन शोधन (Money Laundering), आतंक के वित्त पोषण और इससे जुड़े अन्य खतरों पर रोक लगाने के लिए मानक तय कर कानूनी, नियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देता है

FATF की ग्रे लिस्ट है क्या
वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) ग्रे लिस्ट में उन देशों को रखता है जिन पर उसकी बारीक नजर रहती है. संक्षेप में कहें तो एफएटीएफ के आकलन के मुताबिक अंतराष्ट्रीय स्तर पर धन शोधन पर रोक लगाने में नाकाम और आतंकवादियों को वित्त पोषण करने के आरोपी देशों को ग्रे-लिस्ट में रखा जाता है. एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट संदिग्ध आचार-व्यवहार वाले देशों की एक वैश्विक वॉच लिस्ट करार दी जा सकती है. शुक्रवार 21 अक्टूबर तक पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में शामिल सबसे महत्वपूर्ण देश था. पाकिस्तान को निकारागुआ के साथ ग्रे लिस्ट से अब बाहर किया गया है. फिलवक्त 23 देश अभी भी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बने हुए हैं. इनमें फिलीपींस, सीरिया, यमन, संयुक्त अरब अमीरात, युगांडा, मोरक्को, जैमेका, कंबोडिया, बुर्किना फासो और दक्षिण सूडान प्रमुख हैं. इनके अलावा बार्बाडोस, कैमन द्वीप और पनामा जैसे कर चोरी को बढ़ावा देने वाले देश भी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल हैं. 

यह भी पढ़ेंः Hate speech पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, मुसलमानों के खिलाफ बढ़ते अपराध पर अदालत ने क्या कहा?

ग्रे लिस्ट में शामिल देशों से क्या अपेक्षा की जाती है
एफएटीएफ ग्रे लिस्ट में शामिल देशों को 'बढ़ी हुई निगरानी वाले अधिकार क्षेत्र' करार देता है. मूलतः ग्रे लिस्ट में शामिल देशों को एफएटीएफ की ओर से निर्धारित कुछ शर्तों का पालन करना होता है. इन शर्तों के अनुपालन में नाकाम रहने पर ग्रे लिस्ट में शामिल देश को एफएटीएफ रूपी वैश्विक वॉच डॉग ब्लैक लिस्ट कर देता है. एफएटीएफ खुद समय-समय पर इन शर्तों के अनुपालन की समीक्षा करता है. एफएटीएफ के मुताबिक बढ़ी हुई निगरानी के अधिकार क्षेत्र के तहत जिस देश को लाया जाता है, तो इसका मतलब होता है कि तय समय सीमा के भीतर सामने आई रणनीतिक कमियों को संबंधित देश जल्द से जल्द दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके साथ ही ग्रे लिस्ट में शामिल देश की अतिरिक्त जांच-पड़ताल भी की जाती रहेगी. विशेष रूप से ये अधिकार क्षेत्र अब मनी लॉन्ड्रिंग, आतंक के वित्तपोषण और वित्तपोषण का प्रचार-प्रसार रोकने के लिए ग्रे लिस्ट में शामिल देश अपनी रणनीतिक कमियों को दूर करने के लिए एफएटीएफ के साथ सक्रिय रूप से काम करते हैं. 

यह भी पढ़ेंः Imran Khan संसद के लिए अयोग्य ठहराए गए... अब क्या होगा पाकिस्तान में

तो पाकिस्तान एफएटीएफ को संतुष्ट करने के सभी पैमानों पर खरा उतरा
एफएटीएफ के मुताबिक पाकिस्तान इस समीक्षा बैठक में सभी शर्तों के अनुपालन के क्रम में खरा उतरा है. पाकिस्तान को जब पहली बार ग्रे लिस्ट में शामिल किया गया था, तो उसके राजनीतिक निजाम ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता जाहिर की थी कि वह एएमएल-सीएफटी शासन को मजबूती देने और आतंकवाद के वित्त पोषण पर रोक लगाने में सामने आई खमियों को दूर करने के लिए एफएटीएफ के साथ मिलकर काम करेगा. एएमएल-सीएफटी से एफएटीएफ का आशय धन शोधन विरोधी और आतंकवाद के वित्त पोषण पर प्रभावी रोक लगाने से है. 21 अक्टूबर को एफएटीएफ ने घोषणा की कि पाकिस्तान ने एएमएल-सीएफटी को प्रभावी ढंग से मजबूती दी है और संस्था द्वारा जून 2018 और जून 2021 में सामने लाई गई रणनीतिक खामियों को दूर करने की प्रतिबद्धता पूरी कर ली है. एफएटीएफ ने पाकिस्तान पर कुल 34 शर्तें थोपी थी, जिनका उसने पूरी तरह से अनुपालन किया. ऐसे में पाकिस्तान अब एफएटीएफ की बढ़ी निगरानी प्रक्रिया के दायरे में नहीं आता है. 

यह भी पढ़ेंः 'Geeta Jihad' पर कांग्रेस ने भी शिवराज पाटिल से काटी कन्नी, समझें बिंदुवार

तो क्या यह पूरी तरह से सच है ?
तकनीकी तौर पर कहें तो एफएटीएफ ने अपने आकलन में सभी शर्तों और कामों को पूरा कर लिया है. हालांकि भारत ने इस पर आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा, 'एफएटीएफ के दबाव में पाकिस्तान को मुंबई पर आतंकी हमलों में शामिल आतंकियों समेत अन्य कुछ वैश्विक आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी है. हालांकि यह वैश्विक हित में है कि पाकिस्तान अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों से आतंकवाद और आतंक के वित्तपोषण के खिलाफ विश्वसनीय, सत्यापित, सतत और निरंतर कार्रवाई करना जारी रखे.'

यह भी पढ़ेंः Royal Family: महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद परिवार में उथल-पुथल क्यों

एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर होने पर पाकिस्तान को क्या होगा फायदा
एफएटीएफ की बैठक से पहले डॉन अखबार ने लिखा था, 'यदि पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर आता है, तो पाकिस्तान की साख में इजाफा होगा. वह इस तरह अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंक के वित्त पोषण के खिलाफ कुछ स्पष्टता हासिल करेगा.' एक शोध के मुताबिक ग्रे लिस्ट में शामिल देश का बैंक और वित्तीय संस्थाओं रूपी अंतरराष्ट्रीय फंडर्स से संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ता है. ग्रे लिस्ट में शामिल होने से संबंधित देश में निवेश कर चुके या करने की सोच रहे विदेशी निवेशकों का विश्वास भी कम होता है. खासकर ऐसे वैश्विक निवेशक और वित्तीय संस्थाएं जो एफएटीएफ की रेटिंग और रैंकिंग के आधार पर निवेश की योजना बनाती हैं. गौरतलब है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बहुत खराब स्थिति में है और उसे मदद और निवेश की महती आवश्यकता है. 21 अक्टूबर को एफएटीएफ की घोषणा से पहले वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने पाकिस्तान की सार्वभौमिक रेटिंग में कटौती करते हुए उसे बी- से सीसीसी+ कर दिया था. इसके पहले मूडी ने भी पाकिस्तान की रेटिंग बी3 से कम कर सीसीसी+ कर दी थी. इससे पाकिस्तान की राह कतई आसान नहीं होने वाली है. फिर भी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर आने का फायदा उसे जरूर मिलेगा.