Myanmar में चीन का नया दांव, मिलिट्री जुंटा के साथ बनाएगा ज्वाइंट सिक्योरिटी कंपनी, जानें भारत के लिए टेंशन कैसे?

Myanmar China: म्यांमार में चीन ने बड़ा दांव चला है, उसने वहां की सैन्य सरकार मिलिट्री जुंटा के साथ मिलकर ज्वाइंट सिक्योरिटी कंपनी बनाने का ऐलान किया है. आइए जानते हैं कि भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा.

Myanmar China: म्यांमार में चीन ने बड़ा दांव चला है, उसने वहां की सैन्य सरकार मिलिट्री जुंटा के साथ मिलकर ज्वाइंट सिक्योरिटी कंपनी बनाने का ऐलान किया है. आइए जानते हैं कि भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा.

Madhurendra Kumar & Ajay Bhartia
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Myanmar में चीन का नया दांव, मिलिट्री जुंटा के साथ बनाएगा ज्वाइंट सिक्योरिटी कंपनी, जानें भारत के लिए टेंशन कैसे?

Myanmar China: चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. अब चीन ने म्यांमार में नया दांव चल दिया है. वो वहां की सैन्य सरकार मिलिट्री जुंटा के साथ मिलकर ज्वाइंट सिक्योरिटी कंपनी बनाएगा. चीन का ये कदम दक्षिण-पूर्व एशिया में नई रणनीतिक चिंताओं को जन्म दे रहा है. कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसा कर चीन म्यांमार में अस्थिरता को और बढ़ा सकता है. साथ ही क्षेत्रीय भू-राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है. आइए जानते हैं कि चीन का ये कदम भारत के लिए टेंशन कैसे है. 

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सैन्य जुंटा और चीन की निकटता

फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद से म्यांमार गृहयुद्ध से जूझ रहा है. विभिन्न विपक्षी समूह जुंटा के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष कर रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय दबाव और अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय द्वारा सैन्य नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट की मांग के बीच चीन ने अपनी सतर्क कूटनीति को छोड़ते हुए अब जुंटा के प्रति सीधा समर्थन दिखाना शुरू कर दिया है.

म्यांमार गजेट की 8 नवंबर 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, चीन और म्यांमार के बीच हाल के उच्चस्तरीय दौरों ने इस बढ़ती निकटता को रेखांकित किया है. अगस्त 2024 में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने म्यांमार का दौरा किया था, जबकि नवंबर 2024 में म्यांमार के सैन्य प्रमुख मिन आंग हलाइंग ने चीन का दौरा किया.

संयुक्त सुरक्षा कंपनी और इसके उद्देश्य

एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन और म्यांमार एक संयुक्त सुरक्षा कंपनी बनाने की योजना बना रहे हैं. इसका  उद्देश्य म्यांमार में चीनी निवेश और कर्मियों की सुरक्षा करना है. यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब विपक्षी ताकतें चीन-म्यांमार सीमा के पास प्रमुख क्षेत्रों पर कब्जा कर रही हैं. इन क्षेत्रों की सुरक्षा करने में जुंटा की विफलता ने चीन को यह कदम उठाने पर मजबूर किया है.

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म्यांमार के भीतर तनाव बढ़ने की आशंका

संयुक्त सुरक्षा कंपनी का गठन म्यांमार के मौजूदा संघर्षों को और भड़काने का कारण बन सकता है. चीनी सुरक्षा बलों की उपस्थिति स्थानीय सशस्त्र समूहों के साथ टकराव का कारण बन सकती है, जो उन्हें विदेशी आक्रमणकारियों के रूप में देखते हैं. इसके परिणामस्वरूप हिंसा में वृद्धि और गृहयुद्ध के लंबे होने की संभावना है.

साथ ही, चीनी हस्तक्षेप के कारण म्यांमार की जनता में चीन विरोधी भावनाएं बढ़ सकती हैं. पहले भी चीनी राजनयिक मिशनों और व्यवसायों पर हमले हो चुके हैं, जो यह दर्शाते हैं कि स्थानीय स्तर पर इस तरह के कदमों का विरोध हो सकता है.

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भारत सहित पड़ोसी देशों की चिंताएं

म्यांमार में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियां भारत, बांग्लादेश और थाईलैंड जैसे पड़ोसी देशों के लिए चिंता का विषय हैं. चीन की सेना की उपस्थिति इन देशों की सीमाओं के पास अस्थिरता को जन्म दे सकती है. इसके अलावा, चीन के कदम दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) की शांति प्रयासों को कमजोर कर सकते हैं. आसियान सदस्यों द्वारा इसे राष्ट्रीय संप्रभुता पर हस्तक्षेप के रूप में देखा जा सकता है, जिससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ने की संभावना है. 

चीन के लिए रणनीतिक और कूटनीतिक चुनौती

चीन का यह कदम उसके आर्थिक हितों खासकर बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से प्रेरित है, लेकिन इस प्रक्रिया में चीन को म्यांमार की अस्थिरता और क्षेत्रीय प्रतिरोध के बीच संतुलन साधने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा. चीन द्वारा उठाया गया यह कदम न केवल म्यांमार को और अधिक अस्थिर बना सकता है बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया में दीर्घकालिक कूटनीतिक और सुरक्षा संबंधी जटिलताओं को भी जन्म दे सकता है. म्यांमार में चीन की बढ़ती भागीदारी क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है, जहां एक ओर यह कदम चीन के आर्थिक और रणनीतिक हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है, वहीं दूसरी ओर यह क्षेत्रीय तनाव और विरोधाभासों को बढ़ाने की पूरी संभावना रखता है.

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