India China Saudi Arabia: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के सऊदी अरब के साथ संबंध अपने सबसे अच्छे दौर में हैं. सऊदी अरब के हाथ जैसा जैकपॉट लग गया है कि तेल और गैस पर आधारित उसकी इकोनॉमी में चार चांद लग जाएंगे. सऊदी अरब को हाल ही में समुद्र के पास अपने ऑयल फील्ड में लिथियम यानी सफेद सोने का बेशकीमती खजाना मिला है. लिथियम की ग्लोबल मार्केट में बहुत डिमांड रहती है. ऐसे में भारत सऊदी अरब के साथ मिलकर पासे पलट सकता है, जिससे चीन की जेब भी खाली हो सकती है! ऐसे में आइए जानते हैं कि इस लिथियम भंडार से कैसे वैश्विक बाजार की सूरत बदल सकती है.
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खुलेगा व्यापार का नया रास्ता
सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान पिछले साल भारत दौरे पर आए थे. तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके बीच जबरदस्त बॉन्डिंग देखने को मिली थी. भारत के सऊदी अरब के साथ रिश्ते व्यापार, रक्षा और कल्चरल हैं. सऊदी अरब भारत के लिए अहम रणनीतिक साझेदार भी है. भारत अपनी कच्चे तेल और गैस की जरूरतों के लिए सऊदी अरब पर भी निर्भर है. सऊदी अरब में लिथियम भंडार का मिलना दोनों देशों के बीच व्यापार का नया रास्ता खोलेगा, क्योंकि भारत भारी मात्रा में लिथियम का आयात करता है.
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सऊदी अरब में कैसे निकला लिथियम
एक रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब की सरकारी पेट्रोलियन और नेचूरल गैस कंपनी सऊदी अरामको ने अपने एक ऑयल फील्ड में लिथियम निकाला है. सऊदी अरामको ने ये सब एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत किया है. सऊदी अरब के खनन मामलों के उप मंत्री खालिद बिन सालेह अल-मुदैफर ने घोषणा की है कि उनका देश जल्द ही लिथियम के खनन को बढ़ावा देने के लिए एक कमर्शियल पायलट प्रोग्राम शुरू करेगा. इसका अर्थ ये हुआ कि सऊदी अरब जल्द ही लिथियम को अन्य देशों को एक्सपोर्ट भी करने लगेगा.
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भारत के लिए कैसे फायदेमंद स्थिति
भारत में भी जम्मू-कश्मीर और कर्नाटक में लिथियम के भंडार खोजे गए हैं, लेकिन भारत के सामने अभी उसे रिफाइन करने की टेक्नोलॉजी बड़ी चुनौती बनी हुई है. भारत वर्तमान में लिथियम को चीन, जापान और साऊथ कोरिया से खरीदता है. चीन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण लिथियम आपूर्तिकता है. ऐसे में अब सऊदी अरब में लिथियम भंडार का मिलना भारत के लिए फायदे का सौदा हो सकता है और भारत चीन के बजाय उससे लिथियम का आयात कर सकता है. अगर ऐसा हुआ तो चीन के जेब खाली होना तय है!
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