India America: सोचा नहीं था कभी ऐसा होगा! भारत ने बेहद खास और बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की है. भारतीय इक्विटी रिटर्न ने अमेरिकी बाजारों को पीछे छोड़ दिया है. अगर आप अपने पैसे को अच्छे रिटर्न के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो ये खबर आपके फायदे से जुड़ी हुई है, क्योंकि इससे आपको पता चल पाएगा कि लोगों के लिए निवेश कहां निवेश करना सबसे अधिक फायदे का सौदा रहा है. मोतीलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1990 में निवेश किए गए 100 रुपये भारत में 9500 रुपए हो जाते हैं, जबकि अमेरिका में यह केवल 8400 रुपये होते हैं.
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पीएम मोदी के नेतृत्व का कमाल
मोदी सरकार जब से केंद्र की सत्ता में आई है, तब से देश लगातार प्रगति की राह पर है. मौजूदा समय में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था में चौथे नंबर है. अमेरिका, चीन और जर्मनी ही भारत से अभी आगे हैं. हाल ही में एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में भारतीय अर्थव्यवस्था जर्मनी को पछाड़ कर दुनिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी बन जाएगी. भारत जिस तरह से आज तरक्की की राह पर है, उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में दुनिया भारत की जय जयकार करेगी.
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बाजार ने दिया 95% का रिटर्न
रिपोर्ट में आगे जो बात कही गई है, वो हैरान करती है कि भारतीय इक्विटी बाजारों ने जबरदस्त रिटर्न दिया है. 1990 के बाद से निवेश में लगभग 95 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. रिपोर्ट के आंकड़ों में कहा गया है कि अगर किसी निवेशक ने 1990 में भारतीय शेयर बाजारों में 100 रुपये का निवेश किया होता, तो नवंबर 2024 तक यह बढ़कर 9,500 रुपये हो जाता. इसकी तुलना में उसी अवधि के दौरान अमेरिकी शेयर बाजारों में निवेश किए गए वही 100 रुपये बढ़कर 8400 रुपये ही पाते हैं. इससे साफ होता है कि भारतीय बाजारों ने अमेरिकी बाजारों की तुलना में अपने निवेशकों को बेहतर रिटर्न दिया है.
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निवेश कहां रहा फायदे का सौदा
मोतीलाल ओसवाल की इस रिपोर्ट से पता चलता है कि बीते वर्षों में लोगों के लिए पैसा का निवेश करना कहां फायदे का सौदा रहा है. रिपोर्ट में इक्विटी के प्रदर्शन की तुलना सोने और नकदी (Cash) जैसे अन्य निवेश विकल्पों से भी की गई है. आइए इस बारे में जानते हैं–
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सोने ने उसी अवधि (लगभग 34 वर्ष) के दौरान 32 गुना रिटर्न दिया. इसका मतलब है कि 1990 में सोने में इन्वेस्ट किए गए 100 रुपये अब 3200 रुपये के बराबर ही पाए.
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पैसे को कैश जमा के रूप में रखना समझदारी भरा नहीं रहा. 100 रुपये कैश में रखना और उसे नाममात्र ब्याज दरों वाले साधनों में निवेश करना 34 वर्षों में केवल 1,100 रुपये तक ही बढ़ा सका.
इस तरह कहा जा सकता है कि लोगों के लिए भारतीय इक्विटी बाजारों में पैसे को इन्वेस्ट करना ही सबसे अधिक फायदे का सौदा रहा.
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