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FIFA World Cup 2022: क्या है 'वनलव' आर्मबैंड विवाद, इसे पहनने पर क्यों लगा है बैन

कतर में समलैंगिकता के विरोध में कानून है और इसे अवैध माना जाता है. ऐसे में इस कानून के खिलाफ अपना विरोध जताने के लिए आर्मबैंड पहनने का निर्णय किया गया.

Updated on: 24 Nov 2022, 06:17 PM

highlights

  • जापान के खिलाफ मैच से पहले जर्मनी के खिलाड़ियों ने किया मौन विरोध प्रदर्शन
  • कतर में समलैंगिकता अवैध है, जिसके खिलाफ यूरोपीय टीमें आवाज मुखर कर रही
  • फीफा ने इसी कारण 'वनलव' आर्मबैंड पहनने पर येलो कार्ड दिखाने की दी धमकी 

नई दिल्ली:

फीफा विश्व कप 2022 (FIFA World Cup 2022) का महाकुंभ 20 नवंबर को कतर में शुरू होने के बाद से ही 'वनलव' आर्मबैंड सुर्खियों में है. यूरोपीय देशों की फुटबॉल टीमों के कप्तानों की ओर से इसे पहनने की घोषणा करते ही फेडरेशन इंटरनेशनल फुटबॉल एसोसिएशन (FIFA) ने इसे पहनने वाले किसी भी खिलाड़ी को येलो कार्ड जारी करने की धमकी दे दी. ऐसे में फुटबॉल खिलाड़ियों ने कतर के टूर्नामेंट में इसका इस्तेमाल करने से परहेज किया है. यह अलग बात है कि जर्मनी (Germany) ने जापान के खिलाफ बुधवार को मैच से पहले  इस प्रतिबंध के खिलाफ मौन प्रदर्शन किया, तो यह विवाद फिर मुखर हो गया. जर्मनी फुटबॉल टीम के खिलाड़ी ही नहीं जर्मनी फुटबॉल महासंघ और जर्मनी की गृह मंत्री नैंसी फेसर ने भी विरोध को अपना समर्थन दिया. नैंसी फेसर ने स्टेडियम में 'वनलव' आर्मबैंड (OneLove Armband) पहन रखा था. उस वक्त वह फीफा के अध्यक्ष जियानी इंफेंटिनो के साथ बैठी थीं. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि आप समझें कि आखिर 'वनलव' आर्मबैंड क्या है और इससे जुड़ा विवाद किस तरह का है...

आखिर है क्या 'वनलव' आर्मबैंड 
सैक्सुअल ओरियेंटेशन समेत सभी प्रकार के भेदभाव का विरोध करने के लिए रॉयल डच फुटबॉल एसोसिएशन (केएनवीबी) ने 2020 में 'वनलव' आर्मबैंड लांच किया था. यह आर्मबैंड उसके अभियान इनक्ल्यूसिवनेस यानी समावेशी को बढ़ावा देने का हिस्सा था. बैंड को दिल के आकार में डिजाइन किया गया है. इसमें इंद्रधनुष के रंग हैं और बीच में 1 लिखा है, जिसके दोनों ओर 'वनलव' लिखा है. इसके नीचे 'फुटबॉल कनेक्ट' लिखा है, जो समावेशी खेल माना जाता है यानी जाति, नस्ल और रंग समेत अन्य तरह के भेदभाव के बगैर खिलाड़ी एक होकर खेलते हैं.

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शुरुआत में इसे किसने वर्ल्ड कप में पहनने का फैसला किया और क्यों
गौरतलब है कि कतर में समलैंगिकता के विरोध में कानून है और इसे अवैध माना जाता है. ऐसे में इस कानून के खिलाफ अपना विरोध जताने के लिए आर्मबैंड पहनने का निर्णय किया गया. शुरुआत में नीदरलैंड, इंग्लैंड, स्विट्जरलैंड, बेल्जियम, वेल्स, डेनमार्क और जर्मनी की टीमों के कप्तानों ने 'वनलव' आर्मबैंड पहनने की योजना बनाई थी.

फिर 'वनलव' आर्मबैंड पहनने का फैसला वापस क्यों लिया गया
फेडरेशन इंटरनेशनल फुटबॉल एसोसिएशन के नियमों के तहत खेल के दौरान किसी भी तरह का कोई राजनीतिक, धार्मिक या व्यक्तिगत नारा, बयान या चित्र खिलाड़ी या उसके साथ खेल के उपकरण पर नहीं होने चाहिए. इसके अलावा यह भी जरूरी है कि प्रत्येक टीम का कप्तान फीफा द्वारा प्रदान किए गए कप्तान के आर्मबैंड को पहनें. ऐसे में एक संयुक्त बयान में आर्मबैंड पहनने की योजना बना रहे देशों के फुटबॉल महासंघ ने कहा कि फीफा ने किसी भी खिलाड़ी को इसे पहनने पर येलो कार्ड जारी करने की धमकी दी थी.

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जर्मनी ने मैच से पहले जताया मौन विरोध 
फीफा वर्ल्ड कप के आयोजकों ने बार-बार कहा है कि टूर्नामेंट के दौरान सभी का स्वागत है. भले ही उसका सैक्सुअल ओरियेंटेशन या पृष्ठभूमि कुछ भी हो. 2022 वर्ल्ड कप के मुख्य कार्यकारी नासिर अल खातेर ने कहा है कि देश में आने वाले LGBTQ+ को किसी भी प्रकार के उत्पीड़न के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है. उन्होंने इस सदर्भ में कतर को सहिष्णु देश करार दिया. यह अलग बात है कि जर्मनी की फुटबॉल टीम ने अपना विरोध जताने के लिए एक अलग तरीका चुना. बुधवार को जापान के खिलाफ मैच से पहले परंपरागत टीम फोटो खिंचवाने के दौरान जर्मनी के खिलाड़ियों ने अपनी हथेलियों से मुंह को ढंक रखा था. इसके बाद जर्मनी के फुटबॉल महासंघ ने ट्वीट कर कहा, 'यह कोई राजनीतिक स्टैंड नहीं है, मानवाधिकारों के मसले पर कोई समझौता मान्य नहीं होगा. इस मसले को हल्के में लिया गया, लेकिन यह वास्तव में मसला इससे भी अलग है. ऐसे में यह संदेश हमारे लिए महत्वपूर्ण हो गया था. आर्मबैंड को प्रतिबंधित करना वास्तव में हमारे अभिव्यक्ति के अधिकार को प्रतिबंधित करने जैसा है.'