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Pakistan असीम मुनीर का सेना प्रमुख बनना 'कुदरत का निजाम', तो भारत के लिए चिंता की बात

अगले सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर निवर्तमान जनरल कमर जावेद बाजवा का स्थान लेंगे. उनकी नियुक्ति सेना और पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान के बीच उस विवाद के बाद हुई है, जिसमें नियाजी खान अपने निष्कासन के लिए सेना को आंशिक रूप से दोषी मानते हैं.

Updated on: 24 Nov 2022, 04:04 PM

highlights

  • प्रमोशन बैज लगने में दो महीने की देरी ने किया मुनीर के अगले सेना प्रमुख का मार्ग प्रशस्त
  • पाक सेना में सितंबर 2018 में थ्री स्टार पद पर पदोन्नत अन्य सभी जनरल सेवानिवृत्त हो गए
  • पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमला मुनीर के ISI प्रमुख रहते हुआ था

नई दिल्ली:

पाकिस्तान (Pakistan) में नए सेना प्रमुख की नियुक्ति नई सरकार के लिए होने वाले आम चुनाव जितनी अहम होती है. संभवतः यही कारण है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा (Qamar Javed Bajwa) के 29 नवंबर को खत्म हो रहे दोहरे कार्यकाल से पहले नए चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ को लेकर अटकलों और राजनीतिक खींचतान का बाजार गर्म था. पाकिस्तान के इतिहास को देखते हुए इसमें कोई आश्चर्य भी नहीं है. पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के 75 सालों में पाक सेना का कम से कम 36 सालों तक देश पर प्रत्यक्ष शासन रहा है. यह भी इतना ही सच है कि जब पाकिस्तान सेना सत्ता में नहीं होती है, तो निर्वाचित सरकार को पर्दे के पीछे से कठपुतली की तरह चला रही होती है. इस तरह के अंदरूनी हालात में नए सेना प्रमुख (Army Chief) को लेकर कयासबाजी और राजनीतिक बयानबाजी लाजिमी थी. हालांकि गुरुवार को वजीर-ए-आजम शहबाज शरीफ ने लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर (Asim Munir) को नया चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ नियुक्त कर दिया. वह 29 नवंबर को सेना प्रमुख पद की कमान संभालेंगे. हालांकि सेना प्रमुख बतौर उनकी नियुक्ति 'कुदरत का निजाम' करार दी जा सकती है. ठीक जैसे 2022 के टी20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान उलटफेर के कारण फाइनल तक पहुंच गया था. हालांकि असीम मुनीर को लेकर भारतीय रणनीतिकार सचेत हो गए हैं, क्योंकि उनके आईएसआई प्रमुख रहते ही पुलवामा आतंकी (Pulwama Attack) हमला हुआ था. 

'कुदरत का निजाम' कहेंगे असीम मुनीर का अगला पाक सेना प्रमुख बनना
रावलपिंडी मुख्यालय में तैनात लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर नए सेना प्रमुख के चयन के लिए तैयार की गई वरिष्ठता सूची में शीर्ष पर थे. पाकिस्तान सेना प्रमुख की दौड़ में उनका नाम शीर्ष पर होने का मामला बेहद दिलचस्प है. गौरतलब है कि सितंबर 2018 में थ्री स्टार पद पर पदोन्नत अन्य सभी जनरल सेवानिवृत्त हो चुके हैं. इस कड़ी में लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर के रिटायरमेंट की तारीख शीर्ष कमान परिवर्तन यानी वर्तमान सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा की सेवानिवृत्ति से महज दो दिन पहले यानी 27 नवंबर को आ रही थी. असीम मुनीर का मामला दिलचस्प ऐसे हो गया कि उनके प्रमोशन बैज थ्री स्टार जनरल पर पदोन्नति के दो महीने बाद लगाए गए. पाकिस्तान में बैज लगाए जाने के हिसाब से सेवानिवृत्त की तारीख तय होती है. ऐसे में जहां बाकी थ्री स्टार पर पदोन्नत सभी जनरल रिटायर हो चुके हैं. असीम मुनीर अभी तक पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे और अब पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख बन गए.  जाहिर है सेना प्रमुख बनने पर इसे 'कुदरत का निजाम' करार दिया जाएगा. ठीक वैसे ही जैसे पाकिस्तान क्रिकेट टीम टी20 वर्ल्डकप के नॉकआउट दौर पर 'चमत्कारिक' ढंग से पहुंची थी. 

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कौन हैं अगले आर्मी चीफ आसिम मुनीर
जनरल कमर जावेद बाजवा के करीबी लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर वर्तमान में जीएचक्यू में क्वार्टर मास्टर जनरल के पद पर तैनात हैं. एक ब्रिगेडियर के रूप में असीम मुनीर फोर्स कमांड नॉर्दर्न एरियाज़ (एफसीएनए) में कमांडर थे. उस वक्त बाजवा एक्स कॉर्प्स के कमांडर थे, जिनके अंतर्गत एफसीएनए आता था. लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर मंगला के ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल से स्नातक हैं और टू स्टार जनरलों की वर्तमान पीढ़ी में सबसे वरिष्ठ हैं. ये सभी जनरल एबटाबाद के पाकिस्तान सैन्य अकादमी से निकले एक ही बैच से हैं. पाकिस्तानी सेना के सूत्रों के लिहाज से असीम मुनीर हर लिहाज से एक उत्कृष्ट सैन्य अधिकारी हैं. हाल ही में पाकिस्तानी सेना की आंतरिक भूमिका को सामने लाती शुजा नवाज़ की पुस्तक 'क्रॉस्ड स्वॉर्ड्स' में असीम मुनीर को 'सीधे तीर' बतौर निरूपित किया गया है. 

ISI के प्रमुख भी रहे हैं असीम मुनीर
अगले पाक सेना प्रमुख असीम मुनीर ने मिलिट्री इंटेलिजेंस और आईएसआई के प्रमुख के रूप में भी काम किया है. पाकिस्तानी सेना के लिहाज से यह एक दुर्लभ संयोग है. उन्हें 2017 की शुरुआत में पाकिस्तान की सैन्य खुफिया विभाग का महानिदेशक बनाया गया था. असीम मुनीर 21 महीने तक इस पद पर रहे. अक्टूबर 2018 में वह आईएसआई के महानिदेशक बने. हालांकि आईएसआई के निदेशक के रूप में मुनीर का कार्यकाल अब तक का सबसे छोटा कार्यकाल था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के कहने पर बाजवा ने उन्हें पद से हटा दिया था. कहा जाता है कि मुनीर द्वारा खान की पत्नी बुशरा बीबी के परिजनों के भ्रष्ट आचरण को कथित तौर पर प्रधानमंत्री के संज्ञान में लाए जाने के बाद नियाजी खान उनसे नाराज हो गए थे. दूसरे मुनीर नियम-कायदों से चलने वाले अधिकारी हैं, जो इमरान खान को रास नहीं आया. आईएसआई से हटाने के बाद जनरल बाजवा ने मुनीर को गुजरांवाला में कोर कमांडर के रूप में तैनात किया, जहां से वह रावलपिंडी जीएचक्यू में अपनी वर्तमान पोस्टिंग पर चले गए.

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असीम मुनीर की पाक सेना प्रमुख बतौर नियुक्ति इमरान खान को कैसे लगेगी
इमरान खान के रूप में यह एक बड़ा कारण था कि पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख की नियुक्ति इतनी विवादास्पद और राजनीतिक बन गई. प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ और लंदन में स्व-निर्वासन में रह रहे उनके भाई और पूर्व प्रधान मंत्री नवाज शरीफ ने घोषणा की थी कि पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख की नियुक्ति में वरिष्ठता सिद्धांत का सख्ती से पालन किया जाएगा. इसका सीधा वास्ता असीम मुनीर से ही था. लाहौर से इमरान खान द्वारा शुरू किए गए लांग मार्च का मकसद शहबाज सरकार पर जल्दी चुनाव कराने का दबाव बनाना है. नियाजी खान और उनकी पार्टी को यकीन है कि वे आसानी से चुनाव जीत जाएंगे. हालांकि इस लांग मार्च का दूसरा मतलब पाकिस्तानी सेना के प्रमुख के लिए सर्वसम्मति बनाने के लिए भी सरकार पर दबाव बनाना था.

क्या इमरान आसिम मुनीर को पाकिस्तानी सेना प्रमुख बनने से रोक सकते हैं
इमरान खान इस बारे में अंतिम प्रयास पाक राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के जरिये कर सकते हैं. गौरतलब है कि राष्ट्रपति आरिफ अल्वी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के सदस्य हैं. हालांकि अब जब शहबाज शरीफ कैबिनेट ने असीम मुनीर के नाम को मंजूरी दे दी है, तो राष्ट्रपति अल्वी को इस पर हस्ताक्षर करना महज एक औपचारिकता है. इस कड़ी में यदि राष्ट्रपति आरिफ अल्वी हस्ताक्षर करने में देर कर देते हैं तो असीम मुनीर के रिटायरमेंट की तारीख 27 नवंबर नजदीक आ जाएगी. इसी तारीख को लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में असीम मुनीर का चार साल का कार्यकाल खत्म हो रहा है. हालांकि राष्ट्रपति के उनकी सेना प्रमुख पर नियुक्ति के हस्ताक्षर करते ही असीम मुनीर का कार्यकाल अपने आप ही तीन साल के लिए बढ़ जाएगा. फिलवक्त यह कहना बेहद मुश्किल है कि क्या इमरान खान इस रास्ते को अपनाएंगे और क्या राष्ट्रपति आरिफ अल्वी संवैधानिक नियुक्ति पर राजनीतिक खेल की चालें चलेंगे.

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पुलवामा आतंकी हमला मुनीर के आईएसआई प्रमुख रहते हुआ
फरवरी 2019 में पुलवामा में हुए आत्मघाती आतंकी हमले के वक्त असीम मुनीर इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के प्रमुख थे. इस कायराना आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था. उस वक्त के घटनाक्रम से परिचित लोगों के अनुसार उस समय पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और सुरक्षा नीतियों को आकार देने वाले सैन्य अधिकारियों में असीम मुनीर सबसे आगे थे. यहां तक कि बालाकोट में भारत की सजिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने जनरल मुनीर के दिशा-निर्देश पर ही कदम उठाए थे. लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर को भारत विरोधी रणनीति बनाने में सिद्धहस्त माना जाता है. कश्मीर मामलों पर उनकी गहरी पकड़ ने भी उनके नए सेना प्रमुख बनने का रास्ता प्रशस्त किया है. यही बार अब भारतीय रणनीतिकारों की पेशानी पर भी बल डाल रही है.