FIFA World Cup: फुटबॉल खिलाड़ी मैदान पर क्यों थूकते हैं, जानें इसके पीछे का विज्ञान
कुछ अध्ययनों के अनुसार एक्सरसाइज से लार में स्रावित प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है. विशेषकर एक प्रकार का बलगम बनता है जिसे MUC5B कहते हैं. यह लार को गाढ़ा और निगलने में मुश्किल बना देता है.
highlights
- एक्सरसाइज से लार में स्रावित प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है
- संग में MUC5B नाम का एक प्रकार का बलगम बनता है
- इसे निगलना कठिन होता है, तो खिलाड़ी थूक देते हैं
नई दिल्ली:
इन दिनों कतर में फुटबाल वर्ल्ड कप (FIFA World Cup 2022) के शुरुआती चरण के मैच खेले जा रहे हैं. उलटफेर भरे परिणामों के अलावा शानदार गोल दागने और रोकने वाला यह खेल दिल की धड़कनें बढ़ा रहा है. ऐसे में यदि आपने भी कुछ मैच देखे हैं, तो आप ऐसे कई खिलाड़ियों से रूबरू हुए होंगे जो खेलते समय मैदान पर थूकते (Spitting) हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि वे ऐसा क्यों करते हैं? दिलचस्प बात यह है कि जो नजर आता है, उसके अलावा भी पीछे बहुत कुछ है. आप इसे किसी फुटबॉल खिलाड़ी की सामान्य आदत कह सकते हैं, लेकिन वास्तव में विज्ञान के पास इसकी पूरी तरह से अलग व्याख्या है. आइए जानते हैं...
मैदान पर इसलिए थूकते हैं फुटबॉल खिलाड़ी
कुछ अध्ययनों के अनुसार एक्सरसाइज से लार में स्रावित प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है. विशेषकर एक प्रकार का बलगम बनता है जिसे MUC5B कहते हैं. यह लार को गाढ़ा और निगलने में मुश्किल बना देता है. एशियन अस्पताल, फरीदाबाद के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर उदित कपूर के मुताबिक फुटबॉल मैच जैसी शारीरिक मेहनत वाली गतिविधियों के दौरान मुंह की लार गाढ़ी हो जाती है, जिसे खिलाड़ी थूक देना ही बेहतर समझते हैं. वह आगे बताते हैं, 'विशेष रूप से MUC5B नाम का एक प्रकार का बलगम होता है जो लार को गाढ़ा बनाता है. उसे निगलने में कठिनाई आती है. ऐसे में फुटबॉल खिलाड़ी उसे मैदान पर थूक देना ही बेहतर समझते हैं.' यही वजह है कि फुटबॉल खिलाड़ी, क्रिकेटर्स और रग्बी प्लेयर्स को तो मैदान पर थूकने की अनुमति होती है, लेकिन टेनिस, बास्केट बॉल या कुछ अन्य खेलों में मैदान पर थूकने वाले खिलाड़ियों पर जुर्माना लगाया जाता है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि एक्सरसाइज करने या अत्यधिक शारीरिक मेहनत वाले खेलों के दौरान MUC5B का अधिक स्राव किस वजह से होता है. इस कड़ी में कुछ लोग कहते हैं कि खिलाड़ी खेल के दौरान मुंह से अधिक सांस लेते हैं, तो बलगम सूखने नहीं पाता. नाइजीरिया के पूर्व गोलकीपर जोसेफ डोसू फुटबॉल खिलाड़ियों के थूकने की आदत पर कहते पाए गए थे, 'उन्हें अपना गला साफ रखना पड़ता है. वे 10 से 15 यार्ड की दौड़ लगाते हैं और उन्हें सांस लेने के लिए हवा की जरूरत पड़ती है.' इसके अलावा कुछ अन्य स्पष्टीकरण भी सामने आए. कुछ में दावा किया गया कि यह विरोधी टीम के खिलाड़ी को धमकाने का भी अंदाज होता है. कुछ का मानना है कि यह ओसीडी का मामला भी हो सकता है.
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कार्ब रिंसिंग क्या है और क्या इससे प्रदर्शन में सुधार आता है
जब फुटबॉल खिलाड़ी कार्बोहाइड्रेट के घोल का एक घूंट अपने मुंह में लेकर उससे कुल्ला कर मैदान पर थूकते हैं, तो इसे कार्ब रिंसिंग कहा जाता है. यह प्रक्रिया वास्तव में शरीर को एक प्रकार का धोखा देने के लिए अमल में लाई जाती है. इससे दिमाग को लगता है कि शरीर कार्बोहाइड्रेट का सेवन कर रहा है. फिर शरीर ऐसी प्रतिक्रिया देता है मानो वह कार्बोहाइड्रेट उसके तंत्र में हो. कुछ का कहना है कि कार्ब रिंसिंग के जरिये मुंह में शर्करा ऊर्जा स्तर में इजाफा करती है, लेकिन नहीं निगलने के कारण कुल कैलोरी की मात्रा भी नहीं बढ़ाती है. किसी रोमांच से भरपूर मैच के बीच में यह जादुई तरीके से काम करती है. द न्यू यॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक व्यायाम चिकित्सक और खेल पोषण विशेषज्ञ एस्कर ज्युकेनद्रुप ने कहा था कार्ब रिंसिंग से परफॉर्मेंस बेहतर होती है. 2004 में यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम के साथ मिलकर किए गए एक अध्ययन में उन्होंने पाया था कि कार्ब रिंसिंग से 40 किमी के साइक्लिंग ट्रैक में एक मिनट की तेजी आ जाती है. 2017 में यूरोपियन जर्नल ऑफ स्पोर्ट साइंस में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन के मुताबिक भी कार्ब रिंसिंग से प्रदर्शन में सुधार आता है. इस अध्ययन के तहत 20 की वय के 12 स्वस्थ युवकों को कार्ब रिंसिंग कराई गई. परिणाम में पाया गया कि इन युवकों ने ज्यादा ऊंची कूद की, अधिक बैंच प्रेस किए और उनके दौड़ने की गति में तेजी आई.
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