ट्रंप के घर पर तलाशी अभियान, कितना बड़ा है एफबीआई जांच का कानूनी खतरा
अभी तक एफबीआई की ओर से जो कानूनी प्रक्रिया अपनाई गई है, उससे ट्रंप या किसी अन्य को जांच का केंद्रीय आधार बनाने का कोई संकेत नहीं मिलता है. हालांकि वारंट और उसके साथ दिए हलफनामे से यह जरूर साफ हो जाता है कि जारी जांच आपराधिक प्रवृत्ति की है.
highlights
- डोनाल्ड ट्रंप के आलीशान मेंशन मार-ए-लोगो से मिले अति संवेदनशील गोपनीय दस्तावेज
- इसी आधार पर एफबीआई अब ट्रंप के फ्लोरिडा स्थित घर की तलाशी का मांग रही वारंट
- फिलहाल जांच में ट्रंप को सीधे आरोपी नहीं बनाया गया. ट्रंप के वकीलों की फौज भी डटी
वॉशिंगटन:
अमेरिका की संघीय जांच एजेंसी (एफबीआई) की ओर से जारी नए दस्तावेजों से भूतपूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फ्लोरिडा एस्टेट स्थित आलीशान मेंशन से मिली गोपनीय सामग्रियों की जांच की रूपरेखा तय हो सकेगी. हालांकि अभी भी तमाम प्रश्न अनुत्तरित हैं, क्योंकि ट्रंप के घर की तलाशी के बाबत एफबीआई के कारणों से जुड़े हलफनामे का आधे से ज्यादा हिस्सा अंधेरे में तीर चलाने जैसा प्रतीत हो रहा है. डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के शीतकालीन घर की तलाशी का वारंट हासिल करने के लिए एफबीआई (FBI) ने जो दस्तावेज दाखिल किए हैं उनमें जनवरी में ट्रंप के मार-ए-लोगो मेंशन से बरामद अति गोपनीय श्रेणी की ढेरों फाइलों (Classified Documents) का जिक्र है. इससे जनवरी में तलाशी से महीनों पहले न्याय विभाग के अधिकारियों की आशंका सच साबित हुई है कि सरकार की गोपनीय फाइलों को अवैध तरीके से ट्रंप के घर पर रखा गया. अदालती वारंट के बाद अगस्त में कई फाइलों को वापस किया गया, लेकिन अभी भी आशंका है कि अति गोपनीय श्रेणी की ढेरों फाइलें ट्रंप के फ्लोरिडा स्थित घर पर हो सकती हैं. बड़ा सवाल तो यही उठता है कि क्या वास्तव में राजद्रोह सरीखा अपराध हुआ है और अगर हुआ है तो किसने किया? इसका जवाब आसानी से और जल्दी मिलने वाला नहीं है. एक अधिकारी के मुताबिक फिलहाल जांच अपने प्रारंभिक दौर में है. यानी अभी बहुत काम बाकी है. मसलन जांचकर्ता पहले दस्तावेजों का अध्ययन करेंगे फिर उसके आधार पर गवाहों से बात करेंगे. यह पूरी लंबी जांच प्रक्रिया कम से कम डोनाल्ड ट्रंप के लिए राजनीति से ध्यान भटकाने वाली साबित हो सकती है, जो अगले राष्ट्रपति चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं.
एफबीआई की जांच है किस बारे में
अभी तक एफबीआई की ओर से जो कानूनी प्रक्रिया अपनाई गई है, उससे ट्रंप या किसी अन्य को जांच का केंद्रीय आधार बनाने का कोई संकेत नहीं मिलता है. हालांकि वारंट और उसके साथ दिए हलफनामे से यह जरूर साफ हो जाता है कि जारी जांच आपराधिक प्रवृत्ति की है. न्याय विभाग कई कानूनों के संभावित उल्लंघनों की जांच कर रहा है. इस जांच में प्रमुख तौर पर जासूसी अधिनियम कानून शामिल है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जानकारी एकत्र करने, जारी करने या उसके खो जाने से जुड़ा है. अन्य कानून के तहत अभिलेखों को मिटाने या नष्ट करने की जांच करने का प्रावधान है. इसके अलावा अभिलेखों को नष्ट करने, उनमें हेरफेर करने या झूठे अभिलेख तैयार करने के लिए भी संघीय जांच हो रही है. जनवरी में ट्रंप के मार-ए-लोगो मेंशन से अभिलेखों से भरे पंद्रह डिब्बे मिलने के बाद नेशनल आर्काइव्स और रिकार्ड एडमिनिस्ट्रेशन के इशारे पर गुपचुप तरीके से जांच शुरू हुई थी. एफबीआई को मार-ओ-लोगो से मिले 15 डिब्बों में से 14 में अति गोपनीय दस्तावेज मिले थे. इसके आधार पर एफबीआई ने हलफनामे में कहा था कि अधिकारियों को गोपनीय मार्किंग वाले कुल 184 दस्तावेज थे. इनमें से कुछ दस्तावेज ऐसे भी थे जो अति संवेदनशील श्रेणी में आते थे. हलफनामे में कहा गया कि बरामद कई दस्तावेजों पर ट्रंप के हस्तलिखित नोट्स भी अंकित थे.
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अभी शक के दायरे में कोई भी नहीं
हलफनामे के मुताबिक एफबीआई ने कई महीने तो यही जांच करने में लगा दिए कि व्हाइट हाउस से गोपनीयता के लिहाज से अति संवेदनशील दस्तावेज ट्रंप के मार-ओ-लोगो मेंशन तक पहुंचे कैसे? दूसरे क्या मेंशन में और भी गोपनीय रिकार्ड मौजूद हो सकते हैं? इसके साथ ही एफबीआई ने उस शख्स या लोगों की पहचान सुनिश्चित करने की कोशिश की, जिसने बगैर प्राधिकार के गोपनीय दस्तावेज हटाए और अनधिकृत स्थान पर उन्हें रखा. न्याय विभाग के एक बयान के मुताबिक अभी तक एफबीआई ने ढेरों की संख्या में आम गवाहों से बातचीत की है और उनसे और जानकारी जुटाने के लिए एफबीआई अनुमति मांग रही है. बयान के मुताबिक अभी तक जांच में एफबीआई ने न तो संभावित आपराधिक लोगों की पहचान की है और ना ही जांच से संबंधित सभी सबूतों को एकत्र किया है.
अभी तक क्या किसी पर आरोप लगा
फिलहाल यह कहना मुश्किल है. तलाशी वारंट हासिल करने के लिए संघीय जांच एजेंसी को न्यायाधीश को यकीन दिलाना होता है कि वह जिस स्थान की तलाशी लेना चाहते हैं वहां अपराध से जुड़े सबूत होने के पर्याप्त आधार हैं. हालांकि तलाशी वारंट आपराधिक अभियोजन स्थापित करने के लिए ही पर्याप्त नहीं होते हैं. साथ ही तलाशी वारंट पक्के तौर पर यह सबूत भी नहीं होते कि आरोपी आसन्न है. फिलवक्त जिन मसलों पर जांच हो रही है वह गंभीर अपराध की श्रेणी में आते हैं और जिन पर जेल तक की सजा हो सकती है. राष्ट्रीय सुरक्षा सूचनाओं के साथ छेड़छाड़ से जुड़ा एक कानून है, जिसका इस्तेमाल हाल के सालों में किया गया है. इस कानून के तहत एक सरकारी ठेकेदार को अपने घर पर संवेदनशील रिकार्ड रखने के आरोप में 9 साल की सजा सुनाई गई थी. इसी तर्ज पर राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक कर्मचारी पर भी मुकदमा चल रहा है, जिस पर गोपनीय सूचनाएं गैर अधिकृत व्यक्ति को देने का आरोप है. इस मसले पर अटॉर्नी जनरल मैरिक गार्लैंड ने अपनी सोच को जाहिर नहीं किया गया है. हालांकि पिछले महीने 6 जनवरी 2021 की द कैपिटल हिल हिंसा पर ट्रंप की जांच से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा था कि कोई भी शख्स कानून से ऊपर नहीं है.
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डोनाल्ड ट्रंप के अपने बचाव में दिए गए तर्क
एफबीआई जांच से क्रुद्ध डोनाल्ड ट्रंप ने बीते दिनों कहा था कि वह और उनकी टीम न्याय विभाग को जांच में पूरा सहयोग कर रही है. साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा था कि उनके प्रतिनिधि ने 'बहुत कुछ दे दिया' है. ट्रंप का यह बयान एफबीआई के उस हलफनामे से मेल नहीं खाता है जो तलाशी वारंट के लिए दिया गया था. यह उस सच्चाई से भी परे हैं जिसमें एफबीआई के तलाशी अभियान के महीनों पहले चेताया गया था कि दस्तावेजों को सुरक्षित तरीके से नहीं रखा गया है. यह भी कहा गया था कि मार-ए-लोगो में ऐसे दस्तावेज सुरक्षित रखने के लिए कोई स्थान नहीं है. जाहिर है हलफनामे के एक हिस्से के रूप में सार्वजनिक किया गया पत्र वास्तव में उन तर्कों की संभावनाओं को भी सामने लाता है, जिस पर डोनाल्ड ट्रंप की टीम कानूनी रास्ते पर आगे बढ़ सकती है. इसकी पुष्टि न्याय विभाग के काउंटर इंटेलिजेंस प्रमुख जे ब्रैट को ट्रंप के वकील एम ईवान कारकोरन का लिखा पत्र करता है, जिसमें कार्यकारी शक्ति के सशक्त और विस्तृत दष्टिकोण को बताया गया. ईवान ने इस पत्र में डोनाल्ड ट्रंप का नाम लिए बगैर साफ-साफ लिखा था कि राष्ट्रपति के पास किसी दस्तावेज को अवर्गीकृत करने यानी उसे गोपनीयता की सूची से हटाने का पूरा अधिकार है. उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रपति पर गोपनीय जानकारियों के साथ छेड़छाड़ का शुरुआती कानूनी प्रावधान भी लागू नहीं होता है. एम ईवान ने अपने पत्र में जिस कानून का हवाला दिया वह हलफनामे में दी गई जानकारी से मेल नहीं खाता है औऱ न्याय विभाग जिसे इस जांच का आधार बना रहा है. हलफनामे में एक फुटनोट में एफबीआई एजेंट के हवाले से कहा गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सूचना से जुड़े कानून में वर्गीकृत जानकारी शब्द का इस्तेमाल ही नहीं किया गया है.
जो बाइडन प्रशासन का क्या है कहना
व्हाइट हाउस एफबीआई जांच पर कड़ी और गहरी निगरानी रख रहा है. व्हाइट हाउस के अधिकारी इस बारे में पूछे जाने पर बार-बार यही दोहरा रहे कि न्याय विभाग को अपना काम करने की पूरी छूट दी गई है. मार-ए-लोगो से तलाशी अभियान में बरामद संवेदनशील गोपनीय दस्तावेजों के आकलन से जुड़े एक प्रश्न के जवाब में नेशनल सिक्योरिटी के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा था कि वह एफबीई जांच पूरी होने से पहले इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे. राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी उस विचार को सिरे से कारिज कर दिया कि डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पास के संवेदनशील दस्तावेज को अवर्गीकृत कर दिया होगा. बाइडन ने संवाददाताओं से कहा, 'मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि मैंने दुनिया की हर चीज को अवर्गीकृत कर दिया है. मैं राष्ट्रपति हूं और मैं कर सकता हूं!'
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