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भारतीय भाषाओं को ऐसे जोड़ेगी 'भाषिणी', जानें- क्या है ये नई डिजिटल पहल

इस सरकारी मंच का उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP) संसाधनों को सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराना है.

Updated on: 02 Sep 2022, 02:24 PM

highlights

  • विभिन्न भारतीय भाषाओं को तकनीक के जरिए करीब लाना मकसद
  • इस ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म में यूजर्स के लिए एक 'भासदान' अनुभाग है 
  • भाषिणी साइट योगदानकर्ताओं को भाषा समर्थ बैज भी प्रदान करती है

 

नई दिल्ली:

गुजरात के गांधीनगर में डिजिटल इंडिया वीक 2022 ( Digital India Week 2022) कार्यक्रम में केंद्र सरकार ने कई डिजिटल अर्थव्यवस्था पहलों को जोड़ा है. इन पहलों में से एक 'भाषिणी' स्थानीय भाषा अनुवाद मिशन भी है. इसका उद्देश्य उपलब्ध तकनीक का उपयोग करके विभिन्न भारतीय भाषाओं के बीच की बाधा को तोड़ना यानी खाई को पाटना और परस्पर दूरी को कम करना है. आइए, देश की विभिन्न भाषाओं को नजदीक लाकर जोड़ने वाली पहल भाषिणी (Bhashini) के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं. साथ ही इस तकनीक के बारे में और जानते हैं.

भाषिणी का उद्देश्य

इस सरकारी मंच का उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP) संसाधनों को सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराना है. इसका उपयोग भारतीय एमएसएमई, स्टार्टअप और निजी तौर पर नवाचार के द्वारा किया जा सकता है. इससे डेवलपर्स को सभी भारतीयों को उनकी मूल भाषाओं में इंटरनेट और डिजिटल सेवाओं तक आसान पहुंच प्रदान करने में मदद मिलेगी. इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (Minsitry of Electronics and IT) ने हाल ही में अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से साझा किए गए एक ट्वीट में भाषिनी परियोजना के बारे में बात की है.

कैसे काम करता है 

यह परियोजना  https://www.bhashini.gov.in/en/ वेबसाइट पर उपलब्ध है. इसका उद्देश्य एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण और विकास करना है जहां विभिन्न हितधारक जैसे - संस्थान, उद्योग के खिलाड़ी, अनुसंधान समूह, शिक्षाविद और व्यक्ति 'डेटा, प्रशिक्षण और बेंचमार्क डेटासेट, खुले मॉडल, उपकरण और प्रौद्योगिकियों के निरंतर विकसित होने वाले भंडार' को बनाए रखने के लिए एकजुट हो सकते हैं. 

इस ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म में एक अलग 'भासदान' अनुभाग भी है जो व्यक्तियों को कई क्राउडसोर्सिंग पहल में योगदान करने की अनुमति देता है और यह संबंधित एंड्रॉइड और आईओएस ऐप के माध्यम से भी सुलभ है. योगदान चार तरीकों से किया जा सकता है - सुनो इंडिया, लिखो इंडिया, बोलो इंडिया और देखो इंडिया. यहां यूजर्स को जो कुछ वे सुनते हैं उसे टाइप करना होता है या दूसरों द्वारा लिखित ग्रंथों को मान्य करना होता है. वर्तमान में, ओपन रिपोजिटरी में क्रमशः ऊपर बताए गए क्रम में प्रत्येक अनुभाग में 1501, 598, 773 और 664 योगदानकर्ता हैं. 

ये योगदान डेटा के खुले भंडार को "अपनी मूल भाषा को डिजिटल रूप से समृद्ध करने" के लिए बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं. इसके अलावा, साइट योगदानकर्ताओं को भाषा समर्थ बैज भी प्रदान करती है. इंटरनेट उपयोगकर्ता केवल पांच वाक्यों का योगदान करके कांस्य भाषा समर्थ बैज अर्जित कर सकते हैं. 

भाषिणी का महत्व 

साल 2001 की जनगणना के अनुसार, भारत में 22 आधिकारिक भाषाएं, 122 प्रमुख भाषाएं और 1599 अन्य भाषाएं हैं. हालांकि, डिजिटलीकरण के इस वर्तमान युग में वेब पर उपलब्ध अधिकांश सामग्री अंग्रेजी में है. भारत सरकार ने बड़े पैमाने पर भारतीय भाषा की बाधा को तोड़ने की उम्मीद में इस परियोजना को लॉन्च किया है. सरकार चाहती है कि डेवलपर्स भारतीयों को अपनी स्थानीय भाषाओं में डिजिटल सेवाएं प्रदान करें. 

भाषिणी के और कई लाभ

एनालिटिक्स इंडिया मैगज़ीन की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना का न केवल विशाल आकार और परिमाण है, बल्कि इसके कई लाभ भी हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के पास स्थानीय भाषाओं के लिए इंटरनेट एक्सेस की अनुमति देने के लिए एक रोडमैप बनाने का मौका है. इसके अलावा, स्मार्टफोन की बढ़ती उपलब्धता को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है और सस्ती डेटा दरें इंटरनेट को देश के दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवेश करने की अनुमति दे रही हैं. 

वेब पर टॉप-10 भाषाओं में जगह

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि सार्वजनिक पहल अक्सर डेटा की कमी के कारण संघर्ष करती है. ऐसे में भाषिनी भारतीय भाषाओं के बंधन को तोड़ देगी और खेल के मैदान को समतल कर देगी. आजकल, वेब पर उपलब्ध अधिकांश सामग्री आमतौर पर अंग्रेजी में होती है, इसके बाद चीनी और अन्य भाषाओं का स्थान आता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोई भी भारतीय भाषा शीर्ष दस सूची में शामिल नहीं है, जो "स्थानीय भाषाओं में सामग्री की आश्चर्यजनक कमी" को दर्शाती है. 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के बजट में राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन (NLTM) की घोषणा की थी. इस मिशन को शुरू करने का कारण एक सर्वेक्षण था जिसने निष्कर्ष निकाला कि 53 फीसदी भारतीय जो इंटरनेट का उपयोग नहीं करते हैं, उन्होंने कहा है कि वे वेब का उपयोग करना शुरू कर देंगे अगर इसकी सामग्री उनकी मूल भाषाओं में उपलब्ध है.

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भारतीय भाषाओं में डिजिटल सामग्री के वितरण में सुधार

यह वह जगह है जहां भाषिनी सामग्री के लिए सार्वभौमिक पहुंच प्रदान करने के लिए भाषाओं के लिए एक राष्ट्रीय डिजिटल सार्वजनिक मंच विकसित करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ आती है. इससे सभी भारतीय भाषाओं में डिजिटल सामग्री के वितरण में सुधार की उम्मीद है. अंत में, यह एक ज्ञान-आधारित समाज बनाने में मदद करेगा जहां सूचना स्वतंत्र रूप से और आसानी से उपलब्ध हो जो पारिस्थितिकी तंत्र और नागरिकों को "आत्मनिर्भर" बनाएगी. इन सार्वजनिक डिजिटल संपत्तियों का उपयोग करके, सरकार यूपीआई, कोविन, ओएनडीसी और ऐसे तमाम प्लेटफार्मों के लिए अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहती है.