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...जब भारतीय महिला की मौत पर आयरलैंड ने बदला था गर्भपात से जुड़ा कानून

पुर्तगाल में त्रासदी और इसके नतीजे कुछ मायनों में 2012 में आयरलैंड (Ireland) के एक अस्पताल में सेप्सिस के कारण एक गर्भवती भारतीय महिला की मौत और उसके बाद बड़े अभियान की याद दिलाते हैं.

Updated on: 02 Sep 2022, 12:02 PM

highlights

  • भारतीय महिला की मौत के कारण पुर्तगाल के स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा
  • एक दशक पहले आयरलैंड में गर्भवती भारतीय की मौत के बाद अभियान
  • आयरिश रोमन कैथोलिक चर्च ने की थी गर्भपात कानून बदलने की कड़ी निंदा

नई दिल्ली:

पुर्तगाल ( Portugal) की राजधानी लिस्बन के अस्पतालों के बीच स्थानांतरित होने के दौरान एक भारतीय महिला पर्यटक (Indian Woman Tourist) की मौत के बाद स्वास्थ्य मंत्री डॉ मार्टा टेमिडो ने मंगलवार (30 अगस्त) को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. महिला करीब सात महीने की गर्भवती (Pregnant) थी. सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद वह इलाज के लिए अस्पताल पहुंची थी. रिपोर्ट्स के अनुसार, पुर्तगाली सरकार ने एक बयान में कहा कि डॉ टेमिडो ने महसूस किया था कि उनके पास अब पद पर बने रहने का नैतिक आधार नहीं हैं. 

पुर्तगाल के पीएम ने बताई स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की वजह

पुर्तगाली समाचार एजेंसी लूसा के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधान मंत्री एंटोनियो कोस्टा ने कहा था कि भारतीय महिला की मौत के कारण डॉ टेमिडो का इस्तीफा हुआ. इस साल जून में, रॉयटर्स ने पुर्तगाली अस्पतालों में प्रसूति-चिकित्सकों की कमी की सूचना दी. इसके चलते आपातकालीन प्रसूति इकाइयों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया या कम कर्मचारियों के साथ संचालन किया गया था. पुर्तगाल में त्रासदी और इसके नतीजे कुछ मायनों में 2012 में आयरलैंड (Ireland) के एक अस्पताल में सेप्सिस के कारण एक गर्भवती भारतीय महिला की मौत उसके बाद बड़े अभियान की याद दिलाते हैं.

आयरलैंड में महिलाओं ने चलाया था अभियान

पुर्तगाल में स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे से एक दशक पहले आयरलैंड सरकार ने ऐसी ही वजह से देश में गर्भपात से जुड़े कानून को बदल दिया था. आयरलैंड में भारतीय महिला सविता हलप्पनवर को गर्भपात पर देश के रूढ़िवादी कानूनों के कारण संभावित जीवन रक्षक गर्भपात से वंचित कर दिया गया था. सविता हलप्पनवर की मृत्यु ने गर्भपात पर प्रतिबंध के कारण महिलाओं के सामने आने वाले प्रणालीगत मुद्दों पर बड़े पैमाने पर आक्रोश पैदा किया और कानूनी चुनौतियों का नेतृत्व किया. गर्भपात पर प्रतिबंध को उलटने के साथ ही यह अभियान समाप्त हो पाया.

क्या था सविता हलप्पनवर का मामला?

सविता हलप्पनवर कर्नाटक की एक 31 वर्षीय दंत चिकित्सक थीं. अपनी शादी के बाद वह अपने भारतीय पति के साथ आयरलैंड गई थीं. गर्भावस्था के 17वें हफ्ते में उन्हें कमर दर्द की शिकायत हुई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनके पति प्रवीण हलप्पनवर ने कहा कि दंपति को डॉक्टरों ने बताया कि गर्भपात हो रहा है. उनकी बिगड़ती स्थिति को देखते हुए गर्भपात के उनके अनुरोध पर विचार नहीं किया गया था.

इलाज से जुड़े एक डॉक्टर और एक नर्स ने आयरलैंड को एक कैथोलिक देश होने पर जोर दिया था. इसलिए डॉक्टरों द्वारा गर्भपात करने की संभावना तब तक बहुत कम थी. भ्रूण में दिल की धड़कन पाया गया. हलप्पनवर ने तीन दिन बाद एक मृत बच्ची को जन्म दिया. वह खुद गहन देखभाल में गंभीर स्थिति में रही, जहां कुछ दिनों के बाद सेप्टीसीमिया या रक्त में संक्रमण के कारण दिल का दौरा पड़ने के बाद उसकी मौत हो गई.

आयरलैंड के गर्भपात कानूनों में कैसे बदलाव किया?

सविता हलप्पनवर की मौत के तुरंत बाद उसकी मृत्यु के कारणों की जांच शुरू की गई. इस निष्कर्ष के अलावा कि गर्भपात से उसकी जान बच सकती थी, अस्पताल में भर्ती होने के दौरान सविता को दी जाने वाली देखभाल के मामले में कुछ प्रक्रियात्मक कदमों की कमी भी पाई गई. हर चार घंटे में महत्वपूर्ण मेडिकल संकेतों का अवलोकन करने में विफलता, ए रक्त के नमूनों और संबंधित मुद्दों पर वापस रिपोर्ट करने में "अत्यधिक देरी" वगैरह तथ्य उभरकर सामने आए. हालांकि, अधिकतर जनता के लिए यह मुद्दा गर्भपात से इनकार करने की वजह मौत के मामले की तरह उबलता रहा.

आयरिश रोमन कैथोलिक चर्च ने की बदलाव की निंदा

उस समय आयरिश कानून के तहत गर्भपात आपराधिक था. जब तक कि यह मां के जीवन को बचाने के लिए किए गए चिकित्सा हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप नहीं हुआ हो. यह अपवाद दुर्लभ मामलों में लागू किया गया था. हलप्पनवर के मामले में डॉक्टरों के बीच कुछ भ्रम था कि क्या उसका मामला योग्य है. आइरिश सरकार ने जुलाई 2013 में बड़े बदलाव को चिह्नित करते हुए एक बिल पेश किया जो कुछ मामलों में गर्भपात की अनुमति देगा. आयरिश रोमन कैथोलिक चर्च ने "निर्दोष बच्चे की प्रत्यक्ष और जानबूझकर हत्या को लाइसेंस देने" के कदम के रूप में कानून की कड़ी निंदा की.

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भारतीय महिला सविता हलप्पनवर की मौत से पहले भी यह मुद्दा ध्रुवीकरण का था. आयरलैंड में महिलाओं को गर्भपात प्रक्रिया के लिए अन्य देशों, आमतौर पर यूनाइटेड किंगडम की यात्रा करनी पड़ती थी. लेकिन इस मामले का विवरण और उसकी मौत की रोकथाम योग्य प्रकृति एक भावनात्मक मुद्दा बन गई. इसने आयरलैंड में युवा महिलाओं का ध्यान खींचा. हलप्पनवर की कहानी और उनका चेहरा आंदोलन के महत्वपूर्ण प्रतीक बन गए. उन्हें अक्सर रैलियों में दर्शाया जाता था.

जनमत संग्रह में गर्भपात पर प्रतिबंध को उलटने के लिए 66 फीसदी बहुमत से वोट किया गया. मौजूदा दौर में वहां गर्भावस्था के 12वें सप्ताह तक गर्भपात का अनुरोध किया जा सकता है और मां के जीवन को खतरा होने की स्थिति में इस पर विचार किया जा सकता है.