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भारत की अपेक्षा चीन को वीजा में क्यों दे रहा भाव US! समझें मसले को

भारतीयों को कुछ श्रेणियों के वीजा इंटरव्यू के लिए दो साल तक इंतजार करना पड़ रहा है, वहीं चीनी नागरिकों को इन्हीं श्रेणी के वीजा इंटरव्यू के लिए महज दो दिन का इंतजार करना पड़ता है.

Updated on: 01 Oct 2022, 04:26 PM

highlights

  • भारत में अमेरिकी स्टूडेंट वीजा इंटरव्यू के लिए 2 साल का वेटिंग पीरियड
  • चीन औऱ पाकिस्तान में इसी श्रेणी का वीजा इंटरव्यू दो दिन में हो रहा है
  • विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वीजा समस्या एंटोनी ब्लिंकन से साझा की थी

नई दिल्ली:

लगभग दो साल के अंतराल के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत के नए वीजा आवेदकों के लिए इंटरव्यू स्लॉट खोलने की घोषणा कर दी है. इसके बावजूद कुछ श्रेणियों के वीजा इंटरव्यू के लिए भारतीयों को कम से कम दो साल तक इंतजार करना पड़ेगा. इस भारी इंतजार से भारतीय छात्रों, प्रोफेशनल्स और पर्यटकों में भारी बेचैनी है. उनकी बेचैनी की वजह समझ में भी आती है, जहां भारतीयों को कुछ श्रेणियों के वीजा इंटरव्यू के लिए दो साल तक इंतजार करना पड़ रहा है, वहीं चीनी नागरिकों को इन्हीं श्रेणी के वीजा इंटरव्यू के लिए महज दो दिन का इंतजार करना पड़ता है. कांसुलर मामलों के मंत्री सलाहकार डॉन हेफ्लिन भारत में अमेरिकी वीजा की जबर्दस्त मांग, स्टाफ की कमी और कोरोना से जुड़े व्यावधानों को इस देरी का कारण बताते हैं. वह कहते हैं कि स्टाफ बढ़ाने की कड़ी में अमेरिकी दूतावास काम कर रहा है. इसके साथ ही वह कहते हैं कि एच और एल वर्कर श्रेणी के एक लाख वीजा अपाइंटमेंट्स अगले कुछ हफ्तों में दे दिए जाएंगे. गौरतलब है कि अमेरिकी वीजा हासिल करने में लग रहे सालों के विलंब की समस्या को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में अपने अमेरिकी समकक्ष से उठाते हुए कहा था कि यदि अमेरिका चाहे तो भारत इस मामले में हरसंभव सहयोग को तैयार है. इस पर उन्हें ठोस आश्वासन भी मिला था, लेकिन इसके बावजूद वीजा इंटरव्यू को लेकर लंबे इंतजार से अनिश्चतता के बादल छंटने का नाम नहीं ले रहे हैं. वीजा इंटरव्यू के इंतजार का समय देश के विभिन्न राज्यों और श्रेणियों के लिहाज से अलग-अलग है. समझ यह नहीं आ रहा है कि कब और कैसे इस मसले का समाधान निकलेगा.

एक नहीं है वीजा इंटरव्यू का दो साल का वेटिंग पीरियड 
वीजा अपाइंटमेंट्स के लिए इंतजार का समय भारत के अलग-अलग शहरों में विभिन्न श्रेणियों के लिहाज से है. मसलन दिल्ली में विजिटर वीजा इंटरव्यू के लिए 833 दिन इंतजार करना पड़ेगा, तो मुंबई में यही अवधि 848 दिन है. स्टूडेंट और एक्सचेंज विजिटर वीजा इंटरव्यू के लिए दिल्ली में 430 दिन लगेंगे, तो मुंबई में भी इतने ही दिन इंतजार करना पड़ेगा. हालांकि नॉन माइग्रेंट वीजा आवेदकों को अपाइंटमेंट्स के लिए 392 दिन इंतजार करना पड़ेगा. स्टूडेंट, एक्सजेंच विजिटर वीजा के लिए सबसे कम इंतजार चेन्नई के लोगों को करना पड़ रहा है, जहां यह अवधि महज 29 दिन की है. 

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चीन-पाकिस्तान में चंद दिनों में हो रहा वीजा इंटरव्यू
गौर करने वाली बात यह है कि स्टूडेंट वीजा इंटरव्यू के लिए बीजिंग और इस्लामाबाद में महज एक या दो दिन इंतजार करना पड़ रहा है. कनाडा में स्टूडेंट वीजा के लिए आवेदन करने वाले भारतीय छात्र को वीजा इंटरव्यू के लिए 13 हफ्तों का इंतजार करना पड़ रहा है. राहत की बात यह है कि चीन और पाकिस्तान के छात्रों को भी कनाडा वीजा इंटरव्यू के लिए इतने ही दिन इंतजार करना पड़ रहा है. हालांकि वीजा इंटरव्यू के लिए इमरजेंसी के मामलों में कुछ अपवाद भी हैं. मसलन चिकित्सा मसलों का अगर उपचार सिर्फ अमेरिका में है, तो वीजा प्रक्रिया में तेजी लाई जा सकती है. इसी तरह किसी परिजन की मौत या अमेरिकी कंपनी में काम के लिए वीजा इंटरव्यू चंद दिनों में ही लिया जा सकता है. 

आखिर इस देरी की वजह क्या है
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक किसी अमेरिकी दूतावास में वीजा इंटरव्यू अपाइंटमेंट के इंतजार का समय वहां वर्क लोड और स्टाफ की संख्या पर निर्भर करता है. भारत में विभिन्न श्रेणियों में अमेरिकी वीजा की जर्बदस्त मांग है, उस पर कोरोना महामारी ने और व्यवधान ला दिया है. इस कारण वीजा इंटरव्यू के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. हालांकि भारत में अमेरिकी दूतावास ने स्पष्ट किया है कि इस मसले का समाधान जल्द निकाल लिया जाएगा. यह अलग बात है कि यहां भी जल्द का मतलब अगले साल से पहले नहीं है. 

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अब तक इस मसले पर क्या हुई प्रगति
डॉन हेफ्लिन कहते हैं कि अमेरिकी दूतावास में कर्मचारियों की कोरोना काल से पहले वाली संख्या एक साल से कम समय में दूर कर ली जाएगी. इस बीच अस्थायी कर्मचारियों और ड्रॉप बॉक्स रख कर वीजा इंटरव्यू इंतजार की अवधि को कम करने की कोशिशें जारी हैं. वह कहते हैं कि एच और एल श्रेणी के वर्कर वीजा के एक लाख इंटरव्यू अगले कुछ हफ्तों में शुरू कर दिए जाएंगे. डॉन हेफ्लिन कहते हैं कि कोरोना महामारी के चरम पर अमेरिकी दूतावास और वाणिज्यिक दूतावासों में सामान्य दिनों की तुलना में कर्मचारियों की संख्या महज 50 फीसदी ही रह गई थी. अब भी सामान्य की अपेक्षा 70 फीसदी कर्मचारी उपलब्ध हैं. वह 'आश्वस्त' करते हैं अगले साल इसी महीने तक 100 फीसदी कर्मचारी अपनी पूरी क्षमता के साथ काम कर रहे होंगे. उसके बाद ही अमेरिकी दूतावास और वाणिज्यिक दूतावास अमेरिकी वीजा की जबर्दस्त मांग के अनुरूप अपनी पूरी क्षमता से काम कर सकेंगे. इस बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वीजा हासिल करने में भारतीयों को आ रही दिक्कत का मसला अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकेन के समक्ष अपनी हालिया यात्रा के दौरान भी उठाया था. इस पर उन्हें मसले के जल्द समाधान का आश्वासन दिया गया है.

अमेरिकी वीजा की इतनी मांग है क्यों
2021 की संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में भारतीय लगभग हर देश में बड़ी संख्या में मौजूद हैं. आंकड़ों के मुताबिक 2020 में 18 मिलियन भारतीय विदेश में रह रहे थे, जिनमें से 2.7 मिलियन भारतीय सिर्फ अमेरिका में थे. अमेरिकी ख्वाब लंबे समय से भारतीय कामगारों, प्रोफेशनल्स और छात्रों के मन-मस्तिष्क पर छाया हुआ है. आज की तारीख में एच-1बी और अन्य कामगार वीजा के लिए भारतीय ही बड़ी संख्या में आवेदन करते हैं. इनमें से तमाम भारतीय टेक इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं. अमेरिका का एच-1बी वीजा वास्तव में नॉन माइग्रेंट वीजा की श्रेणी है, जिसके तहत अमेरिकी कंपनियां विदेशी कामगारों को अपने यहां काम के लिए बुला सकती हैं. अमेरिकी भारतीय छात्रों के लिए भी पसंदीदा देश है. 2022 में ही अमेरिका ने 82 हजार भारतीयों को स्टूडेंट वीजा जारी किया है. 

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भारतीयों के बीच लोकप्रिय अन्य देश कौन से हैं
2020 में 3.5 मिलियन संख्या के आधार पर संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय प्रवासी सबसे ज्यादा थे. 2005 में भी यूएई में अमेरिकी और पाकिस्तानी नागरिकों के बाद भारतीय प्रवासी तीसरे नंबर पर थे.  यह अलग बात है कि 1990 से 2020 के बीच यूएई में भारतीयों की जनसंख्या में 657 फीसदी का उछाल देखने में आया. 2010 से यूएई जाने वाले भारतीय प्रवासियों की संख्या सबसे ज्यादा है. वर्तमान में भी भारत-यूएई कंट्री-टू-कंट्री कॉरिडोर के लिहाज से तीसरे नंबर पर आते हैं. इनके पहले मैक्सिको-यूएस और सीरिया-तुर्की का नंबर आता है. सऊदी अरब भी भारतीयों का पसंदीदा देश है, जहां 25 लाख भारतीय हैं. प्रवासी आबादी के लिहाज से भारतीय तीसरे नंबर पर हैं. पाकिस्तानियों के लिए भी 1990 से 2005 के बीच सऊदी अरब पसंदीदा देश था, लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या में कमी आती गई. 2020 में महज 16 लाख पाकिस्तानी ही सऊदी में रह रहे थे. भारतीय छात्रों के बीच अमेरिका के बाद कनाडा पसंदीदा देश है.