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Pakistan में इमरान खान का जाना तय, कैसे बनेगी और कितनी चलेगी नई सरकार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ( PM Imran Khan) ने कहा कि वह इस्तीफा नहीं देंगे और आखिरी बॉल तक खेलेंगे. इसका साफ मतलब है कि उनके खिलाफ विपक्षी दलों के अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए उन्होंने कोई और रणनीति बचाकर रखी है.

Updated on: 08 Apr 2022, 01:51 PM

highlights

  • पाकिस्तान में फिर से एक कमजोर नींव वाली नई सरकार की गुंजाइश बनी
  • इमरान के हाथों से सत्ता जिन हाथों में जाएगी उनके आपसी समीकरण कैसे हैं
  • इमरान के विरोधी जरदारी, शहबाज और फजल आपसी दुश्मनी निभा चुके हैं

New Delhi:

पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court Of Pakistan) ने आदेश दिया है कि नौ अप्रैल यानी शनिवार को नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराया जाए. कोर्ट ने साफ कहा कि एसेंबली में अविश्वास प्रस्ताव को खारिज किया जाना या सदन की कार्यवाही को टाल देना असंवैधानिक है. इसके बावजूद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ( PM Imran Khan) ने कहा कि वह इस्तीफा नहीं देंगे और आखिरी बॉल तक खेलेंगे. इसका साफ मतलब है कि उनके खिलाफ विपक्षी दलों के अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए उन्होंने कोई और रणनीति बचाकर रखी है.

प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई के पास पाकिस्तान की 342 सांसदों वाली नेशनल असेंबली में 142 सांसदों का समर्थन है. बहुमत का जादुई आंकड़ा 172 उनसे काफी दूर दिख रहा है.इसके मुकाबले के लिए एकजुट विपक्ष के पास 199 सांसद हैं. ऐसे में इमरान खान की नेतृत्व वाली सरकार की विदाई तय है. वहीं, विपक्षी मोर्चे का सत्ता में आना भी लगभग तय है. इसके साथ ही पाकिस्तान में फिर से एक कमजोर नींव वाली नई सरकार की गुंजाइश मजबूत हो गई है. आइए, जानते हैं कि इमरान के हाथों से सत्ता किन हाथों में जाएगी और उनके आपसी समीकरण कैसे हैं.

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता में पांच जजों की पीठ ने कहा था- ‘नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव खारिज करना असंवैधानिक था. कोर्ट ने इमरान की राय पर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी द्वारा नेशनल असेंबली भंग करने का फैसला भी रद्द किया है. कोर्ट ने कहा- इमरान राष्ट्रपति को नेशनल असेंबली भंग करने की सलाह नहीं दे सकते थे. कोर्ट ने सरकार और संसद फिर बहाल कर दी है. कोर्ट ने नेशनल असेंबली के स्पीकर को 9 अप्रैल सुबह 10 बजे अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराने का आदेश दिया है.

शहबाज शरीफ का अगला पीएम बनना तय

पाकिस्तान की संभावित नई सरकार के प्रमुख घटकों में विपक्षी मोर्चे के जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) और नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) शामिल होंगे. नवाज की पीएमएल-एन के नेशनल असेंबली में 84 और पीपीपी के 47 सांसद हैं. इसलिए पीपीपी पहले से ही प्रधानमंत्री का पद नवाज की पार्टी को  देने को तैयार है. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ का अगला पीएम बनना तय है.

नई सरकार के स्थायी होने पर भी बड़ा सवाल

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मजबूत आधार वाली पीएमएल-एन और सिंध प्रांत की ताकतवर पार्टी पीपीपी कभी धुर विरोधी रही हैं. अब सत्ता के लिए इन्होंने हाथ मिला लिया है. पीपीपी और पीएमएल-एन को एक करने में पाकिस्तान की जेयूआई के मौलाना फजल उर रहमान ने अहम भूमिका निभाई है. इमरान के विरोध में खड़े जरदारी, शहबाज और फजल भी पहले आपस में बड़ी दुश्मनी निभा चुके हैं. इसलिए पाकिस्तान में नई सरकार के स्थायी होने पर भी बड़ा सवाल सामने खड़ा हो गया है.

विपक्षी मोर्चे के तीनों किरदारों का समीकरण

इमरान की सरकार गिराने में लगे तीनों सियासी किरदारों का आपसी समीकरण कुछ उदाहरणों से साफ समझ में आता है. पीपीपी नेता बिलावल पीएमएल-एन नेताओं पर हमलावर रहे हैं. फरवरी 2020 में उन्होंने कहा था कि इमरान खान की तरह ही पीएमएल-एन नेता नवाज शरीफ भी कठपुतली पीएम थे. पीटीआई की तरह पीएमएल-एन भी नेशनल एसेंबली को अहमियत नहीं देती है. इसके अलावा उनके पिता और पीपीपी के प्रमुख आसिफ अली जरदारी ने अक्टूबर 2017 में कहा था कि जब मैं भ्रष्टाचार मामले में जेल में था, तो शरीफ बंधुओं (नवाज और शहबाज) ने दो बार मेरी कत्ल करवाने की साजिश की थी. 

इमरान के खिलाफ साथ आए कट्टर विरोधी दल

दूसरी ओर पीएमएल नेता और नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ कई बार पीपीपी नेताओं पर निधाना साध चुके हैं. साल 2012 में उन्होंने कहा था कि राष्ट्रपति जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के केस की जांच दोबारा शुरू करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को न मानकर पीएम गिलानी न्यायपालिका का अपमान किया. उनके गृहमंत्री ने भ्रष्टाचार मामलों में पीपीपी नेताओं के खिलाफ जांच में तेजी का आदेश दिया था. इससे पीपीपी नेताओं पर एफआईए और एनएबी ने शिकंजा कसा. इसको लेकर दोनों दलों और उनके नेताओं में लंबे समय तक जारी दुश्मनी इमरान की वजह से सिमटती दिख रही है.

भ्रष्टाचार विरोधी अभियान या बदले की कार्रवाई

वहीं इमरान खान सरकार के धुर विरोधी जेयूआई के मौलाना और देवबंदी फिरके के प्रमुख नेता फजल उर रहमान ने इस बार बड़ा मोर्चा खोला हुआ है. जरदारी और शरीफ बंधुओं को साथ लाने वाले कट्‌टरपंथी फजल पहले पाकिस्तान में सेना की सरकार के समर्थक माने जाते थे. इमरान अपनी रैलियों में फजल को डीजल कहते थे. क्योंकि फजल पर ‘डीजल’ खरीद में कमीशनखोरी के आरोप हैं. इसी वजह से तीनों सियासी किरदारों के साथ आने को इमरान खान के भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान को बड़ी वजह बताया जा रहा है.

पंजाब प्रांत में दिखी विपक्षी मोर्चे की साझा ताकत

रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में इमरान सरकार पीएमएल-एन और पीपीपी के सभी बड़े नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर केस चला रही थी. नवाज और जरदारी को जेल भी भेजा जा चुका था. खुद पर फर्जी मामलों में कार्रवाई का शिकंजा कसता देखकर इन विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने साल 2020 में ही अंदरखाने साथ आने की शुरुआत कर दी थी. इसका असर पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत पंजाब में दिखा. वहां विधायकों की संख्या कम होती देख इमरान अपनी पार्टी पीटीआई के नए मुख्यमंत्री परवेज इलाही को शपथ नहीं दिला पाए. इमरान अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रहे अपने पुराने सीएम बुजदार को हटा चुके हैं. 

पाकिस्तान की ताजा हालत पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट

पाकिस्तान की मौजूदा सियासी हालत पर राजनीतिक जानकारों का दावा है कि नौ अप्रैल को विश्वास मत से पहले इमरान खान प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं. इसके बाद वहां नए सिरे से चुनाव की बड़ी संभावना है. एक थिंकटैंक के प्रमुख अली सरवर नकवी के मुताबिक नई सरकार को आर्थिक संकटों का भी सामना करना होगा. वहीं कुछ जानकारों के मुताबिक पाकिस्तान की नई सरकार को विदेश नीति से जुड़े कई जरूरी कदम उठाने होंगे.

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इमरान से सियासी खुन्नस निकालेगी नई सरकार

पाकिस्तान की राजनीति पर लंबे समय से नजर रखने वाले डॉ. मोहम्मद खान का कहना है कि अब तक पीएम इमरान खान और उनके गठबंधन ने सत्ता बचाने के लिए जोर लगा दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भविष्य के पाकिस्तान का रास्ता साफ कर दिया है. अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई तो इमरान खान सरकार बेआबरू होकर जाएगी. इसके बाद बनने वाली गठबंधन सरकार में प्रमुख पार्टियां शामिल होंगी. उन्होंने कहा कि नई सरकार इमरान खान के बनाए विवादित कानूनों को हटाने की कोशिश करेगी. हालांकि नई सरकार भी ज्यादा दिन नहीं चल पाएगी. 

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इमरान और बुशरा बीबी से जुड़े भ्रष्टाचार के किस्से

डॉ. खान ने साफ कहा कि पाकिस्तान में यह ट्रेंड रहा है कि नई सरकार आते ही पिछली सरकार पर भ्रष्टाचार के केस खोलती है. इमरान खान ने भी ऐसा ही किया था. पूर्व पीएम नवाज शरीफ पर भ्रष्टाचार के केस लगाकर जेल में डाल दिया. ऐसे में पीएमएल-एन और पीपीपी सरकार बनाएंगी तो इमरान खान से जरूर सियासी खुन्नस निकालेंगी. इस सिलसिले में इमरान खान की तीसरी बीवी बुशरा पीरनी की दोस्त फरहा खान से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले सामने आने लगे हैं.