logo-image

गांधीजी नहीं नेताजी सुभाष चंद्र बोस के डर से अंग्रेज भारत छोड़कर भागे...आंबेडकर

'बीबीसी' के फ्रांसिस वॉटसन को फरवरी 1955 में दिए गए इस साक्षात्कार से पता चलता है कि 1947 में अंग्रेजों के भारत छोड़ने के पीछे की मुख्य वजह क्या थी.

Updated on: 18 Aug 2020, 10:57 AM

नई दिल्ली:

एक बार फिर नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) की पुण्यतिथि पर उनकी रहस्यमयी मौत से लेकर इतिहास में दबे तमाम अन्य प्रश्न सिर उठा रहे हैं. इनमें सबसे प्रमुख तो यही है कि आखिर गांधीजी (Mahatma Gandhi) के 'पूर्ण स्वराज' औऱ 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' जैसे आंदोलन से रत्ती भर भी विचलित नहीं होने वाले अंग्रेज हुक्मरानों ने तुरत-फुरत भारत को आजाद करने का फैसला क्यों कर लिया? इस कड़ी में संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव आंबेडकर (Baba Saheb Ambedkar) का बीबीसी को दिया इंटरव्यू भी लोगों को याद आ रहा है, जो बताता है कि ब्रितानियों ने गांधीजी के आंदोलनों के भय से नहीं बल्कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनकी इंडियन नेशनल आर्मी (Indian National Army) के डर से भारत को आजाद करना श्रेयस्कर समझा था. इस इंटरव्यू में गांधीजी औऱ नेताजी को लेकर और भी कई बातें कही गई हैं, जो भारतीय इतिहास को नए सिर से परिभाषित करने पर विवश करती हैं.

यह भी पढ़ेंः अलीबाबा पर प्रतिबंध लगा सकता है US, चीन को बड़ा झटका देने की तैयारी

https://youtu.be/ZJs-BJoSzbo

बीबीसी को दिए साक्षात्कार में कही ये बात...
'बीबीसी' के फ्रांसिस वॉटसन को फरवरी 1955 में दिए गए इस साक्षात्कार से पता चलता है कि 1947 में अंग्रेजों के भारत छोड़ने के पीछे की मुख्य वजह क्या थी. साथ ही पता चलता है कि किस तरह नेताजी के योगदान को कम करके आंका गया और पेश किया गया. इस साक्षात्कार में बाबा साहब साफतौर पर कहते हैं, 'भारत को तुरत-फुरत आजादी देने का सही कारण तो तभी सामने आएगा जब ब्रिटिश पीएम प्रधानमंत्री क्लिमैन्ट रिचर्ड एटली अपनी आत्मकथा लिखेंगे. हालांकि मेरी नजर में इसके जो प्रमुख कारण हैं, उनमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भारत लौटने की संभावना और दूसरी उनकी बनाई फौज इंडियन नेशनल आर्मी.'

यह भी पढ़ेंः जम्मू और कश्मीर न्यूज़ सुरक्षाबलों ने लिया 3 जवानों की शहादत का बदला, 1 आतंकी ढेर

इंडियन नेशनल आर्मी का डर
फ्रांसिस वॉटसन से इस साक्षात्कार में बाबा साहब आंबेडकर कहते हैं, 'अंग्रेज मान कर चले रहे थे कि ब्रिटिश फौज में शामिल हिंदुस्तानी कभी भी उनके प्रति अपनी वफादारी नहीं बदलेंगे. यह अलग बात है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आईएनए के पराक्रम के किस्से सुनने के बाद ब्रिटिश फौज में शामिल भारतीय सैनिकों के मन में भी विद्रोह के स्वर फूटने लगे थे. इसके अलावा आईएनए के 40 हजार सैनिकों के भारत आने की खबर से उन्हें लगता था कि नेताजी की सेना अंग्रेजों का समूल नाश कर देगी. यही वजह है कि नेताजी और आईएनए के डर से तत्कालीन ब्रिटिश पीएम ने भारत को तुरत फुरत आजाद किया.'

यह भी पढ़ेंः देश समाचार एक्टर आमिर खान ने मिलाया भारत के दुश्मन से हाथ, उबला सोशल मीडिया 

गांधीजी का भारत छोड़ा आंदोलन कुचल दिया था अंग्रेजों ने
इस साक्षात्कार में बाबा साहब ब्रिटेन की लेबर पार्टी को 'मूर्ख' कहते भी सुनाई पड़ते हैं. वह कहते हैं कि भारत को आजादी धीरे-धीरे मिलनी चाहिए थी. अचानक आजाद किए जाने का निर्णय भारतीयों और उसके नेताओं के लिए अचानक आई बाढ़ सरीखा ही रहा. गौरतलब है कि नेताजी ने 1939 में अंग्रेजों से भारत छोड़ने का नारा बुलंद किया था. इसके बाद नेताजी ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपनी सेना को प्रशिक्षित भी किया था. यह अलग बात है कि विश्व युद्ध छिड़ जाने के कारण आईएनए उसमें व्यस्त हो गई. इसके कई सालों बाद गांधीजी ने भारत छोड़ो का नारा बुलंद किया, जिसे अंग्रेजों ने बहुत आराम से कुचल कर रख दिया. ऐसे में देश को आजाद कराने का श्रेय गांधीजी को नहीं, बल्कि नेताजी को जाता है.