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MP Congress में Rajya Sabha Seat की जंग: क्या फिर से डांवाडोल होगी पार्टी की स्थिति?

मध्य प्रदेश में तीन सीटें खाली हो रही हैं. संख्या बल के हिसाब से तीन में से दो सीटें बीजेपी के हिस्से में जानी तय हैं, एक सीट कांग्रेस जीत सकती है. लेकिन ये एक सीट फिर से कांग्रेस में आपसी कलह की वजह बनती नजर आ रही है.

Updated on: 03 Apr 2022, 10:58 AM

highlights

  • मध्य प्रदेश कांग्रेस फिर से घमासान
  • अरुण यादव Vs अजय सिंह राहुल
  • एमपी में कांग्रेस के हिस्से आ सकती है एक सीट

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव में जैसे-तैसे डेढ़ दशक बाद सत्ता में आई थी. साल 1998 के बाद साल 2018 में कांग्रेस सरकार बनाने में सफल रही थी. कमलनाथ मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन सिर्फ दो साल के भीतर ही कांग्रेस की आपसी सिर-फुटौव्वल कुछ इस कदम सामने आई कि पार्टी ही टूट गई. ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने खेमे के साथ कांग्रेस से अलग हो गए और बीजेपी का दामन थाम लिया. राज्य में फिर से शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में बीजेपी की सरकार बन गई. अभी मामला राज्यसभा का है. मध्य प्रदेश में तीन सीटें खाली हो रही हैं. संख्या बल के हिसाब से तीन में से दो सीटें बीजेपी के हिस्से में जानी तय हैं, एक सीट कांग्रेस जीत सकती है. लेकिन ये एक सीट फिर से कांग्रेस में आपसी कलह की वजह बनती नजर आ रही है. क्योंकि सीट एक है, दावेदार अनेक. लेकिन दो सबसे अहम दावेदार जो हैं, उनके नाम हैं कांग्रेस के पूर्व एमपी अध्यक्ष अरुण यादव (Arun Yadav) और एमपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे अजय सिंह राहुल (Ajay Singh Rahul). 

अरुण यादव Vs अजय सिंह राहुल

ये दोनों ही नेता कांग्रेस के लिए समर्पित रहे हैं. अहम पदों पर भी रहे हैं. अरुण यादव 2018 में शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) को विधानसभा चुनाव में चुनौती दी थी. हालांकि वो चुनाव हार गए थे. उन्होंने इस शर्त पर शिवराज के खिलाफ ताल ठोंकी थी कि अगर वो चुनाव हारते हैं, तो उन्हें साइडलाइन नहीं किया जाएगा बल्कि एमपी कोटे से राज्यसभा भेजा जाएगा. अब वो अपनी शर्त पार्टी हाईकमान को याद दिला रहे हैं. वो यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे हैं. उनके नेतृत्व में ही कांग्रेस ने 2018 का विधानसभा चुनाव जीता था. वो कमलनाथ खेमे के नेता रहे हैं. हालांकि कमलनाथ (Kamalnath) केंद्र में ज्यादा सक्रिय रहे. उन्हें 2018 में ही मुख्यमंत्री बनाकर भेजा गया था. इसके बाद अरुण यादव ने पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ा था, क्योंकि वो खुद अपना चुनाव हार गए थे. वहीं, बात अजय सिंह राहुल की करें तो वो भी बेहद मजबूत नेता हैं. भले ही वो 2019 में लोकसभा चुनाव हार गए हों और 2018 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हें शिकस्त मिली थी. लेकिन अनुभव में वो 5 बार विधायक रहे हैं और राज्य सरकार में दिग्विजय सिंह की सरकार में मंत्री रहे हैं. उन्हें दिग्विजय खेमे का अहम किरदार माना जाता है. 

अजय सिंह राहुल का वीडियो हुआ था वायरल

बता दें कि पिछले दिनों सतना जिले के मैहर में कांग्रेस ने स्थानीय समस्याओं को लेकर विशाल धरना प्रदर्शन किया था. इस सभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल (Ajay Singh Rahul) ने सक्रियता बढ़ाने के लिए खुल कर पद की मांग रखी थी. 38 सेकंड के उस वायरल वीडियो में अजय सिंह यह कहते नजर आ रहे हैं कि कोई पद मिले तो वह और अपनी सक्रियता बढ़ाएं. नहीं तो ऐसे ही चलता रहेगा. मैहर की सभा में अजय सिंह की इन बातों को आगामी दिनों में होने जा रहे राज्यसभा चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है.

एमपी में फिर से दिग्विजय vs कमलनाथ?

मध्य प्रदेश कांग्रेस में पहले तीन खेमे थे. एक खेमा ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ चुका है. दूसरा खेमा दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) का है. जो राज्य के दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं. केंद्र में भी रहे हैं. तीसरा खेमा कमलनाथ (Kamalnath) का है, जो राज्य और केंद्र में सक्रिय है. गौर करने वाली बात है कि दिग्विजय और कमलनाथ दोनों ही कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के करीबी हैं. ऐसे में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव वर्सेज पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल (Arun Yadav vs Ajay Singh Rahul) की राज्यसभा सीट के मामले में पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व किसका पक्ष लेता है, ये देखने वाली बात होगी.