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चीन को आईना दिखाने जी-7 में भारत को शामिल करेंगे डोनाल्ड ट्रंप, सितंबर तक टाली बैठक

अब ट्रंप समूह-7 यानी G-7 को मौजूदा कालखंड के लिहाज से 'पुराना' मानते हुए उसमें भी आमूल-चूल बदलाव के हामी दिख रहे हैं. उन्होंने समूह-7 के देशों की बैठक को सितंबर तक टालते हुए इसमें कुछ अन्य देशों को बतौर सदस्य शामिल करने की इच्छा जताई है.

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Nihar Saxena
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Donald Trump Narendra Modi

पीएम नरेंद्र मोदी के बढ़ते कद का परिचायक होगी जी-7 समूह की सदस्यता.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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कोरोना संक्रमण (Corona Epidemic) के दौर और उसके जनक बतौर चीन (China) को कठघरे में खड़ा करने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने मन बना लिया है कि वह तमाम वैश्विक निकायों का 'चाल-चलन और चेहरा' बदल कर ही दम लेंगे. इसकी शुरुआत उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन से सारे संबंध तोड़कर कर भी दी है. अब ट्रंप समूह-7 यानी G-7 को मौजूदा कालखंड के लिहाज से 'पुराना' मानते हुए उसमें भी आमूल-चूल बदलाव के हामी दिख रहे हैं. यही वजह है कि उन्होंने जून के आखिर में समूह-7 के देशों की बैठक को सितंबर तक टालते हुए इसमें कुछ अन्य देशों को बतौर सदस्य शामिल करने की इच्छा जताई है. इन देशों में भारत, ऑस्ट्रेलिया, रूस और दक्षिण कोरिया शामिल हैं. कोरोना से वैश्विक जंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के बढ़ते कद के मद्देनजर ट्रंप वैश्विक संतुलन स्थापित करने के लिए अधिक से अधिक वैश्विक निकायों में भारत का स्थायी प्रतिनिधित्व चाहते हैं. इसका एक मकसद चीन के आधिपत्य को भी समाप्त करना या उसे हाशिये पर लाना है.

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सही प्रतिनिधित्व नहीं, कहकर ट्रंप ने टाली जी-7 की बैठक
जी-7 बैठक को टालते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, 'मैं इस बैठक को स्थगित कर रहा हूं क्योंकि मुझे नहीं लगता कि दुनिया में जो चल रहा है, उसकी यह सही नुमाइंदगी करता है. यह देशों का बहुत ही पुराना समूह हो गया है.' बता दें कि समूह-7 की बैठक पहले 10 से 12 जून के बीच वॉशिंगटन में होनी थी, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से बाद में इसे जून के अंत तक के लिए शिफ्ट कर दिया गया. अब इसे फिर सितंबर तक के लिए टाल दिया गया है. ट्रंप के बयान के बाद व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप अमेरिका के दूसरे पारंपरिक सहयोगियों और कोरोना से प्रभावित कुछ देशों को इसमें शामिल करना चाहते हैं. इसके साथ ही उन्होंने भी इशाला किया कि समूह-7 की प्रस्तावित बैठक में चीन के भविष्य को लेकर भी चर्चा होगी.

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विश्व की विकसित अर्थव्यवस्था का समूह है जी-7
जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी कथित विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं. इसे ग्रुप ऑफ़ सेवन भी कहते हैं. समूह खुद को 'कम्यूनिटी ऑफ़ वैल्यूज' यानी मूल्यों का आदर करने वाला समुदाय मानता है. स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और क़ानून का शासन और समृद्धि और सतत् विकास, इसके प्रमुख सिद्धांत हैं. शुरुआत में यह छह देशों का समूह था, जिसकी पहली बैठक 1975 में हुई थी. इस बैठक में वैश्विक आर्थिक संकट के संभावित समाधानों पर विचार किया गया था. अगले साल कनाडा इस समूह में शामिल हो गया और इस तरह यह जी-7 बन गया. गौरतलब है कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरंद्र मोदी बियारेट्ज शहर में 45वें जी-7 बैठक में साझेदार के तौर पर शामिल हुए थे. वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2005 में ग्लेनेगल्स में बैठक में भाग लिया था.

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चीन इस समूह का हिस्सा नहीं
चीन दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है, फिर भी वह इस समूह का हिस्सा नहीं है. इसकी वजह यह है कि यहां दुनिया की सबसे बड़ी आबादी रहती हैं और प्रति व्यक्ति आय संपत्ति जी-7 समूह देशों के मुक़ाबले बहुत कम है. ऐसे में चीन को उन्नत या विकसित अर्थव्यवस्था नहीं माना जाता है, जिसकी वजह से यह समूह में शामिल नहीं है. हालांकि चीन जी-20 देशों के समूह का हिस्सा है. इस समूह में शामिल होकर वह अपने यहां शंघाई जैसे आधुनिकतम शहरों की संख्या बढ़ाने पर काम कर रहा है. साल 1998 में इस समूह में रूस भी शामिल हो गया था और यह जी-7 से जी-8 बन गया था, लेकिन 2014 में यूक्रेन से क्रीमिया हड़प लेने के बाद रूस को समूह से निलंबित कर दिया गया था. अब फिर ट्रंप ने रूस को शामिल करने की इच्छा जताई है.

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जी-7 के सामने चुनौतियां
जी-7 समूह देशों के बीच कई असहमतियां भी हैं. पिछले साल कनाडा में हुए शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप का अन्य सदस्य देशों के साथ मतभेद हो गया था. राष्ट्रपति ट्रंप के आरोप थे कि दूसरे देश अमेरिका पर भारी आयात शुल्क लगा रहे हैं. पर्यावरण के मुद्दे पर भी उनका सदस्य देशों के साथ मतभेद था. समूह की आलोचना इस बात के लिए भी की जाती है कि इसमें मौजूदा वैश्विक राजनीति और आर्थिक मुद्दों पर बात नहीं होती है. अफ्रीका, लातिन अमेरिका और दक्षिणी गोलार्ध का कोई भी देश इस समूह का हिस्सा नहीं है. भारत और ब्राज़ील जैसी तेज़ी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं से इस समूह को चुनौती मिल रही है, जो जी-20 समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन जी-7 का हिस्सा नहीं हैं. कुछ वैश्विक अर्थशास्त्रियों का कहना है कि जी-20 के कुछ देश 2050 तक जी-7 के कुछ सदस्य देशों को पीछे छोड़ देंगे.

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आलोचना भी कम नहीं जी-7 की
जी-7 की आलोचना यह कह कर की जाती है कि यह कभी भी प्रभावी संगठन नहीं रहा है. हालांकि समूह कई सफलताओं का दावा करता है, जिनमें एड्स, टीबी और मलेरिया से लड़ने के लिए वैश्विक फंड की शुरुआत करना भी है. समूह का दावा है कि इसने साल 2002 के बाद से अब तक 2.7 करोड़ लोगों की जान बचाई है. समूह यह भी दावा करता है कि 2016 के पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने के पीछे इसकी भूमिका है. हालांकि अमेरिका ने इस समझौते से अलग हो जाने की बात कही है. जी-7 देशों के मंत्री और नौकरशाह आपसी हितों के मामलों पर चर्चा करने के लिए हर साल मिलते हैं. प्रत्येक सदस्य देश बारी-बारी से इस समूह की अध्यक्षता करता है और दो दिवसीय वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करता है. यह प्रक्रिया एक चक्र में चलती है. ऊर्जा नीति, जलवायु परिवर्तन, एचआईवी-एड्स और वैश्विक सुरक्षा जैसे कुछ विषय हैं, जिन पर पिछले शिखर सम्मेलनों में चर्चाएं हुई थीं.

HIGHLIGHTS

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के बाद अब जी-7 को नया बनाएंगे ट्रंप.
  • भारत समेत कई देशों को सदस्य बनाने की जताई इच्छा.
  • समूह-7 की बैठक सितंबर तक टाली. चीन पर भी होगी चर्चा.
G-7 Summit India China Tension Postpones Donald Trump corona-virus PM Narendra Modi Xi Jinping
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