NASA ने नए मंगल रोवर में इस्तेमाल की 1998 की Apple आईमैक चिप
मंगल मिशन के लिए नासा का एडवांस रोवर 1998 के एप्पल आईमैक (1998 Apple iMacs) में प्रयुक्त एक चिप पर चलता है.
highlights
- नासा का एडवांस रोवर 1998 के एप्पल आईमैक में प्रयुक्त एक चिप पर चलता है
- रोवर में 1.04 करोड़ ट्रांजिस्टर के साथ एक पावरपीसी 750 सिंगल-कोर, 233 मेगाहट्र्ज प्रोसेसर है
नई दिल्ली :
अगर आपको लगता है कि नासा (NASA) का 2.7 अरब डॉलर का मार्स परसिवरेंस रोवर लाल ग्रह (मंगल) से पृथ्वी पर डेटा भेजने के लिए कुछ अत्याधुनिक और सबसे एडवांस चिप लेकर गया है, तो आप गलत हैं. दरअसल, मंगल मिशन के लिए नासा का एडवांस रोवर 1998 के एप्पल आईमैक (1998 Apple iMacs) में प्रयुक्त एक चिप पर चलता है. न्यू साइंटिस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा इसलिए है, क्योंकि एक एडवांस या उन्नत चिप वास्तव में मंगल ग्रह की अद्वितीय परिचालन स्थितियों के लिए एक बाधा उत्पन्न कर सकती है. मंगल का वायुमंडल पृथ्वी के वातावरण की तुलना में हानिकारक विकिरण और आवेशित कणों से बहुत कम सुरक्षा प्रदान करता है. रिपोर्ट के अनुसार, विकिरण का एक बुरा विस्फोट बुरी तरह से एक आधुनिक प्रोसेसर के संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक्स को खत्म कर सकता है.
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Apple ने 6 मई 1998 को की थी आईमैक की घोषणा
नासा के मार्स परसिवरेंस रोवर में दो कंप्यूटिंग मॉड्यूल हैं और कुछ गलत होने की स्थिति में एक बैकअप भी होता है. रोवर में केवल 1.04 करोड़ ट्रांजिस्टर के साथ एक पावरपीसी 750 सिंगल-कोर, 233 मेगाहट्र्ज प्रोसेसर है, जो 1998 में लॉन्च किए गए मूल मैक को भी संचालित करता था. एप्पल (Apple) कंपनी ने 6 मई 1998 को आईमैक की घोषणा की थी और उसी वर्ष 15 अगस्त को आईमैक जी3 की शिपिंग भी शुरू कर दी थी.
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पिछले महीने नासा ने मंगल ग्रह पर अपने रोवर को सफलतापूर्वक उतारा था
यह वही प्रोसेसर है, जिसे नासा अपने क्यूरियोसिटी रोवर में भी उपयोग करता है. पिछले महीने नासा ने मंगल ग्रह पर अपने रोवर को सफलतापूर्वक उतारा था.
कैबिनेट ने नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग के लिए भारत-फ्रांस समझौता ज्ञापन को दी मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने साल 2030 तक महत्वाकांक्षी 450 गीगावाट (जीडब्ल्यू) नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिए भारत और फ्रांस के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) को मंजूरी दी। यह संधि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के 2022 के लक्ष्य से पहले नवीकरणीय ऊर्जा के 175 गीगावॉट के लक्ष्य को प्राप्त करने और 2030 तक 450 गीगावॉट के लक्ष्य के अनुरूप है. पिछले साल नवंबर में एक जी-20 आभासी शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने इस करार की घोषणा की थी.
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