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चीन दुनिया का पहला रेडार कार्बन डाइऑक्साइड उपग्रह लॉन्च करेगा

चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय समिति के सदस्य, राष्ट्रीय उपग्रह मौसम केंद्र के उपग्रह मौसम अनुसंधान संस्थान के निदेशक चांग शिंगयिंग ने पेइचिंग में समाचार एजेंसी सिन्हुआ से कहा कि जनवरी 2015 में इस परियोजना की स्थापना हुई.

Updated on: 03 Mar 2021, 10:10 AM

highlights

  • जुलाई में चीन दुनियाभर में पहला सक्रिय रेडार कार्बन डाइऑक्साइड अन्वेषण उपग्रह का प्रक्षेपण करेगा
  • यह चौबीस घंटे में वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड की उच्च-सटीक निगरानी करने में सक्षम होगा

बीजिंग :

आगामी जुलाई महीने में चीन दुनियाभर में पहला सक्रिय रेडार कार्बन डाइऑक्साइड अन्वेषण उपग्रह का प्रक्षेपण करेगा. यह चौबीस घंटे में वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड की उच्च-सटीक निगरानी करने में सक्षम होगा. चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय समिति के सदस्य, राष्ट्रीय उपग्रह मौसम केंद्र के उपग्रह मौसम अनुसंधान संस्थान के निदेशक चांग शिंगयिंग ने पेइचिंग में समाचार एजेंसी सिन्हुआ को दिए एक इन्टरव्यू में कहा कि जनवरी 2015 में इस परियोजना की स्थापना हुई, छह साल के विकास के बाद इसका प्रक्षेपण वर्ष के उत्तरार्ध में होगा. उन्होंने परिचय देते हुए कहा कि सक्रिय रेडार लैस यह उपग्रह वैश्विक वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड, बादल और एरोसोल की ऊध्र्वाधर वितरण जानकारी प्राप्त कर सकता है. 

संबंधित अवलोकन डेटा का उपयोग वायुमंडलीय पर्यावरण निगरानी, आपदा रोकथाम और शमन, और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला जैसे क्षेत्रों में किया जाता है. यह न केवल चीन, बल्कि विश्व को भी लाभ पहुंचाएगा. इसके साथ ही, पृथ्वी परिवार की रक्षा के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी सहायता भी प्रदान कर सकेगा. (साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

यह पोर्टेबल मशीन चुटकियों में इकट्ठे कर लेती है प्लास्टिक बैग

बेंगलुरु के छात्रों की टीम ने एक ऐसी पोर्टेबल मशीन बनाई है, जो प्लास्टिक के थैलों को बड़ी कुशलता से इकट्ठा कर लेती है। कमाल की बात यह है कि यह मशीन बहुत कम लागत से बनाई गई है. हाल ही में सामने आए फिक्की के अनुमानों के अनुसार, भारत में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक की खपत 2017 में 11 किलो प्रति वर्ष थी, जो 2022 तक बढ़कर 20 किलो प्रति वर्ष तक हो जाएगी. जाहिर है प्लास्टिक का यह बढ़ता कचरा जमीन, नदी और समुद्री जीवन को खतरे में डालता है. तमिलनाडु के सेलम में सोना कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के अंतिम वर्ष के 6 इंजीनियरिंग छात्रों ने यह मशीन बनाई है। इसका अभी नगरपालिका सीमा के अंदर की सड़कों पर परीक्षण चल रहा है.

इस प्रोजेक्ट के लीडर टी.वी.किशोर कुमार ने बताया कि प्लास्टिक कचरा एकत्रित करने वाला यह उपकरण सड़कों पर पड़े प्लास्टिक को सेंसर्स के जरिए पहचानने और उसे अपनी ओर खींचने में सक्षम है. इसका उपयोग इमारतों में होलो ब्लॉक्स, पॉवर ब्लॉक्स आदि से प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करने में भी हो सकता है. इस प्रोजेक्ट में कुमार के साथ उनके सहपाठी एन जिवेथ खान, आर आकाश, एस लोकेश्वर, आर दिनेश बाबू और आर इलवरसन ने काम किया. इन सभी ने भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाने के अभियान में अपना योगदान देने के लिए यह मशीन बनाई है.