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संसदीय समिति के सामने पेश हुए Twitter के अधिकारी, जानिए क्या बोले?

केंद्र सरकार और माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर के बीच सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी नए नियमों को लेकर चल रही खींचतान के चलते शुक्रवार को ट्विटर के प्रतिनिधी संसदीय समिति के समक्ष पेश हुए

Updated on: 18 Jun 2021, 11:46 PM

highlights

  • शुक्रवार को माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर के प्रतिनिधी संसदीय समिति के समक्ष पेश हुए
  • शशि थरूर वाली समिति से सोशल मीडिया के मिसयूज को रोकने पर अपना पक्ष रखा
  • पिछले दिनों केंद्र सरकार की ओर से ट्विटर को नोटिस जारी किया गया था

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार और माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर के बीच सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी नए नियमों को लेकर चल रही खींचतान के चलते शुक्रवार को ट्विटर के प्रतिनिधी संसदीय समिति के समक्ष पेश हुए. इस दौरान कांग्रेस सांसद शशि थरूर वाली समिति से सोशल मीडिया के मिसयूज को रोकने पर अपना पक्ष रखा. इस बीच ट्विटर प्रवक्ता ने कहा कि “हम आईटी पर स्थायी समिति के समक्ष अपने विचार साझा करने के अवसर दिए जाने की सराहना करते हैं। पारदर्शिता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और गोपनीयता के हमारे सिद्धांतों के अनुरूप नागरिकों के अधिकारों की ऑनलाइन सुरक्षा के महत्वपूर्ण कार्य पर समिति के साथ काम करने के लिए ट्विटर तैयार है.

आज की बैठक आईटी मामले की संसदीय समिति की बैठक में शशि थरूर, निशी कांत दुबे, महुआ मोइत्रा, राज्यवर्धन राठौर, जफर इस्लाम तथा अन्य सदस्य मौजूद थे.
ट्विटर की तरफ से पब्लिक पॉलिसी हेड शगुफ्ता और कानूनी सलाहकार आयुषी कपूर मौजूद थी, हालांकि ट्विटर की तरफ से ट्विटर इंडिया प्रमुख को बुलाया गया था. बैठक करीब दो घंटे तक चली. आज की बैठक में खास बात रही की सरकार और विपक्ष के सांसदों ने ट्विटर से भारत का कानून नहीं मानने पर सवाल किए,सबने एक सुर में ट्विटर के प्रतिनिधियों से बोला कि यहां का कानून आपको मानना पड़ेगा.

ट्विटर की तरफ से बोला गया वो अपनी पॉलिसी को मानते हैं Chief compliance officer के मसले पर भी कोई सटीक जवाब नहीं दिया गया. ट्विटर की तरफ से कुछ भी commit नहीं किया गया लोनी वाला मामला भी संसदीय समिति में एक सांसद ने उठाया. ट्विटर की जांच की पॉलिसी पर भी सवाल किए गए ट्विटर के प्रतिनिधि ने बोला हम जांच नहीं करते ये थर्ड पार्टी का काम है. संसदीय समिति के एक सदस्य ने पूछ क्यों ना आपके उपर भी देश का कानून नहीं मानने के लिए जुर्माना लगाया जाए जैसे दूसरे देश कर रहे हैं.

आपको बता दें कि पिछले दिनों केंद्र सरकार की ओर से ट्विटर को नोटिस जारी किया गया था, जिसमें उसको आईटी नियमों के तुरंत अनुपालन करने के लिए आखिरी मौका दिए जाने की बात कही गई थी. इसके साथ ही केंद्र ने ट्विटर को चेतावनी दी थी कि उसको नई नियमावली के तहत जवाबदेही से छूट नहीं दी जाएगी.

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पिछले हफ्ते माइक्रोब्लॉगिंग साइट को तलब किया था

दरअसल, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के मिसयूज और नागरिकों के अधिकारों के संरक्षण को लेकर सूचना और प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थाई समिति ने पिछले हफ्ते माइक्रोब्लॉगिंग साइट को तलब किया था. जिसके चलते ट्विटर इंडिया की पब्लिक पॉलिसी मैनेजर शगुफ्ता और लीगल एडवाइजर आयुषी कपूर ने समिति के समक्ष प्रस्तुत होकर अपना पक्ष रखा. आपको बता दें कि नई आईटी नियमावली को लेकर पिछले कुछ दिनों से ट्विटर और केंद्र के बीच गतिरोध बना हुआ है. जिसको लेकर कुछ दिन पहले ही तब अधिक बवाल खड़ा हो गया था, जब ट्विटर ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के अकाउंट से सत्यापन वाला 'ब्लू टिक' हटा दिया था.

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कांग्रेस टूलकिट मामले में 31 मई को पूछताछ की थी

आपको बता दें कि इससे पहले दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने ट्विटर इंडिया के एमडी मनीष माहेश्वरी से कथित कांग्रेस टूलकिट मामले में 31 मई को पूछताछ की थी. स्पेशल सेल के वरिष्ठ अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की. एक अधिकारी ने बताया कि उनका बयान दर्ज करने के लिए एक टीम 31 मई को माहेश्वरी के घर गई थी. एक अधिकारी ने कहा, ट्विटर के एमडी से पूछा गया कि सोशल मीडिया साइट ने भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के ट्वीट को हेरफेर(मैन्यूपुलेटेड)मीडिया के रूप में कैसे टैग किया. कांग्रेस ने भाजपा पर जालसाजी और धोखाधड़ी का आरोप लगाया था और भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और कई अन्य के खिलाफ शिकायत के साथ दिल्ली पुलिस से संपर्क किया था.